संरक्षण के लिए समग्र योजना

न्यायमूर्ति मदन बी. लोकूर की अध्यक्षता वाली पीठ ने ताज संरक्षित क्षेत्र में मल्टी लेबल पार्किंग बनाने के लिए 11 पेड़ काटने की उत्तर प्रदेश सरकार की अर्जी पर सुनवाई के दौरान यह टिप्पणी की। पिछली सुनवाई में शीर्ष अदालत ने राज्य सरकार को ताजमहल के संरक्षण के लिए समग्र योजना पेश करने को कहा था। इसके साथ ही कोर्ट ने ताज संरक्षित क्षेत्र अथारिटी (टीटीजेड) से भी इस बाबत योजना मांगी थी।

तो ऐसे सैकड़ों साल तक संरक्षित रहेगा ऐत‍िहास‍िक स्‍थल ताजमहल,पढ़ें कैसे साफ हो रहा है संसद भवन

ताज को संरक्षित करने के उपाय

हाल ही में प्रदेश सरकार की पैरवी कर रहे एएसजी तुषार मेहता और एएजी ऐश्वर्या भाटी ने पीठ से कहा कि राज्य सरकार ताज के संरक्षण को लेकर सचेत है और उसने अदालत में योजना पेश की है। ताज संरक्षित क्षेत्र में बैटरी चलित वाहन ही चलेंगे। पेड़ लगाए जाएंगे। यमुना में रबर डैम बना कर ताजमहल के लिए पानी का स्तर बनाए रखने का इंतजाम किया जाएगा। उन्होंने रिपोर्ट में ताज को संरक्षित करने के और भी कई उपाय बताए।

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अल्पकालिक उपाय से कुछ नहीं

पीठ ने उनकी दलीलों पर कहा कि ये सब अस्थाई और अल्पकालिक उपाय हैं। इससे कुछ नहीं होगा। ये उपाय बहुत काम के नहीं हैं। ताजमहल को अगली पीढिय़ों के लिए सैकड़ों साल तक संरक्षित रखना है। इसके लिए स्थाई और दीर्घगामी योजना बनाई जानी चाहिए। पीठ ने कहा कि इसमें सिर्फ नौकरशाहों को ही शामिल नहीं किया जाए, बल्कि इस क्षेत्र के विशेषज्ञ, पर्यावरण और संस्कृति के जानकारों की भी मदद ली जाए।

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आठ सप्ताह का समय दिया गया

इसके अलावा शीर्ष कोर्ट ने प्रदेश सरकार से आठ सप्ताह में योजना पेश करने को कहा है। जब प्रदेश सरकार की ओर से कहा गया कि वह पेड़ काटने के बदले नए पौधे लगाते हैं, तो पीठ का कहना था कि जो पौधे लगाए जाते हैं उनमें से 75 फीसद सूख जाते हैं। प्रदेश सरकार का कहना था कि उसने पूरे टीटीजेड जोन को संरक्षित घोषित किया है।  

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संसद भवन की वेपर से सफाई

भारतीय लोकतंत्र के गौरव के प्रतीक संसद भवन को अब अपनी 90 साल पुरानी चमक जल्द ही मिलने वाली है। फिलहाल इसके लिए दुनिया की सबसे आधुनिक वेपर (वाष्प) तकनीक का इस्तेमाल होगा जो बगैर किसी क्षति के पत्थरों के पुराने स्वरूप को प्रदान करती है। दावा है कि इस तकनीक का अब तक रोम के कैथोलिक चर्च को चमकाने में इस्तेमाल किया गया है। चार मंजिला अद्र्ध गोलाकार संसद भवन को चमकाने की यह पहल उस समय शुरू की गई है, जब उसकी बाहरी दीवारों पर लगे पत्थर प्रदूषण और धूप के चलते बदरंग होने लगे हैं।

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पूरा होने में लंबा समय लगेगा

भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआइ) और इंटेक की देखरेख में संसद भवन को चमकाने का यह काम वैसे तो शुरू हो गया है, लेकिन इस काम को पूरा होने में लंबा समय लगेगा। यह इसलिए क्योंकि संसद सत्र के दौरान यह काम बंद रहेगा। ऐसे में जब खाली समय मिलेगा, तभी काम होगा। संसद भवन को पुरानी चमक में वापस लौटने के अभियान में जुटे इंटेक से जुड़े एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि फिलहाल वेपर तकनीक के पहले चरण का काम पूरा कर लिया गया है। अगले चरण में भवन के बाकी बचे बाहरी हिस्से और अंदर के हिस्से को साफ किया जाएगा।  

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