एक ओर जहाँ केजरीवाल सरकार ने स्पष्ट किया है कि वो जनलोकपाल विधेयक को विधानसभा में ज़रूर पेश करेगी, तो दूसरी ओर उप राज्य नजीब जंग ने इससे असहमति जताई है.

समाचार एजेंसी पीटीआई के मुताबिक़ नजीब जंग ने विधानसभा अध्यक्ष एमएस धीर को पत्र लिखकर सलाह दी है कि वो विधानसभा में जनलोकपाल विधेयक पेश न होने दें.

उन्होंने कहा कि जनलोकपाल के मुद्दे पर सही प्रक्रिया का पालन नहीं किया गया.

केंद्र सरकार ने भी इस मुद्दे पर कई बार अपना रुख़ स्पष्ट किया है और कहा है कि बिना केंद्र की सहमति के ये विधेयक विधानसभा में पेश नहीं किया जा सकता.

लेकिन दिल्ली की अरविंद केजरीवाल सरकार का कहना है कि वो इस विधेयक को पेश करने के अधिकार को लेकर संवैधानिक दायरे में है.

पिछले दिनों अरविंद केजरीवाल ने इस बाबत उप राज्यपाल को पत्र भी लिखा था.

बाद में उन्होंने ये भी कहा था कि वे इस मुद्दे पर पद से त्यागपत्र देने से भी नहीं हिचकेंगे.

गुमराह

जनलोकपाल पेश न होने दें विधानसभा अध्यक्ष: जंग

इस बीच केजरीवाल सरकार को बाहर से समर्थन दे रही कांग्रेस पार्टी ने कहा है कि केजरीवाल दिल्ली की जनता को गुमराह कर रहे हैं.

तो दूसरी ओर राज्य के शिक्षा मंत्री मनीष सिसोदिया ने ट्विटर पर लिखा है कि जनलोकपाल पर कोई समझौता नहीं किया जाएगा. उनके इस ट्वीट को मुख्यमंत्री केजरीवाल ने री-ट्वीट किया है.

दो दिन पहले सरकार का पक्ष रखते हुए दिल्ली के क़ानून मंत्री  सोमनाथ भारती ने बीबीसी को बताया था, "केंद्र में जो बिल (लोकपाल विधेयक) लाया गया था वो पूरी तरह से प्रभावहीन है जबकि हम जो बिल ला रहे हैं उसके कारण भ्रष्टाचार में लिप्त लोगों की रूह कांप जाएगी."ही वजह है कि इस बिल के पास होने से पहले ही दिल्ली में भ्रष्टाचार काफ़ी कम हो गया है.

सोमनाथ भारती का आरोप था कि भाजपा मुद्दे पर राजनीति कर इसका फ़ायदा उठाना चाहती है.

उन्होंने कहा कि अगर भाजपा सुधारों की इतनी ही पक्षधर है तो उसने दिल्ली को पूर्ण राज्य का दर्जा दिलाने की दिशा में प्रयास क्यों नहीं किए?

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