KANPUR : बिस्कुट कारोबारी की बहु ज्योति के अन्तिम संस्कार के अगले दिन उसके पिता शंकर लाल नागदेव मीडिया के सामने आए। उन्होंने खुलकर दामाद पीयूष के ज्योति से अनबन रहने के बारे में बताया। उन्होंने ज्योति के अन्तिम संस्कार के बाद पीयूष से बात की थी। जिसमें पीयूष उनके सवालों का जवाब नहीं दे पाया। जिससे उनका शक और बढ़ गया। उन्होंने बताया कि पीयूष किसी लड़की के चक्कर में था। वो ज्योति के साथ अच्छा बर्ताव नहीं करता था। पीयूष के पिता दोनों के बीच पड़ी दरार को खत्म करने की कोशिश कर रहे थे, लेकिन वो कामयाब नहीं हुए। ज्योति ने उन्हें खुद बताया था कि पापा पीयूष को समझाते है, लेकिन उन्होंने लड़की से बात करना बन्द नहीं किया। आईजी से बातचीत के बाद उन्होंने पुलिस की जांच पर भरोसा जताया। साथ ही पीयूष के बचाव में सियासी रसूख से दबाव बनाने पर सीबीआई जांच कराने तक की बात भी कही। उन्होंने यह दावा भी किया कि अगर जरूरत पड़ी तो मेरे पास भी पीयूष के खिलाफ काफी सबूत हैं जिन्हें पुलिस को सौंप सकता हूं।

परिजनों को भी पीयूष की करतूत के बारे में पता था।

ज्योति के पिता ने पीयूष के पापा ओम प्रकाश को उसकी हरकतों के बारे में बताया था। जिसके बाद से सभी लोग उसकी गलत हरकत के बारे में जान गए थे। हालांकि ओम प्रकाश ने इससे साफ इन्कार कर दिया है। उन्होंने अपने बेटे के किसी लड़की से संबंध होने की बात से इन्कार किया है।

दर्जा प्राप्त मंत्री जांच को प्रभावित कर रहे

ज्योति के पिता शंकरलाल नागदेव ने पीयूष पक्ष की ओर से घटना के बाद से अंतिम संस्कार तक साथ रहे दर्जा प्राप्त राज्य मंत्री सुखराम सिंह यादव को भी कटघरे में खड़ा किया। उन्होंने जांच में पुलिस पर दबाव बनाने का आरोप भी लगाया। साथ ही यह भी कहा कि पीयूष के पिता के पार्टनर के बेटे की शादी मैनपुरी में हुई है। वह मुख्यमंत्री के परिवार के सदस्य की तरह है।

रेस्टोरेंट से कुछ ही दूरी पर हुआ था कत्ल

बिस्कुट कारोबारी की बहु ज्योति का कत्ल पनकी में नहीं हुआ था, बल्कि रेस्टोरेंट के बाहर निकलने के छोड़ी देर बाद कार में उसका कत्ल कर दिया गया था। रेस्टोरेंट के आगे कुछ दूरी पर कातिल ने उसको बहाने से कार की बैक सीट पर बैठाया। जिसके बाद उसने चाकू से उस पर ताबड़तोड़ वार किए। ज्योति के बचने की कोशिश की, लेकिन कातिल ने उसको काबू में करने के लिए लगातार चेहरे पर वार किए। पोस्टमार्टम रिपोर्ट के मुताबिक कत्ल भले ही एक व्यक्ति ने किया हो लेकिन वहां और भी लोग मौजूद थे। जिन्होंने लाश और कार दोनों को पनकी पहुंचाया।

आखिरी दम तक पीयूष को बचाने की कोशिश

ज्योति के पिता ने पहले ही एक दर्जा प्राप्त राज्य मंत्री पर पुलिस पर दबाव बनाने का आरोप लगाया था। इसके अलावा कई रसूखदार व्यापारियों से लेकर नेता भी बंगले पहुंचे थे। वहीं मंगलवार को भी जब पुलिस पीयूष को हिरासत में लेने बंगले पर पहुंची तो शहर के रसूखदार व्यापारी मलिक विजय कपूर भी वहां पहुंच गए। वो पीयूष के बंगले से निकलते समय से लेकर वह स्वरुप नगर थाने में भी काफी समय तक रहे। एक बार तो उन्होंने पीयूष से पूछताछ के दौरान अंदर जाने की भी कोशिश की लेकिन उन्हें रोक दिया गया।

प्रेमिका कर रही थी कोऑर्डिनेट

आईजी आशुतोष पांडेय ने बताया कि पीयूष और उसकी प्रेमिका के बीच लगातार रेस्ट्ररां में हत्या के पहले और बाद में मैसेजिंग व बातचीत हुई। अगर वारदात में कई लोग शामिल थे। तो क्या प्रेमिका उन लोगों से कोआर्डिनेट कर रही थी। आईजी ने इस ओर इशारा करते हुए कहा कि पीयूष के इन लोगों से बातचीत का रिकार्ड नहीं मिला है इससे संभावना बनती है कि प्रेमिका ने वारदात में शामिल दूसरे लोगों के साथ कोआर्डिनेट किया हो।

दूसरे दिन की टाइम लाइन

सुबह क्0.क्भ् बजे - ज्योति के पिता शंकर लाल ने पीयूष पर आरोप लगाया।

क्ख्.फ्0 बजे- पीयूष और उसके परिवार वाले अपने बचाव में आते हुए मीडिया से मुखातिब हुए

क्.ब्भ् बजे- सीओ स्वरुप नगर और एसओ ज्योति के मां-बाप के बयान लेने पहुंचे

ख् बजे- पीयूष के परिजन भी ज्योति के मां- बाप से मिलने पहुंच गए

ख्.भ्भ् बजे- ज्योति के मां- बाप के बयान के बाद पुलिस अधिकारी पीयूष को हिरासत में लेने के लिए बढ़े लेकिन वापस लौट गए

फ्.क्0 बजे- सीओ और एसओ दोनों अपने सरकारी वाहनों से पीयूष के बंगले हिरासत में लेने पहुंचे

फ्.ब्भ् बजे- पीयूष को हिरासत में लेकर स्वरुपनगर सीओ के ऑफिस में पूछताछ शुरु

म् बजे- पीयूष की प्रेमिका को पुलिस ने हिरासत में लिया

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वेलडन, आईजी साहब

ऑफिसर के जिगर में दम हो और दिमाग में धार तो फिर न तो कोई कातिल बच सकता है और न ही सत्ता का दबाव सच्चाई को छिपवा सकता है। कानपुर जोन के आईजी आशुतोष पाण्डेय ने ज्योति मर्डर केस का खुलासा करके शहर की पुलिस को ही आईना दिखा दिया है। पिछले कई केस में किरकिरी करा चुकी पुलिस को आईजी ने दिखाया कि केस सॉल्व कैसे किया जाता है।

चाहे लालित्यम साड़ीज के ओनर के मर्डर का मामला हो या फिर सपा नेता की पत्नी की हत्या का मामला हो। इन दोनों केसेज में शहर पुलिस की अपराधी को पकड़ने के बजाए उसे बचाते हुए कमजोर मोहरे को आरोपी बनाते हुए नजर आई। पर ज्योति मर्डर केस में ऐसा नहीं हुआ क्योंकि कमान खुड आईजी ने संभाल ली थी। ज्योति के पिता ने बताया कि उनके कानपुर पहुंचने से पहले इलाहाबाद में ही उनके पास आईजी का फोन पहुंच गया था और वो तब से लगातार उनके सम्पर्क में थे। आरोपी पीयूष के परिवार के शहर के रसूखदार लोगों से सम्बन्ध हैं और सत्ता का पूरा दबाव को पीयूष बचाने के लिए लगा दिया गया। लेकिन आईजी नहीं झुके .वेलडन, आईजी साहब।