पांच भारतीय कंपनियां बनाने पर कर रहीं विचार

विमानों जैसी रफ्तार वाली हाइपरलूप ट्रेन प्रणाली को हकीकत की जमीन पर उतारने में पांच भारतीय कंपनियों ने दिलचस्पी दिखाई है। इनमें डिनक्लिक्स ग्राउंडवर्क्स कंपनी दिल्ली-मुंबई हाइपरलूप का निर्माण करना चाहती है। हाइपरलूप ट्रेन 1317 किलोमीटर की इस दूरी को मात्र 55 मिनट में पूरा करेगी। अन्य कंपनियों में ऐकॉम ने 334 किलोमीटर लंबे बंगलूर-चेन्नई रूट का प्रस्ताव दिया है। हाइपरलूप यह दूरी केवल 20 मिनट में तय करेगी। लक्स हाइपरलूप नेटवर्क ने बेंगुलुरु-तिरुवनंतपुरम के 636 किलोमीटर के रूट में रुचि दिखाई है। हाइपरलूप इसे 41 मिनट में तय करेगी।

पूरी दुनिया में हो रही चर्चा

इन सभी कंपनियों ने हाइपरलूप ट्रेनों के जरिये यात्री एवं माल परिवहन में सालाना 15 फीसद बढ़ोतरी का अनुमान लगाया है। हाइपरलूप तकनीक में अग्रणी कंपनी हाईपरलूप-वन ने दुनिया भर के देशों से इस तकनीक की परियोजनाओं में भाग लेने के लिए आमंत्रित किया था, जिसके जवाब में 90 देशों से 2600 कंपनियों ने अपने प्रस्ताव भेजे थे। इनके मूल्यांकन के बाद जिन 26 अरब डॉलर के संभावित निवेश वाले 35 प्रस्तावों को गंभीर माना गया है। इनमें भारत की सर्वाधिक कंपनियां शामिल हैं।

हवाई जहाज से भी तेज! सिर्फ 30 मिनट में पहुंचिए मुंबई से चेन्‍नई

इस तरह चलेगी यह ट्रेन

हाइपरलूप तकनीक अभी अभिकल्पना के स्तर पर है। इसे व्यावहारिक शक्ल दिया जाना बाकी है। लेकिन हाइपरलूप-वन को पूरा भरोसा है कि एक बार इसका पायलट प्रोजेक्ट तैयार हो गया तो यह तकनीक पूरी दुनिया में छा जाएगी।भारत के अलावा अमेरिका और दुबई में भी इस तकनीक पर काम हो रहा है। हाइपरलूप चुंबकीय शक्ति पर आधारित तकनीक है। जिसके तहत खंभों के ऊपर (एलीवेटेड) पारदर्शी ट्यूब बिछाई जाती है। इसके भीतर बुलेट जैसी शक्ल की लंबी सिंगल बोगी हवा में तैरते हुए चलती है। चूंकि इसमें घर्षण बिल्कुल नहीं होता, लिहाजा इसकी रफ्तार 1100-1200 किलोमीटर प्रति घंटे या इससे भी अधिक हो सकती है। इसमें बिजली का खर्च बहुत कम है। जबकि प्रदूषण बिल्कुल नहीं है। भारत में हाइपरलूप को बढ़ावा देने के लिए हाइपरलूप-वन की ओर से मंगलवार को राजधानी में एक सेमिनार का आयोजन किया गया था।

आसान नहीं है इसका सफर

इसमें रेल मंत्री सुरेश प्रभु तथा नीति आयोग के सीईओ अमिताभ कांत ने शिरकत की। प्रभु ने हाइपरलूप को लेकर ज्यादा उत्साह नहीं दिखाया। उन्होंने कहा "हाइपरलूप को लेकर हम "हाइपर" नहीं हैं, लेकिन इसे "लूप" में लेकर चल रहे हैं क्योंकि ऐसी नई तकनीकों को अपनाना आसान नहीं है। प्रभु फिलहाल बुलेट ट्रेन और सेमी हाईस्पीड ट्रेन के प्रमोटरों को हताश नहीं करना चाहते। हालांकि हाइपरलूप-वन के कार्यकारी अध्यक्ष शेरविन पिशेवर ने प्रधानमंत्रीनरेंद्र मोदी के विजन का हवाला देते हुए हाइपरलूप को भारत के लिए जरूरी बताया।

Interesting News inextlive from Interesting News Desk

Interesting News inextlive from Interesting News Desk