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वादे बहुत से किए गए थे। महिलाओं को भी उम्मीद थी कि केंद्र में मोदी सरकार बनने के बाद उनकी सुरक्षा को लेकर बड़े कदम उठाए जाएंगे। लेकिन, केंद्र सरकार के एक साल बीतने के बावजूद महिलाएं खुद को पहली जैसी स्थिति में ही पा रही हैं। अपनी सुरक्षा को लेकर उनकी चिंता कम नहीं हुई है। ज्यादातर महिलाओं को लगता है कि इस दिशा में अभी तक कोई खास कदम नहीं उठाया गया है। आई नेक्स्ट के लोकल सर्वे में यही बात निकलकर सामने आई। पेश है सर्वे रिपोर्ट-

फैक्ट फाइल

- शहर की फ्8 फीसदी महिलाएं अभी भी खुद को अनसेफ महसूस कर रही हैं। ख्7 फीसदी का मानना है कि इस इश्यू पर कोई खास कदम नहीं उठाया गया है और क्ब् फीसदी को भविष्य में इसकी कोई उम्मीद भी नजर नहीं आती।

- ख्ब् फीसदी पुरुषों का मानना है कि महिला अपराध में कमी आई है, जबकि फ्भ् फीसदी के मुताबिक घर से बाहर महिलाएं खुद को असुरक्षित पाती हैं।

- सबसे अधिक 80 फीसदी हाउसवाइफ कहती हैं कि महिला सुरक्षा को लेकर केंद्र सरकार ने कोई खास कदम नहीं उठाया है।

- ब्ब् फीसदी प्रोफेशनल्स मानते हैं कि महिलाएं असुरक्षित हैं। ब्0 फीसदी बिजनेसमैन की सोच भी यही है।

- ख्भ् फीसदी स्टूडेंट्स का मानना है कि पिछले एक साल में महिला अपराध के ग्राफ में गिरावट आई है।

- यह पहली बार नहीं हुआ है। चुनाव के दौरान कई राजनीतिक दल महिला सुरक्षा के एजेंडे पर बड़े-बड़े दावे करते हैं लेकिन बाद में भूल जाते हैं। मोदी सरकार के साथ भी यही हुआ है। मेक इन इंडिया प्रोजेक्ट पर तो काम चल रहा है लेकिन महिलाओं की सुरक्षा पर अभी तक कठोर कदम नहीं उठाया गया है।

ज्योति श्रीवास्तव, प्रोफेशनल

महिलाओं के प्रति अपराध कम होने के बजाय बढ़ते जा रहे हैं। लोगों को उम्मीद थी कि मोदी सरकार सत्ता में आने के बाद इस दिशा में बेहतर काम करेगी। अभी तक तो नहंी लेकिन लगता है भविष्य में महिला सुरक्षा पर कुछ न कुछ होगा जरूर। पब्लिक भी इस ओर बड़ी उम्मीदें लेकर बैठी है। महिलाएं भी चाहती हैं कि घर से बाहर वह खुद को सुरक्षित महसूस करें।

पंकज त्रिपाठी, एडवोकेट