-जेसीडीआर, सीसीएल आंधप्रदेश, तेलंगना, एफ ईडीआर बंगाल, पीयूडीआर दल्ली के अलावे पत्रकार और वकील समेत 32 लोग थे शामिल

-सतबरवा थाना एरिया के बकोरिया में पुलिस के साथ मुठभेड़ में मारे गए थे 12 माओवादी

क्कन्रुन्रू : राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग की टीम ने शनिवार को सतबरवा थाना एरिया के बकोरिया के भलवही नाला के पास घटना स्थल पर पहुंचकर मामले की जांच की। जांच टीम ने पुलिस-माओवादी मुठभेड़ को फर्जी बताया है। इस टीम में जेसीडीआर झारखंड, सीसीएल आंधप्रदेश, तेलंगना, एफ ईडीआर बंगाल, पीयूडीआर दिल्ली के अलावे स्वतंत्र पत्रकार, वकील, छात्र संगठन के लगभग 32 लोगों शामिल थे। गौरतलब है कि 8 जून की रात सतबरवा प्रखंड के भलवही नाला के समीप 12 माओवदी मुठभेड़ में मारे गए थे।

जांच के बाद होगा खुलासा

टीम का नेतृत्व जेसीडीआर झारखंड के अध्यक्ष शशिकांत पाठक ने किया। उन्होंने बताया कि अभी तक जांच में पाया गया कि मारे गए सभी लोगों के सीने व पेट में तीन से चार गोली लगी थी। पुलिस का मानना है कि मारे गए लोगों का शव सौ गज की दूरी पर पड़ा था। किसी भी दृष्टि से यह साबित नहीं होता है कि इस जगह पर कभी मुठभेड़ भी हुआ हुई थी। घटना स्थल पर खून के धब्बे आज भी बिखरे हुए है यह साफ साबित होता है कि सभी 12 लोगों को नजदीक से गोली मारी गई है। यह कैसा मुठभेड़ था कि पुलिस को एक खरोंच तक नहीं आई। पूरे मामले का खुलासा जांच के बाद किया जाएगा। जांच की और भी प्रक्रिया बाकी है।

ये भी पहुंचे जांच में

झारखंड स्टेट के स्कूटिव मेंबर (पीयूसीएल) के सदस्य शेषनाथ बारनवाल ने चार सदस्यीय टीम के साथ शनिवार को मुठभेड़ स्थल पर पहुंचे। यहां उन्होंने इस घटना के बारे में कहा कि डीजीपी डीके पांडेय ने पलामू प्रमंडल के पुलिस पदाधिकरियों को पुरस्कार देकर मानवाधिकार आयोग के गाईड लाईन का उल्लंघन किया है। माओवादी बताकर मारे गए 12 लोगों के चंद घंटे बाद ही एक-एक लाख रूपए पुलिस को पुरस्कार दिया गया है। यह कैसा न्याय है। यह देखते हुए कि सभी के सीने, कमर, पेट व कनपटी पर डेढ़ इंच से लेकर तीन इंच तक का हाल बना है। टीम के अरविंद अविनाश ने कहा कि पुलिस अपनी वाह-वाही लेने के लिए मुठभेड़ का रूप दिया। यह साफ साबित हो रहा है जांच चल रही है। अभी ज्यादा भी कुछ कहना मुनासिब नहीं है। पीयूसीएल के फ ादर स्टेन, अशोक झा मुख्य रूप से टीम में शामिल थे।