- इलाहाबाद में पेंडिंग हैं मानवाधिकार के एक दर्जन से अधिक मामले

- संविधान में प्रदत्त मौलिक अधिकारों का हनन है आम बात

- 27 से 29 जनवरी तक मानवाधिकार आयोग के सदस्य करेंगे मामलों की सुनवाई

ALLAHABAD: देश में संविधान का गठन जन को उनके मौलिक अधिकारों को दिलाने के लिए किया गया था। इसी संविधान लागू किए जाने की खुशी को हम हर साल ख्म् जनवरी के रूप में मनाते हैं। इस बार भी हर जगह स्कूलों में प्रभात फेरियां निकाली जाएंगी, झंडारोहण होगा और राष्ट्रीय पर्व पर सार्वजनिक अवकाश घोषित किया जाएगा। लेकिन, क्या आपको पता है कि संविधान में आपको कौन-कौन से मौलिक अधिकार प्रदान किए गए हैं। कहीं आपके इन अधिकारों का हनन तो नहीं हो रहा है। फिलहाल, ऐसा हो रहा है, क्योंकि मानवाधिकार आयोग की मौजूदा रिपोर्ट इसी ओर इशारा कर रही है।

केवल इलाहाबाद में हैं क्भ् मामले

बता दें कि केवल इलाहाबाद में मानवाधिकार हनन के क्भ् मामले पेंडिंग हैं। जिनका निराकरण अभी तक नहीं हो सका है। इसके अलावा प्रतापगढ़ में दो, चित्रकूट में तीन, फतेहपुर में पांच, कौशांबी से एक, बांदा में क्ख्, फैजाबाद में पांच, अंबेडकर नगर में चार और सुल्तानपुर में पांच मामले अभी अनसुलझे हैं। इनमें एससी-एसटी-ओबीसी, सजा या कस्टडी के दौरान कैदियों की मौत, महिला उत्पीड़न, सेक्सुअल हरेशमेंट ऑन वर्क प्लेस, लेबर एक्ट से जुड़े केसेज शामिल हैं।

आप भी जानिए आपने मौलिक अधिकार

हमे आजाद हुए म्7 साल हो गए हैं और संविधान को लागू हुए म्ब् साल। बावजूद इसके बहुत से लोग ऐसे हैं जिनको अपने मौलिक अधिकारियों की जानकारी नहीं है। यह वह अधिकार हैं जिन पर देश की जनता का पूरा हक है। अगर कोई इन अधिकारों के रास्ते के बीच में आ रहा है तो इसके खिलाफ पुलिस और मानवाधिकार आयोग में शिकायत दर्ज कराई जा सकती है। आइए हम बताते हैं कि कौन-कौन से हैं छह मौलिक अधिकार-

- समानता का अधिकार

- स्वतंत्रता का अधिकार

- शोषण के विरुद्ध अधिकार

- धर्म की स्वतंत्रता का अधिकार

- संस्कृति व शिक्षा संबंधी अधिकारी

- संवैधानिक उपचारों का अधिकार

उठा सकते हैं आवाज

मानवाधिकार आयोग द्वारा सर्किट हाउस में ख्7 से ख्9 जनवरी के बीच कैंप का आयोजन किया जा रहा है। जिसमें इलाहाबाद समेत नौ जिलों में पेंडिंग मामलों की सुनवाई की जाएगी। कैंप में मानवाधिकार आयोग के सदस्य एससी सिन्हा, सीके त्यागी, ज्वाइंट रजिस्ट्रार (लॉ) एके पाराशर सहित अन्य अधिकारी शामिल होंगे। उप्र शासन के वरिष्ठ अधिकारी भी लखनऊ से शिरकत करेंगे। साथ ही मानवाधिकारों के लिए काम करने वाले एनजीओ के साथ भी बैठक की जाएगी।