- सदर में मित्तल फैमिली के घर पहुंचे 'भाभी जी घर पर हैं' के स्टार

- मनमोहन तिवारी मिस करते है पहले वाली अंगूरी भाभी को

Meerut । शहर में सदर बैंकर स्ट्रीट कालोनी में एक वैवाहिक समारोह में पहुंचे भाभी जी घर पर हैं धारावाहिक के कलाकारों ने सबका मन मोह लिया। सीरियल के फेम एक्टर हप्पू सिंह यानी योगेश त्रिपाठी और मनमोहन तिवारी यानी रोहिताश गौड़ ने शहरवासियों के बीच कॉमेडी अंदाज में बैंडबाजे के साथ ऑटो में पहुंचे। मौके पर मीडिया से बातचीत कर अपने अनुभवों को साझा किया।

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हप्पू सिंह को काजोल पसंद है

-हप्पू सिंह असल जि़ंदगी में कैसे हैं?

मैं हप्पू टाइप तो बिल्कुल भी नहीं हूं। न्यौछावर नहीं मांगता हूं। बहुत मस्त रहने वाला इंसान हूं। जब शूटिंग नहीं होती है तो घर बैठकर फिल्में देखता हूं। बीएससी के टाइम पर अपने 4 दोस्तों के साथ मैं मुंबई आया था और हमने 4 रातें रेलवे स्टेशन पर ही बिताई थी।

- आपके फेवरिट एक्टर कौन हैं?

मुझे गोविंदा, परेश रावल, आमिर खान और काजोल बहुत पसंद हैं। मैं बचपन से ही गोविंदा का बहुत बड़ा फैन रहा हूं। उनकी हर एक फिल्म देखता था।

-क्या बचपन से एक्टिंग करने का सोचा था?

मुझे बचपन से एक्टर बनने का ही शौक था। मेरी फैमिली में मेरे पापा, भाई, बहन ये सभी यूपी में फिजिक्स के टीचर हैं। बचपन से ही मैंने अपनी फैमिली में सबको टीचर बनते देखा है। घर में पढ़ाई के अलावा कभी कोई बात ही नहीं होती थी। मैंने खुद गणित से बीएससी की है।

-मुंबई में आपका सफर कैसा रहा?

मुंबई आकर मैंने एक साल तक खूब ऑडिशन दिए मगर कहीं बात नहीं बनी। फिर मुझे क्लोरोमिंट का एड मिला। इसके बाद मैंने तकरीबन 47 एड फिल्म में काम किया। फिर एक दिन डायरेक्टर शशांक बाली की नज़र मुझ पर गई। उस समय वो एफआईआर कर रहे थे। फिर उसके बाद मैंने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा।

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एक्टिंग को निखारता है थियेटर : रोहिताश

- आपने गंभीर व कॉमेडी दोनों रोल किए है, आप खुद को किस रोल में करीब पाते हो

मैंने स्टडी के दौरान थियेटर में भी यही सीखा है कि एक कलाकार हर रंग में ढल जाता है। मुझमें भी कोई भी रंग चढ़ाने की क्षमता है। लेकिन वास्तव में मैं एक गंभीर इंसान हूं।

- एक्टिंग में थियरेटर का क्या महत्व समझते हैं

मेरा मानना है कि थियेटर के बिना कुछ नहीं है। एक एक्टर जितना थियेटर करता है। उसको किसी भी सिचुएशन में ढल जाने की कला उतनी बखूबी आती है।

- क्या कभी आपकी स्क्रिप्ट पर काम करने के दौरान अपनी अंदरुनी प्रतिभा निकलती है।

हां कभी कभार स्क्रिप्ट पर काम करते हुए कई बार हम अपने डायलॉग भी एड कर देते है, लेकिन वो फिट बैठते हैं।

- आपको पहले वाली अंगूरी और अब वाली में किनके साथ काम करने में मजा आता है।

लुक वाइज बात करुं तो मैं पहले वाली अंगूरी को मिस करता हूं। पहले वाली अंगूरी जबरदस्त थी। लेकिन वो अपने अहंकार की वजह से आज अपने घर बैठी है।

- क्या आपको नहीं लगता नाटक में देवर भाभी के रोल का मजाक बना है इससे रिश्ते को ठेस पहुंची है।

नहीं, ऐसा नहीं है क्योंकि उसमें कोई अनुचित शब्दों का यूज नहीं होता है। मर्यादा को रखकर ही लोगों को हंसाने के लिए केवल देवर भाभी के रियल लाइफ के मजाक ही दिखाए गए है।

- चुनाव को लेकर आप क्या सोचते हैं

नहीं, अपनी एक्टिंग की दुनिया से हमें चुनाव या बाहरी दुनियां की बातों के लिए समय ही नहीं मिल पाता है।