-- लाखों रुपए केडीए में भरने और रजिस्ट्री के बाद नहीं मिल पा रहा एलॉटीज को प्लॉट

- रजिस्ट्री के बाद भी कथित जमीन मालिक जवाहरपुरम में नहीं बनाने दे रहे एलॉटीज को मकान

- हाइवे सिटी स्कीम में भी प्लॉट हैं फंसे, डेवलप व‌र्क्स भी बाधित, एलॉटी लगा रहे चक्कर

KANPUR: जमीन के खेल में केवल राष्ट्रपति के घर को जाने वाली सड़क ही नहीं फंसी, बल्कि सैकड़ों की संख्या एलॉटी भी फंसे हैं। जिन्होंने अपने जीवन भर की कमाई से घर का सपना पूरा करने के लिए केडीए से प्लॉट लेकर रजिस्ट्री कराई, पर जब कब्जा लेने गए या फिर मकान बनाने पहुंचे तो उन्हें कथित जमीन मालिकों ने भगा दिया। जिससे एलॉटी अपने आपको ठगा महसूस कर रहे हैं और केडीए से जमीन खाली कराने के लिए गुहार लगा रहे हैं।

बीच में प्राइवेट जमीन का फायदा

दरअसल केडीए की ग्राम समाज और अरबन सीलिंग की जमीनों के बीच-बीच में प्राइवेट लोगों की भूमि भी है। इसका फायदा केडीए के प्रॉपर्टी सेक्शन के इम्प्लाई उठाते हैं। जमीन पर कब्जा लिए बगैर ही केडीए हाउसिंग स्कीम का खाका खींच देता है। ले आउट तैयार कर प्राइवेट जमीनों पर रोड, ड्रेनेज आदि नेटवर्क की प्लानिंग कर ली जाती है। यही नहीं प्लॉट भी काटकर लोगों को एलॉट कर देते हैं। जमीन विवादित होने की परवाह किए गए बगैर रजिस्ट्री तक कर देते हैं। इसके बाद जमीन मालिकों से मिलीभगत कर विवाद को तूल देकर मुआवजे का खेल शुरू करा देते हैं। इस बीच केडीए के डेवलपमेंट व‌र्क्स हो जाने से लाखों रुपए की जमीन की कीमत करोड़ों में पहुंच जाती है।

समझौते का किया जाता 'खेल'

यही खेल हाइवे सिटी, जवाहरपुरम, जरौली, पोखरपुर आदि हाउसिंग स्कीम में हुआ है। हाइवे सिटी योजना में जमीन मालिकों के विरोध की वजह से सैकड़ों एलॉटी परेशान है। उन्हें जमीन पर कब्जा नहीं मिल रहा है। मुआवजे का खेल चल रहा है। लंबे समय से डेवलपमेंट व‌र्क्स भी ठप पड़े हुए हैं। मुआवजे के इस खेल में केडीए के ऑफिसर तक शामिल रहते हैं। इसका खुलासा राष्ट्रपति के घर को जाने वाली मकड़ीखेड़ा वाली जमीन के मुआवजे के खेल में सामने आ चुका है। इसी तरह जवाहरपुरम के सैकड़ों एलॉटी रजिस्ट्री के बाद भी मकान बनाने का काम शुरू नहीं करा पा रहे हैं। उन्हें कथित जमीन मालिक मकान नहीं बनाने दे रहे हैं। अब एलॉटीज के पास केडीए के चक्कर लगाने के अलावा और कोई विकल्प नहीं है।

बॉक्सपीडीएफ

अब जांच फाइनेंस कन्ट्रोलर करेंगे

बैरी अकबर बांगर जमीन के मामले में गड़बड़ी करने वाले 5 अमीनों को केडीए निलंबित कर चुका है। केडीए वीसी किंजल सिंह ने इस मामले की जांच की जिम्मेदारी केडीए के फाइनेंस कन्ट्रोलर वीके लाल को सौंपी है। इस मामले में शामिल 6 तहसीलदारों और इंजीनियरों के खिलाफ विभागीय कार्रवाई के लिए आरोप पत्र राजस्व परिषद और आवास विभाग को भी भेज दिए गए हैं।