इस घोटाले पर संसद में बहस नहीं हो, सीबीआई जांच भी नहीं होगी। शायद इसलिए कि ये सीधे आपकी जेब पर हर साल डाला जाने वाला डाका है। नौनिहाल की एजुकेशन के नाम पर किस हद तक ब्लैकमेलिंग ठगी का जाल आज ये राज फाश हो जाए। मानो तो ये बुक गेट स्कैंडल है। जानिए inextlive के इस स्टिंग आपरेशन के जरिये नॉलेज इंडस्ट्री की काली हकीकत।

कोर्स हर साल बदल जाता है। कुछ तयशुदा दुकानों पर ही क्यों मिलता है? क्यों कुछ खास पब्लिशर की दुर्लभ किताबें खरीदना आपकी मजबूरी है? ये जानने के लिए ये स्टिंग आपरेशन प्लॉन किया गया। इसके लिए आई नेक्स्ट रिपोर्टर बन गया इसी साल वजूद में आए स्कूल का मालिक। जिसे तलाश थी ज्यादा से ज्यादा कमीशन देने वाले पब्लिशर और बुक सेलर की

पेरेंट्स का क्या

किताबों का पैसा भले ही पैरेंट़स की जेब से जाता है लेकिन इस पूरे खेल में उसकी परवाह किसी को भी नहीं है। ये बातचीत यह बताने के लिए काफी है। खुद सुनिए

इस खेल के खिलाडी 

इस पूरे खेल की शुरुआत कहां से होती है किस तरह बनती चली जाती है चेन आपकी जेब पर डाका डालने वालों की। आखिर कौन कौन शामिल है इस खेल में

कैसे लगेगी बुक और कैसे बंटेगा कमीशन

इस पब्लिशर का सिटी के रिनाउंड स्कूल में एकाधिकार है। फर्स्ट कॉल रिपोर्टर ने पब्लिशर के रजिस्टर्ड आफिस में की। बताया कि फर्स्ट बैच है। डिजिटल एजुकेशन के साथ हर सुविधा से लैस स्कूल खोला है। फिफ्टी एडमिशन फर्स्ट इयर में है। पब्लिशर ने सिटी में अपने डिस्ट्रीब्यूटर का एड्रेस और नंबर दिया। साथ ही पब्लिशर आफिस से बात करने वाले शख्स से हमसे नंबर लिया और बताया कि हमारी डिस्ट्रीब्यूटिंग एजेंट आपसे खुद संपर्क करेगा। और उसने संपर्क किया भी।

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