दिव्यांगों के प्रति सोच बदलो सब्जेक्ट पर आई नेक्स्ट ने कराया पैनल डिस्कशन

BAREILLY:

आई नेक्स्ट द्वारा चलायी गई 'सोच बदलो' मुहिम को अब बरेली का बुद्धिजीवी तबका आगे बढ़ाने को तैयार है। समाज के जिम्मेदार हाथों ने मुहिम को थाम लिया है। संडे को आई नेक्स्ट ने मुहिम को आगे बढ़ाने के लिए पैनल डिस्कशन कराया था, जिसमें मौजूद लोगों ने 'सोच बदलो' मुहिम की न सिर्फ सराहना की बल्कि, उसे अंजाम तक पहुंचाने का वादा भी किया। लिहाजा, शहर के पब्लिक प्लेसेज पर दिव्यांगों के हक की अब ये न सिर्फ आवाज बनेंगे। बल्कि, सुविधा मुहैया कराने के लिए जिम्मेदारों को उनकी जिम्मेदारी का अहसास कराएंगे। ताकि, दिव्यांगों को आम जीवन जीने की सभी सहूलियत मिल सके, जिसको पाने के लिए उन्हें कानून में व्यवस्था है।

तन नहीं हौंसले होते हैं विकलांग - सुधीर कुमार चंदन, कवि और समाजसेवी

'बहकाओ मत शब्दों के कोरे अभिनंदन से, कर सकते हो तो करो पीर हरण तन मन से' इन्हीं पंक्तियों के साथ कवि और समाजसेवी 'सुधीर कुमार चंदन' ने दिव्यांगों की हिम्मत को बयां किया। उनके मुताबिक, सरकार द्वारा कई सुविधाएं दी जा रहीं हैं। लेकिन मशीनरी की लापरवाही के चलते पब्लिक प्लेसेज पर दिव्यांगों को उनका लाभ नहीं मिल पाता है। दिव्यांगों को उनका वाजिब हक दिलाने के लिए वह खुद से पहल करेंगे।

जन और दिव्यांग में जागरुकता जरूरी - डॉ। प्रमेंद्र माहेश्वरी, एमडी, गंगाचरण हॉस्पिटल

दिव्यांग शब्द विकलांगों में निहित हिचक दूर कर उनकी इच्छाशक्ति को मजबूत करता है। पर यह काफी नहीं। आत्मनिर्भर बनाना होगा। एजुकेशन, ट्रेनिंग और जॉब प्रोवॉइड कराना जरूरी है। ताकि उनके मन में छिपे नकारात्मक भाव दूर हो सकें। समाज में दिव्यांगों के प्रति सोच बदल रही है। बदलाव में तेजी लाने के लिए बड़े स्तर पर जागरूकता अभियान चलाना जरूरी है। इसके लिए उन्होंने फ्लेक्स और होर्डिग्स लगाने का वादा किया।

सोच बदलेगी समाज बदलेगा - सुरेंद्र बीनू सिन्हा, संस्थापक, मानव सेवा क्लब

किसी भी बड़े परिवर्तन के लिए सोच बदलना जरूरी है। विकलांगों को सरकार से मिल रही सुविधाओं के अलावा प्रत्येक व्यक्ति से सहानुभूति मिलना भी जरूरी है। लेकिन जब जनप्रतिनिधियों से ही दिव्यांगों को जल्द कोई मदद नहीं मिल पाती। तो आम आदमी से कहां तक उम्मीद की जाए। इसके लिए दिव्यांगों के प्रति समाज का नजरिया बदलना जरूरी है। क्योंकि नजरिया बदलेगा तो नजारा खुद ब खुद बदला सा नजर आएगा।

बढ़-चढ़ कर भागीदारी निभा रहे हैं दिव्यांग - चंगेज खान, प्रेसीडेंट, स्पो‌र्ट्स काउंसिल ऑफ डीफ

कुछ ऐसे भी दिव्यांग हैं, शहर में जिन्होंने कई महारत हासिल की है। शहर का नाम देश और दुनिया तक पहुंचाया है। ऐसे में अगर उन्हें पूरी सुविधाएं दी जाएं तो वह काफी ऊंची उड़ान के हकदार बन सकते हैं। लेकिन समाज में उन्हें बराबरी का दर्जा दिलाना काफी मुश्किल है। इसके लिए एनजीओ, सामाजिक संस्थाओं, स्कूलों को व्यापक स्तर पर जागरूकता अभियान चलाना होगा। ताकि नई पीढ़ी में बदलाव दिखाई दें।

दिव्यांगों की हर संभव मदद करें - डॉ। शालिनी, गायनकोलॉजिस्ट, हिन्द हॉस्पिटल

आमतौर पर देखा जाता है कि रोडवेज और रेलवे की ओर से दिव्यांगों को सुविधाएं मुहैया कराने के दावे किए जाते हैं। लेकिन जमीनी हकीकत इतर है। यहां पहुंचने पर दिव्यांगों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। केाच और सीटों पर सबल का कब्जा होता है। ऐसे में मानसिकता का अहम रोल है। जब तक दिव्यांगों को सम्मान और उनका हक नहीं मिलेगा, तब तक बदलाव संभव नहीं है। कानून से ज्यादा हर एक व्यक्ति को अपने सोच में बदलाव करने की जरूरत है।

सरकारी तंत्र को बदलना जरूरी है - विशेष कुमार, समाज सेवी, योग एक्सपर्ट

जन-जन को जागरूक करना जरूरी है। लेकिन सबसे पहले खुद की सोच को बदलें यह अहम है। क्योंकि सरकार की ओर से दी जा रही सुविधाओं के बावजूद दिव्यांगों को मदद नहीं मिल पा रही है। सरकार को चाहिए कि वह समाज कल्याण विभाग, विकलांग कल्याण विभाग व अन्य संबंधित विभागों का कैंप लगाए। जहां दिव्यांगों के लिए आय, जाति, मेडिकल सर्टिफिकेट बिना परेशानी के बनवा लें। प्रॉब्लम काफी सॉल्व होगी।

दिव्यांग को सपोर्ट करना चाहिए - फहीम यासीन, एकता एजुकेशनल वेलफेयर एसोसिएशन

ज्यादातर बदलाव की बातें की जाती हैं, योजनाएं और दावें होती हैं लेकिन बदलाव दूर तलक दिखाई नहीं देता। ऐसे में कथनी और करनी में बदलाव किए बिना दिव्यांगों के लिए प्रयासरत हों तो सफलता निश्चित मिलेगी। सबसे पहले दिव्यांगों को एकजुट कर, उन्हें जागरूक करना होगा। वह सोच बदलो मुहिम को आगे बढ़ाते हुए स्कूलों में स्टूडेंट्स को दिव्यांगों के प्रति अवेयर करेंगी।

रोजगार मुहैया होने से बदलाव संभव - राजेश जसौरिया, महानगर अध्यक्ष, युवा व्यापार मंडल

अगर रोजगार मुहैया हो तो दिव्यांगों की कई परेशानियों पर विराम लग जाएगा। उनकी हीन भावना और नकारात्मक सोच पर अंकुश लगेगा। व्यापारियों को ईमानदार और कर्मठ कर्मचारी चाहिए। ऐसे में दिव्यांग व्यापारियों की प्राथमिकता में हैं। लेकिन मूलभूत समस्याओं के कारण दिव्यांगों को व्यापारी वर्ग से मदद नहीं मिल पा रही है। वह व्यापार मंडल के जरिए दिव्यांगों को नौकरी मौका मुहैया कराने का वादा करते हैं। इसमें एनजीओ को मदद करनी होगी।

सुझाव

- शहर के दिव्यांगों की सूची बनाई जाए। उसमें उनकी एजुकेशन, उम्र, योग्यता को भी इंगित किया जाए।

- मार्केट में टॉयलेट्स का निर्माण होना आवश्यक है और दुकानों में रैंप होना अनिवार्य है।

- सरकारी तंत्र को दिव्यांगों की मदद पर ध्यान देना जरूरी है। ताकि उन्हें मूलभूत दिक्कत न हों।

- ऑफिसेज में कर्मचारियों को दिव्यांगों से रवैया शालीन अपनाना चाहिए।

- विकलांगों को एकजुट कर उन्हें उनके अधिकारों के प्रति जागरूक किया जाए।

- सामाजिक संस्थाओं, समितियों और एनजीओ की ओर से व्यापक स्तर पर जागरूकता अभियान चलाना चाहिए।

- यातायात स्थलों पर इजिली अवेलेबल व्हील चेयर और अन्य फौरी मदद के लिए अटेंडेंट हों।

- पीलीभीत बाईपास पर बनाए गए स्पाइनल रिहैबिलिटेशन सेंटर को संचालित कराया जाए।

- प्रत्येक सामाजिक संस्था अपने लेटर हेड पर दिव्यांगों की प्रॉब्लम को सुलझाने के लिए प्रशासन से मांग करें।

- स्टूडेंट्स के लिए अलग सेशन रखे, जहां दिव्यांग होने के कारण और मदद को प्रेरित किया जाए।

- सार्वजनिक तौर पर कैंप लगाकर दिव्यांगों की बता सरकारी तंत्र सुने और निस्तारण करें।

- मूवी, सीरियल्स, थिएटर्स, स्लोगन, होर्डिग्स, फ्लेक्सी के जरिए दिव्यांग के प्रति जागरूक किया जाए।