-खत्म हुआ स्लीपर और जनरल कोच का भेदभाव

-दिल्ली, पंजाब की ट्रेनों में हलकान हो रहे यात्री

GORAKHPUR:

त्योहारों के बाद यात्रियों को होने वाली समस्या का समाधान नहीं हो सका है। बिहार से वाया गोरखपुर दिल्ली और पंजाब की ओर जाने वाली रेलगाडि़यों में ठूंसकर पैंसेजर्स सफर कर रहे हैं। स्लीपर क्लास की हालत जनरल से बदतर हो गई है। ईद की छुट्टियों में घर गए लोगों के लौटने से प्राब्लम दोगुनी हो गई है।

स्लीपर से लेकर जनरल तक मची मारामारी

रविवार को कटिहार से चलकर अमृतसर जाने वाली आम्रपाली एक्सप्रेस दोपहर एक बजे जंक्शन पर पहुंची। ट्रेन के पहुंचते ही सवार होने की मारामारी मच गई। ट्रेन के हर डिब्बे में लोग पहले से भरे थे। जनरल से लेकर सेकेंड क्लास स्लीपर कोच में पब्लिक इस कदर ठूंसी हुई थी जैसे कोई लोकल ट्रेन चल रही हो। ट्रेन में ठसाठस भीड़ की हालत यह थी कि जिसे जहां जगह मिल रही थी। वहीं पर खड़ा हो जा रहा था। यह तय कर पाना काफी मुश्किल था कि किसकी कौन सी बर्थ है। हर बर्थ पर लोग जैसे-तैसे बैठे थे। आलम यह था कि जो भीतर था वह पानी लेने के लिए नीचे नहीं उतर पा रहा था। पैंसेजर्स की भीड़ में उमस भरी गर्मी परेशान कर रही थी। यात्रियों की भीड़ में कोच में लगे पंखे भी दगा दे रहे थे। गोरखपुर के यात्री बमुश्किल ही ट्रेन में चढ़ पाए। लोगों को काफी भागदौड़ करनी पड़ी।

उतार दिया मछली, झींगा बैठना हुआ मुश्किल

रेलवे स्टेशन के प्लेटफॉर्म नंबर एक पर जीआरपी थाना के करीब मछली और झींगा उतारकर जिम्मेदार भूल गए। दोपहर में पांच-छह बोरियों में पैक सामान लावारिस हाल पड़ा रहा। पैकेज से उठने वाली बदबू से पैंसेजर्स को काफी परेशानी उठानी पड़ी। हवा के झोंके संग जितनी दूर तक महक जाती थी। उतनी दूर तक पैंसेजर्स को नाक-मुंह मूंदना पड़ता था। जीआरपी थाना के आसपास बेंच पर बैठे पैंसेजर्स को नाक पर कपड़ा रखकर ट्रेन के आने का इंतजार करना पड़ा। भीषण गर्मी और लू की वजह से प्लेटफॉर्म पर बैठना मुश्किल हो जा रहा है। रेलवे स्टेशन पर लगे पंखों की रफ्तार इतनी नहीं कि गर्मी को शांत कर सके।