शौक दे रहा बाली उमरिया में कैंसर

-व‌र्ल्ड नो टोबैको डे स्पेशल

-आई नेक्स्ट ने कराया सर्वे, रिपोर्ट ने चौंकाया

-बाली उमर में शौक से शुरू होता है टोबैको का यूज

-जानलेवा कैंसर होगा, जानकारी के बावजूद नहीं छोड़ पाते टोबैको

GORAKHPUR : बस एक सुट्टा और बन गए स्मार्ट। यूं छल्ला बनाया और धुएं में उड़ गए सारी टेंशन। न जरूरत और न कोई परेशानी, फिर भी आदत में शामिल है धुएं की रवानी। तभी तो कैंसर जैसी जानलेवा बीमारी भी इस शौक को खत्म नहीं कर पा रही है। व‌र्ल्ड नो टोबैको डे पर आई नेक्स्ट टीम ने सिटी में एक सर्वे कराया। सर्वे के बाद जो कनक्लूजन निकला, वह चौंकाने वाला है। कैंसर जैसी जानलेवा बीमारी को लोग शौक में बुलावा दे रहे हैं। सोसायटी के लिए सोचने वाली बात ये है कि सर्वे के मुताबिक तंबाकू की लत लोगों को टीनएज में लग रही है।

बाली उमर से लग जाती है यह लत

कैंसर जानलेवा है। यह बीमारी ब्भ् साल से अधिक एज में सताती है। मगर इसकी स्टार्टिग बाली उमर से हो जाती है। यह आई नेक्स्ट का सर्वे बयां कर रहा है। सर्वे के मुताबिक क्0 से ख्0 साल की उम्र में ब्8 परसेंट लोग टोबैको का यूज करने लगते हैं। जबकि भ्ख् परसेंट लोग ख्0 से फ्0 साल की एज में टोबैको के लती बनते हैं।

शौक में देते हैं मौत को इंविटेशन

कैंसर का मेन रीजन टोबैको है। टोबैको के कारण ही बॉडी के डिफरेंट पा‌र्ट्स में कैंसर होता है। इसके बावजूद लोग टोबैको का यूज कर कैंसर को इंविटेशन दे रहे हैं। आई नेक्स्ट सर्वे के अनुसार पहली बार टोबैको का यूज म्ब् परसेंट लोगों ने सिर्फ शौक में किया था। टोबैको कब उनकी आदत में शामिल हो गया, यह उन्हें भी नहीं मालूम। वहीं ख्8 परसेंट लोगों ने देखादेखी में टोबैको का यूज स्टार्ट किया। 8 परसेंट लोग ऐसे हैं, जिन्होंने डिप्रेशन में आकर टोबैको का यूज शुरू किया और अब लती बन गए।

जान को हथेली पर रखते हैं

सिर पर कफन बांध कर चलते हैं, पता नहीं कब मौत से आमना-सामना हो जाए। यह किसी फिल्म का डायलॉग नहीं और न ही किसी आर्मीमेन या कमांडो की कहानी है। यह हकीकत है उन लोगों की जो टोबैको के लती हैं। टोबैको का यूज कैंसर देता है, यह तंबाकू यूज करने वाले जानते हैं। सर्वे के अनुसार 8ब् परसेंट लोग जानते हैं कि टोबैको के यूज से कैंसर होता है। इसके बावजूद वे इसके लती हो चुके हैं। टोबैको के लती 8 परसेंट लोगों को पता ही नहीं कि इससे कैंसर भी होता है और 8 परसेंट लोगों को इससे कोई फर्क नहीं पड़ता।

तलब नहीं छोड़ने देती

टोबैको में निकोटीन होने के कारण धीरे-धीरे वह उनकी आदत में शामिल हो जाता है। मगर जब उन्हें रियलाइज होता है कि टोबैको उनकी जान ले सकता है तो वे इसे छोड़ना चाहते हैं, मगर छोड़ नहीं पाते। डॉक्टर से लेकर फैमिली मेंबर के प्रयास के बावजूद टोबैको से खुद को अलग करना उनके लिए मुश्किल होता है। भ्ख् परसेंट लोग मानते हैं कि टोबैको की तलब के कारण छोड़ना मुश्किल है। वहीं ख्ब् परसेंट लोगों का मानना है कि टोबैको यूज न करें तो टेंशन बढ़ जाती है। ऐसे में माइंड डिस्टर्ब होने के साथ कोई काम करने का मन नहीं करता। वहीं ख्ब् परसेंट लोगों का कहना है कि टोबैको का यूज न करने से कुछ कमी सी लगती है।

नहीं छूट रही ये बुरी आदत

टोबैको की लत बुरी आदत है। शौक में शुरू हुई यह टोबैको जब लत बन जाती है तो इसे छोड़ना मुश्किल हो जाता है। सर्वे के अनुसार भ्ख् परसेंट लोग मानते हैं कि टोबैको छोड़ने के लिए कई बार प्रयास किया, मगर सफलता नहीं मिली। वहीं फ्म् परसेंट लोग इस बात से सहमत है कि छोड़ने का प्रयास किया। वहीं क्ख् परसेंट लोग ऐसे है, जिन्हें कैंसर से डर नहीं लगता, तभी इन लोगों ने टोबैको छोड़ने की कोशिश नहीं की।

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नशे के लिए करते हैं इनका यूज

-टोबैको, सिगरेट, बीड़ी, सिगार, सुल्फा, शराब, भांग, गांजा, चरस, हेरोइन, हशीश, अफीम, कोकीन, धतूरा, स्मैक, ड्रग्स, पेन किलर, कफ सिरप, व्हाइटनर, हुक्का

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बहुत बड़ा बिजनेस है टोबैको प्रोडक्ट्स का

क्। दुनिया के क्ख्भ् देशों में तम्बाकू और हर साल भ्.भ् खरब सिगरेट का उत्पादन होता है।

ख्। पूरी दुनिया में एक अरब से ज्यादा लोग इसका सेवन करते हैं।

फ्। भारत में क्0 अरब सिगरेट का उत्पादन होता है।

ब्। भारत में 7ख् करोड़ भ्0 लाख किलो तम्बाकू की पैदावार होती है।

भ्। इंडिया टोबैको एक्सपोर्ट के मामले में ब्राजील, चीन, अमरीका, मलावी और इटली के बाद सिक्स्थ पोजीशन पर है।

म्। पिछले साल टोबैको एक्सपोर्ट से ख्0ख्ख् करोड़ रुपए की फॉरेन करेंसी आई थी।

7. भारत में टोबैको यूज करने वालों की तादाद करीब साढ़े ख्9 करोड़ हो सकती है।

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ये धुआं बहुत काला है भाई

-टोबैको से बॉडी में ब्0 प्रकार के कैंसर होते है।

क्। हेल्थ एक्सप‌र्ट्स के मुताबिक़ तम्बाकू या सिगरेट का सेवन करने वालों को मुंह का कैंसर की होने की आशंका भ्0 गुना ज्यादा होती है।

ख्। तम्बाकू में ख्भ् ऐसे तत्व होते हैं जो कैंसर का कारण बन सकते हैं।

फ्। तम्बाकू के एक कैन में म्0 सिगरेट के बराबर निकोटिन होता है

ब्। एक अध्ययन के अनुसार 9क् प्रतिशत मुंह के कैंसर तम्बाकू से ही होते हैं।

भ्। एक दिन में ख्0 सिगरेट पीने से पुरुषों में हार्टअटैक का खतरा फ् गुना बढ़ जाता है।

म्। पहली बार हार्टअटैक के लिए स्मोकिंग फ्म् परसेंट मरीजों में रिस्पांसिबल होता है। ऐसे हार्ट पेशेंट जो लगातार स्मोक करते रहते हैं उनमें दूसरे हार्टअटैक का खतरा ज्यादा रहता है। साथ ही अकस्मात मौत का खतरा भी बढ़ जाता है।

7. जिन मरीजों में हार्ट फंक्शनिंग फ्भ् परसेंट से कम हो, उनमें स्मोकिंग से मौत का खतरा ज्यादा होता है।

एक तंबाकू से अनेक नुकसान

क्। टोबैको का यूज ख्भ् से ज्यादा डिजीज गिफ्ट में देता है।

ख्। इंडिया में सबसे अधिक मुंह का कैंसर जबकि विदेश में मुंह का कैंसर न के बराबर।

फ्। टोबैको का यूज पर इयर भ्0 लाख लोगों को बनाता है हार्ट पेशेंट।

ब्। ब्0 लाख लोग टोबैको के यूज से बनते है फेफड़े के कैंसर का पेशेंट।

भ्। फीमेल में पीरियड जल्दी बंद हो जाते हैं।

म्। कम वेट का बच्चा जन्म लेता है।

7. फीमेल बांझ तक हो सकती है।

8. टोबैको का यूज करने वाला स्मार्ट या सेक्सी नहीं दिखता बल्कि कांतिहीन तथा नपुंसक हो जाता है।

9. बाल जल्दी सफेद हो जाते हैं।

क्0. ब्लड सर्कुलेशन कम हो जाता है।

क्क्। मौसम बदलने पर खांसी आती है।

क्ख्। तेज चलने व सीढ़ी चढ़ने पर सांस फूलती है।

क्फ्। बॉडी का स्टेमिना कम हो जाता है।

क्ब्। टोबैको अन्य मादक पदार्थ शराब, ब्राउन सुगर तथा हेराइन से ज्यादा खतरनाक है।

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गर छोड़नी हो तंबाकू की लत

-स्मोकिंग छोड़ने का दृढ़ निश्चय करने के साथ इसकी सूचना फैमिली मेंबर्स और फ्रेंड को जरूर दें।

-जहां से सिगरेट, टोबैको खरीदते है, वहां का रास्ता चेंज कर दें।

-हल्का तथा डाइजेस्टेबल फूड लें।

-पानी खूब पिएं।

-नशे की तलब होने पर पानी से मुंह धोकर इलायची खाएं।

-गर्मी में तीन बार स्नान करें।

-एंटी निकोटीन च्यूइंगम का यूज कर सकते हैं।

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टोबैको का यूज अधिकांश लोग छोटी उम्र और शौक में करते हैं। धीरे-धीरे यह जानलेवा बीमारी कैंसर में बदल जाती है। कैंसर के अधिकांश मरीजों के पीछे टोबैको ही मेन रीजन है।

डॉ। पीएन जायसवाल, ईएनटी सर्जन

टोबैको का यूज मन को शांति देने के बजाए कैंसर जैसी जानलेवा बीमारी देता है। सिटी में सबसे अधिक मुंह के कैंसर के मरीज हैं। टोबैको छोड़ने के लिए डॉक्टर, दवा से अधिक मरीज की इच्छाशक्ति की जरूरत होती है।

डॉ। शार्दुलम श्रीवास्तव, चेस्ट स्पेशलिस्ट

टोबैको का यूज ही लोगों को कैंसर का मरीज बना रहा है। कभी कोई स्टेट्स सिंबल तो कभी शौक में स्टार्ट होने वाला टोबैको का यूज कब लत में बदल जाता है, लोगों को पता नहीं चलता। टोबैको के बढ़ते यूज से गोरखपुर में कैंसर के मरीज लगातार बढ़ रहे हैं।

डॉ। एमक्यू बेग, कैंसर स्पेशलिस्ट