-मसूरी के माधव भारद्वाज ने किया एडवांस क्लियर

-फिजिकली डिसेबल होने के बाद भी पाई 239 रैंक

-आईआईटी के बाद आईएएस बन पिता का सपना करेंगे पूरा

DEHRADUN : हाथों की लकीरों में किस्मत होती है, ये वहम है तेरा क्योंकि किस्मत तो उनकी भी होती है, जिनके हाथ नहीं होते। इन लाइंस को मसूरी के माधव भारद्वाज ने चरितार्थ करके दिखा दिया है। दोनों हाथों से विकलांग माधव ने जेईई एडवांस में ख्फ्9 रैंक हासिल का स्टेट का गौरव बढ़ाया है। माधव आईआईटी के बाद आईएएस ऑफिसर बनकर अपने पिता का सपना पूरा करना चाहते हैं।

ट्वेलथ में 97.भ् परसेंट

मसूरी के माधव भारद्वाज ने अपनी हिम्मत और हौसले के दम पर जेईई एडवांस में सफलता हासिल की है। मसूरी के कैमल बैक रोड के पास रहने वाले माधव भारद्वाज ने आईआईटी के लिए हुए जेईई एडवांस में जनरल फिजिकली डिसेबल्ड कैटेगरी में ख्फ्9 रैंक हासिल की है। इस रैंक के साथ माधव देश के टॉप संस्थानों में से एक आईआईटी में एडमिशन लेंगे। वह अपनी इस सफलता के पीछे टीचर्स और पेरेंट्स की बेहतर गाइडेंस को श्रेय देते हैं। माधव ने मसूरी के वाइनबर्ग एलन स्कूल से 97.भ् परसेंट के साथ ट्वेल्थ पास की।

फैमिली का रहा सपोर्ट

माधव अपने परिवार में इकलौते हैं। माधव के फादर रामचंद्र भारद्वाज एयरफोर्स से वारंट ऑफिसर पद से रिटायर्ड हैं। इसके अलावा वह एलबीएस नेशनल एकेडमी ऑफ एडमिनिस्ट्रेशन में बतौर इंस्ट्रक्टर भी काम कर चुके हैं। देश के बेहतरीन आईएएस ऑफिसर बनाने के बीच उन्होंने अपने बेटे को भी आईएएस ऑफिसर बनाने का ख्वाब देखा, जिसे आज माधव फिजिकली हैंडिकैप्ड होने के बाद भी अपने हौसलों से पूरा कर रहा है। माधव का कहना है कि आईआईटी में कंप्यूटर साइंस से बीटेक करने के बाद वह सिविल सर्विसेज की तैयारी करेंगे। ताकि वह अपने फादर के सपनों को पूरा कर सकें।

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कई जगह कराया इलाज

फादर राम चंद्र ने बताया कि माधव बचपन से फिजिकली डिसेबल्ड है। देश के बड़े मेडिकल संस्थानों में इलाज भी कराया, लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ। उन्होंने बताया कि नॉर्मली किसी इंसान के हाथ में दो हड्डी होती है, लेकिन माधव के हाथ में केवल एक ही हड्डी होने के कारण प्रॉब्लम ज्यादा है। हालांकि एम्स में डॉक्टर्स ने उन्होंने ऑपरेशन की बात कही थी, जिसके बाद माधव के ठीक होने के चांसेज काफी ज्यादा थे। लेकिन, इसके साथ ही कुछ परसेंट चांसेज दोनों हाथों के पूरी तरह से बेकार हो जाने के भी थे। इसी डर से माधव की मॉम माला भारद्वाज ने ऑपरेशन के लिए मना कर दिया। आज बेटे की सक्सेस से माधव के मॉम और डैड दोनों काफी खुश हैं।