लोग उनकी मेहनत और सक्सेस की वजह से उनसे जलते हैं, लेकिन उन्हें कई ऐसे टैग्स भी मिले हैं जिन्हें बहुत पॉजिटिव नहीं कहा जा सकता. शॉर्ट टेम्पर्ड, यकीन ना करने वाली, लोगों से जबरदस्त काम लेने वाली और भी न जाने क्या क्या. हैरत ये कि एकता इन सबसे इनकार नहंी करतीं, मगर ये भी कहती हैं कि आज वह एक बदली हुई इंसान हैं.

सक्सेस का स्वाद चखने के बाद आपकी कंपनी काफी बुरे फेज में चली गई. यहां तक कि 2008 में आपको करीब 14 करोड़ रुपए का नुकसान भी हुआ. इस फेज ने आपको क्या सिखाया?


आठ  साल की सक्सेस के बाद हमने 14 करोड़ से ज्यादा गंवा दिए. अचानक जैसे हर कदम गलत पडऩे लगा. चैनल 9, जिसमें हमारे काफी सीरियल चल रहे थे बंद हो गया. स्टार टीवी से हमारा झगड़ा हो गया. हमने एक कंपनी को फिल्में बनाने के लिए एडवांस दिया था लेकिन उस पर काम ही नहीं शुरू हो रहा था. असल में पूछना ये चाहिए कि कौन सा कदम गलत नहीं पड़ रहा था. पवित्र रिश्ता के बाद ही चीजें सुधरनी शुरू हुईं. इसके बाद मैंने महसूस किया कि अगर मैंने
गिन-गिनकर प्रपोजल लिए तो ये बहुत बड़ा रिस्क होगा. मेरे सामने दो च्वॉइस थीं, या तो मैं एक बहुत बड़ी फिल्म बनाऊं और दो करोड़ उसके प्रमोशन पर खर्च कर दूं. या मैं एक तीन करोड़ की फिल्म बनाऊं और पूरी तरह कंटेंट पर डिपेंड करूं. ब्रांड बालाजी ने दिबाकर बनर्जी की ब्रांड वैल्यू पर भरोसा किया और जो हम अभी तक करते आए थे उसके ठीक उल्टा रास्ता चुना. लोगों ने इसे नोटिस किया.

और शायद इसने आपको ज्यादा रिस्पेक्ट भी दिलाई. भले ही इसके पहले आपको टीवी क्वीन कहा जा रहा था लेकिन आपको पिछड़ा हुआ कंटेंट दिखाने के लिए क्रिटिसाइज भी किया जा रहा था...


अगर आप मुझसे पूछें तो मैं अभी भी अपने टेलीविजन के अचीवमेंट्स को लेकर ज्यादा प्राउड फील करती हूं. इतने ढेर सारे टेस्ट के लोगों के मतलब का कुछ देना कितना मुश्किल है. भले ही मैं एक मिडिल क्लास फैमिली की फाइनेंशियल सिचुएशन ना समझूं लेकिन मैं मिडिल क्लास वैल्यूज से पूरी तरह रिलेट करती हूं. मेरे कई दोस्तों ने मुझसे कहा कि मैं पिछड़ेपन के सीरियल दिखा रही हूं. मगर ये वो लोग थे जो टीवी देखते तक नहीं थे. वे कहते थे- ओह मैंने बस एक दो सीन देखे और जो भी मैंने देखा वो मुझे अच्छा नहीं लगा. मैं ऐसे लोगों को बहुत संकरी नजर रखने वाला कहूंगी. अभी भी मैं टीवी प्रोड्यूसर्स के लिए ज्यादा रिस्पेक्ट रखती हूं क्योंकि उनके पास कोई स्टार पॉवर नहीं है: उनके लिए सिर्फ कंटेंट काम करता है. ये टीवी प्रोड्यूसर किसी सलमान खान या शाहरुख खान के साथ लंच या डिनर नहीं करते. उनके पास किसी सीरियल को बनाने या बिगाडऩे के लिए सिर्फ कंटेंट होता है. पर्सनल लेवल पर कहूं तो मेरे पास टीवी पर दिखाने के लिए स्टोरी खत्म होने लगी थीं. ऐसे में सिर्फ एक मीडियम जो मेरे पास बचा वो थीं फिल्में. सिर्फ फिल्में थीं जिनमें मैं डार्क और तीखी कहानियां दिखा सकती थी. इसी में ऐसी कहानियों की गुंजाइश थी जिसमें कई लेयर्स हों. हकीकत ये है कि मैं बातों और पर्सनैलिटी में बोहेमियन हूं.

अपनी सक्सेस की पीक पर आप एक शॉर्ट टेम्पर्ड और बेसब्र इंसान थीं. क्या फेल्योर के इस पैच ने आपको थोड़ा सौम्य बनाया है?


मैं 17 साल की थी जब मैंने अपना टीवी करियर शुरू किया. अगर आप 19 साल की उम्र में एक नंबर वन शो दे रहे हों और 25 का होते-होते टीवी की एक पूरी एरा आपको डेडिकेट की जा रही हो तो जाहिर है कि आप थोड़ा ज्यादा प्राउड फील करने लगेंगे. मैंने वाकई कुछ बेवकूफी भरे डिसीजन लिए. मैंने कुछ काफी अच्छे दोस्त खो दिए क्योंकि मैंने उनसे कहा कि वे कंपनी छोड़ दें. मैं शॉर्ट टेम्पर्ड थी क्योंकि मेरे पास ढेर सारा काम था. मुझे नहीं पता था कि इन सबको कैसे मैनेज किया जाए. ये लो फेज नहीं बल्कि सक्सेस ने मुझे कुछ चीजें सिखाईं. अब जब मैं पीछे देखती हूं तो अहसास होता है कि अब मैं और सक्सेस की गुलाम नहीं बनना चाहती. मैं सक्सेसफुल होने के लिए इतनी उतावली थी कि मैंने किसी और चीज की फिक्र ही नहीं की. आज मुझे पता है कि पहले आपका एक इंसान होना जरूरी है. कल को अगर मेरी कोई फिल्म नहीं चली तो मैं डिप्रेशन की गहराइयों में नहीं जाऊंगी जैसे कि मैं पहले चली जाया करती थी. अगर मैं सक्सेसफुल नहीं हूं तो शायद दुनिया मुझे कम तवज्जो देगी लेकिन जरूरी नहीं कि दुनिया का नजरिया और मेरा नजरिया एक हो. आज सक्सेस के पहले मेरे लिए स्पिरिचुएलिटी है. इन फैक्ट गॉड पर मेरे मजबूत यकीन ने ही मेरे बुरे दिनोंं में मुझे सम्भाला है. मैं संत नहीं बन गई हूं लेकिन अब मैं पहले से ज्यादा आसानी से सॉरी बोल लेती हूं. मैंने अपने ईगो को मार दिया है और सॉरी कहना सीखा है.
 
आपके साथ ट्रस्ट इश्यूज भी थे?


मैं अभी भी ऐसा करती हूं. एक प्वॉइन्ट पर मैंने लोगों से बात करना बंद कर दिया था, सारे दरवाजे बंद करने शुरू कर दिए थे और मैं लोगों से बहुत सतर्क रहने लगी थी. मुझे लगता था कि हर कोई मेरे पीछे किसी न किसी वजह से है. तब मेरी मॉम ने कहा, अगर तुम सारे दरवाजे बंद कर लोगी तो कैसे पता चलेगा कि कोई सच्चा इंसान भी अंदर आना चाहता है? अब मुझे लगता है कि अगर आपने दरवाजे खुले नहीं रखे तो कोई जो आपके जैसा है, उसे आपके करीब आने का मौका नहीं मिल पाएगा.

अगर दरवाजा खुला है, तो आपकी लाइफ में अभी तक कोई है क्यों नहीं?


मुझे वाकई नहीं पता कि ऐसा क्यों है. इसके लिए मुझे अपने आप पर बहुत गुस्सा है. या तो मुझमें बहुत डर है या फिर सितारे सही जगह नहीं हैं. मैं किसी एक्टर के साथ इन्वॉल्व नहीं होना चाहती...

क्यों आपके डैड तो एक एक्टर थे...?


हां लेकिन मेरी मॉम प्रोड्यूसर नहीं थीं. वो दरवाजा किसी एक्टर के लिए नहीं खुलेगा.

क्या आपका स्टैंडर्ड हाई है?


नहीं. मेरा स्टैंडर्ड वाकई लो है. मगर ऐसा हुआ ही नहीं. यहां तक कि कोई फ्लर्टी सिचुएशन भी नहीं आई. पिछले एक साल से मैं किसी बंदे में दूर से भी इंट्रेस्टेड नहीं हूं. मेरे ट्रस्ट इश्यूज यहां भी आ जाते हैं. मैं अपने दिल को बस रिजेक्शन से बचाना चाहती हूं.  मैंने जिम ज्वॉइन किया और वहां वर्कआउट नहीं कर पाई क्योंकि वहां चार एस्पायरिंग एक्टर्स मेरे इर्द-गिर्द वर्क आउट करते थे. मैं फ्लाइट में होती हूं तो परसर्स मुझे अपना नंबर देते हैं. अगर मैं एक कहानी लिखूं तो मेरे पास बताने के लिए बहुत अजीब इंसिडेंट्स होंगे. मैंने बहुत कुछ सीखा है. 2005 में मुझे लगता था कि मैं कभी एक फ्लॉप फिल्म नहीं दे सकती, लेकिन आज मुझे ज्यादा फिक्र नहीं. अगर मैं फेल हो गई और आप मुझसे बात नहीं करना चाहते तो ये आपकी प्रॉब्लम है. मैं ‘लेट मी बी हैप्पी’ फेज में हूं.