विरोधियों का तर्क है कि जन लोकपाल बिल सर्वाधिकारवादी राक्षस होगा और उसे किसी भी कीमत पर पारित नहीं होना चाहिए। बिल के साथ ही कई अन्ना और उनके आंदोलन का मजाक भी उडा रहे हैं।

अवधेश कुमार सवाल करते हैं कि अन्ना अगले चुनाव तक रूक क्यों नहीं जाते। उन्हें पार्टी बनाकर चुनाव लडना चाहिए और बहुमत हासिल कर लोकपाल कानून बनाएं। वहीं स्नेहा नेगी अन्ना की तुलना हिटलर से करती हैं। जो लोकपाल के लिए अलोकतांञिक तरीका अपना रहे हैं।

वहीं दिनेश नरसिम्हा लिखते हैं कि मैं भी अपनी मर्जी का बिल तैयार करने के बारे में सोच रहा हूं। फेसबुक के अलावा ऑरकुट पर भी अन्ना विरोधी सक्रिय हैं।

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