द्रोणाचार्य पुरस्कार के लिए आपका नाम फाइनल कर लिया गया है। कैसा फील हो रहा है?  
जब आपको आपकी मेहनत का फल मिल जाता है, तो स्वभाविक है काफी सुकून मिलता है। द्रोणाचार्य पुरस्कार के लिए सेलेक्ट होने के बाद मैं काफी प्राइड फील कर रही हूं। ऐसा लग रहा है जैसे एक साथ भगवान ने सब कुछ दे दिया हो।

इस सम्मान का श्रेय किसे देना चाहेंगी?
सच पूछिये तो इस सम्मान का श्रेय मैं टाटा स्टील, अपनी फैमिली और आर्चरी के स्टूडेंट्स का देना चाहूंगी। एक स्टूडेंट ही अपने टीचर को ख्याति दिलाता है और इस मामले में मैं अपने-आप को काफी लकी मानती हूं कि मेरे सभी स्टूडेंट्स ने काफी मेहनती और प्रतिभावान हैं।

इस सम्मान में दीपिका का कितना योगदान रहा?  
कहते हैं कि एक गुरु की पहचान उसके शिष्य से होती है। इस सम्मान में दीपिका का काफी अहम योगदान रहा है। उसने सिर्फ मुझे ही नहीं बल्कि पूरी कंट्री को आर्चरी में काफी गौरवान्वित किया है। हालांकि मेरे बाकी स्टूडेंट्स भी काफी प्रतिभाशाली हैं और मुझे   सभी से काफी उम्मीदें है।

एक प्लेयर से लेकर एक कोच तक का सफर कैसा रहा?
जब मैं केवल एक आर्चरी प्लेयर थी, तो शुरुआती दौर में मुझे काफी प्राब्लम हुई। ग्रोइंग पीरियड में ही मेरी शादी हो गई थी, लेकिन मेरी फैमिली और मेरे हसबैंड ने मुझे काफी सपोर्ट दिया। आज भी मेरे काम को लेकर मेरी फैमिली मुझ पर काफी प्राइड फील करती है और मेरा सपोर्ट करती है। यहां तक पहुंचने में मेरी फैमिली का अहम रोल है।

टाटा स्टील के सपोर्ट का इस सम्मान में कितना योगदान रहा?
टाटा स्टील ने स्पोट्र्स को काफी प्रमोट किया है। हमें अपने गेम को एनहैंस करने के लिए टाटा स्पोट्र्स की ओर से न केवल बेहतर फैसिलिटीज मिलीं, बल्कि इकोनॉमिकली भी काफी सपोर्ट मिला। एक प्लेयर से लेकर कोच तक की जर्नी में टाटा स्पोट्र्स ने हर कदम पर मुझे सपोर्ट किया। इस सम्मान को पाने में टाटा स्पोट्र्स का भी अहम योगदान है।

झारखंड में आर्चरी का फ्यूचर कैसा नजर आ रहा है?  
झारखंड इस समय आर्चरी के मामले में सबसे अव्वल है। हमारे पास दीपिका कुमारी, डोला बर्नजी, जयंत तालुकदार, रोहित बनर्जी, बॉम्बालिया और रिमिल जैसे प्लेयर्स हैं। इसके अलावा यंग स्टूडेंट्स में भी काफी प्रतिभा नजर आ रही है। मुझे लगता है सिर्फ जमशेदपुर ही नहीं पूरे स्टेट में आर्चरी का फ्यूचर काफी ब्राइट है।

क्या अगले ओलम्पिक में पदक की उम्मीद लगाई जा सकती है?
हालांकि पिछले ओलम्पिक में भारत को पदक हासिल नहीं हो सका, क्योंकि ओलम्पिक का माहौल काफी अलग होता है। वहां पर आपको एक हेल्दी और टफ कॉम्पटीशन मिलता है। आपको वल्र्ड क्लास प्लेयर्स को फेस करना पड़ता है, जिसके लिए काफी एक्सपीरियंस और टफ प्रैक्टिस की जरूरत होती है। जिस तेजी से आर्चरी में सुधार हो रहा है, उसे देखकर तो लगता है कि अगले ओलम्पिक में आर्चरी में भारत जरूर मेडल लेकर आएगा.   

यंग आर्चर्स के लिए क्या मैसेज देना चाहेंगी?
यंग आर्चर्स को मैं बस इतना कहना चाहूंगी कि अगर आपको मुकाम हासिल करना है, तो इसके लिए आपको टफ प्रैक्टिस करनी होगी। क्योंकि आज के दौर में काफी कॉम्पटीशन है, इसलिए आप खुद को जितना घिसेंगे, उतना निखार आएगा।

Report by: rajnish.tiwari@inext.co.in