छोटे बच्चों का शौकीन था वह 
कहने के लिए इकबाल हाजी इलाहाबाद हाईकोर्ट का बड़ा अधिकारी था। उर्स कमेटी का मेम्बर था। मस्जिद से जुड़ा होने के कारण हर कोई उसे इज्जत देता था। लेकिन हकीकत में वह गंदा इंसान था। उसकी हरकतें मोहल्ले वालों को पता चल चुकी थी। उसकी असलियत जानने के बाद कोई उसे पंसद नहीं करता था। वह छोटे बच्चों का शौकीन था। मोहल्ले के छोटे बच्चे उसके घर जाते थे। टीन एजर बच्चों से ही उसकी दोस्ती ज्यादा थी. 

बेटे का कर रहा था शोषण 
मुझे यह जानकारी बाद में हुई। दरअसल, हाजी मेरे छोटे बेटे का भी शोषण कर रहा था। वह अपने रूम में उसे अक्सर बुलाता था और उसके साथ दुराचार करता था। बहला फुसलाकर वह काफी दिनों से उसके साथ दुराचार करता रहा। बदले में पैसे दे देता था। इसीलिए उसके बेटे ने यह बात घरवालों से शेयर नहीं की। उसके साथ कई और बच्चे भी रहते थे। ऐसे में शायद उसे लगा कि यह सब सही है. 

रात में बेटी जब निकली.
हां। मुझे अच्छी तरह याद है। उस रात सब लोग कमरे में सो रहे थे। तभी मेरा छोटा बेटा जागा और अपनी बहन को बुला लिया। खटपट की आवाज सुनाई दी। मैं भी जाग गया। रात के एक बज रहे थे। मुझे कुछ समझ में नहीं आया। मैं जानने की कोशिश में लग गया कि आखिर इतनी रात दोनों कहां जा रहे हैं। दोनों चुपचाप कमरे से निकल गए। मैं समझ गया कि कुछ न कुछ गड़बड़ जरूर है। मैं भी चुपचाप उनका पीछा करने लगा. 

कैसे करता बर्दाश्त
कुछ देर बाद ही दोनों हाईकोर्ट के अधिकारी इकबाल हाजी के यहां पहुंच गए। एक बार तो मुझे भी समझ में नहीं आया कि ये क्या हो रहा है। कुछ देर बाद जब मैं ऊपर कमरे में पहुंचा तो वहां का सीन देखकर दंग रह गया। मेरे होश उड़ गए। मेरी बेटी के साथ हाजी जबरदस्ती कर रहा था। मेरे पहुंचते ही मेरी बेटी चीख उठी। पापा बचा लो। अब बर्दाश्त के बाहर हो चुका था। मैंने अपने बेटे से कहा अब इसे नहीं छोडऩा है. 

बेटे ने गला रेत डाला
मेरे कहने पर बेटे ने कमरे से चाकू निकाला। हम लोगों में फाइट शुरू हुई। मैंने बिस्तर पर ही उसका पैर पकड़ लिया। बेटा चाकू लेकर पहुंचा। बेटी ने उसे पकडऩे में मदद किया। फिर मेरे बेटे ने उसका गला रेत डाला। उसके कुकर्म की सजा देना अब जरूरी हो गया था। बेटे और बेटी को अपनी हवस के शिकार बनाने वाले इस हाजी की मौत की नींद सुलाने के बाद थोड़ा सुकून मिला। आखिर क्या करता। कोई भी बाप होता तो शायद यही करता। वह न जाने कितने और मासूम बच्चों को अपनी हवस का शिकार बना चुका था और न जाने अभी कितने और बनते. 

छोटे बच्चों का शौकीन था वह 

कहने के लिए इकबाल हाजी इलाहाबाद हाईकोर्ट का बड़ा अधिकारी था। उर्स कमेटी का मेम्बर था। मस्जिद से जुड़ा होने के कारण हर कोई उसे इज्जत देता था। लेकिन हकीकत में वह गंदा इंसान था। उसकी हरकतें मोहल्ले वालों को पता चल चुकी थी। उसकी असलियत जानने के बाद कोई उसे पंसद नहीं करता था। वह छोटे बच्चों का शौकीन था। मोहल्ले के छोटे बच्चे उसके घर जाते थे। टीन एजर बच्चों से ही उसकी दोस्ती ज्यादा थी. 

बेटे का कर रहा था शोषण 

मुझे यह जानकारी बाद में हुई। दरअसल, हाजी मेरे छोटे बेटे का भी शोषण कर रहा था। वह अपने रूम में उसे अक्सर बुलाता था और उसके साथ दुराचार करता था। बहला फुसलाकर वह काफी दिनों से उसके साथ दुराचार करता रहा। बदले में पैसे दे देता था। इसीलिए उसके बेटे ने यह बात घरवालों से शेयर नहीं की। उसके साथ कई और बच्चे भी रहते थे। ऐसे में शायद उसे लगा कि यह सब सही है. 

रात में बेटी जब निकली.

हां। मुझे अच्छी तरह याद है। उस रात सब लोग कमरे में सो रहे थे। तभी मेरा छोटा बेटा जागा और अपनी बहन को बुला लिया। खटपट की आवाज सुनाई दी। मैं भी जाग गया। रात के एक बज रहे थे। मुझे कुछ समझ में नहीं आया। मैं जानने की कोशिश में लग गया कि आखिर इतनी रात दोनों कहां जा रहे हैं। दोनों चुपचाप कमरे से निकल गए। मैं समझ गया कि कुछ न कुछ गड़बड़ जरूर है। मैं भी चुपचाप उनका पीछा करने लगा. 

कैसे करता बर्दाश्त

कुछ देर बाद ही दोनों हाईकोर्ट के अधिकारी इकबाल हाजी के यहां पहुंच गए। एक बार तो मुझे भी समझ में नहीं आया कि ये क्या हो रहा है। कुछ देर बाद जब मैं ऊपर कमरे में पहुंचा तो वहां का सीन देखकर दंग रह गया। मेरे होश उड़ गए। मेरी बेटी के साथ हाजी जबरदस्ती कर रहा था। मेरे पहुंचते ही मेरी बेटी चीख उठी। पापा बचा लो। अब बर्दाश्त के बाहर हो चुका था। मैंने अपने बेटे से कहा अब इसे नहीं छोडऩा है. 

बेटे ने गला रेत डाला

मेरे कहने पर बेटे ने कमरे से चाकू निकाला। हम लोगों में फाइट शुरू हुई। मैंने बिस्तर पर ही उसका पैर पकड़ लिया। बेटा चाकू लेकर पहुंचा। बेटी ने उसे पकडऩे में मदद किया। फिर मेरे बेटे ने उसका गला रेत डाला। उसके कुकर्म की सजा देना अब जरूरी हो गया था। बेटे और बेटी को अपनी हवस के शिकार बनाने वाले इस हाजी की मौत की नींद सुलाने के बाद थोड़ा सुकून मिला। आखिर क्या करता। कोई भी बाप होता तो शायद यही करता। वह न जाने कितने और मासूम बच्चों को अपनी हवस का शिकार बना चुका था और न जाने अभी कितने और बनते.