-सपा सुप्रीमो ने पीएम से क्या शिकायत की नहीं मालूम, जानना भी नहीं चाहता

-लोकायुक्त संवैधानिक पद, संविधान के दायरे में है चयन प्रक्रिया

-आजम की बयानबाजी राजनीतिक गतिविधि, मेरा नहीं है इससे सरोकार

-सोनिया गांधी समेत कुछ सांसदों से मुलाकात के लिए लिखा था पत्र

Meerut : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात कर सपा मुखिया सिंह यादव ने क्या कहा? मुझे इससे कोई मतलब नहीं है, कोई मेरे बारे में क्या सोचना मेरा इससे भी कुछ लेना-देना नहीं है। मेरा लेना-देना सिर्फ सूबे की आवाम से है, उसके हितों है। मैं जनता के हितों के लिए फैसले लेता रहूंगा, कोई क्या सोचता है, क्या कहता है? इससे मेरा सरोकार नहीं है। मेरा एक संवैधानिक पद है और मैं उसके अधिकारों का प्रयोग करता रहूंगा। आई नेक्स्ट के सवाल के जबाव में रविवार को सूबे के सियासी खेमे की हलचल को राज्यपाल राम नाईक ने और बढ़ा दिया।

मुलायम करें शिकायत, कोई फर्क नहीं

मेरठ में एक अस्पताल के शुभारंभ अवसर पर पहुंचे राज्यपाल ने आई नेक्स्ट के सवाल पर कहा कि उन्हें फर्क नहीं पड़ता है कि सपा मुखिया मुलायम सिंह, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से उनकी शिकायत कर रहे हैं। यह राजनीतिक परिचर्चा भी हो सकती है। मुलायम सिंह ने प्रधानमंत्री से क्या शिकायत की और प्रधानमंत्री ने उन्हें क्या जबाव इसकी उन्हें न तो जानकारी है और न ही वे जानना चाहते हैं। सरकार के कामकाज में दखल के सवाल पर उन्होंने कहा कि अगर मुलायम सिंह को लग रहा है कि राज्यपाल सरकार के काम में दखल दे रहे हैं तो जनता के हित में, सूबे के विकास के लिए यह दखल बरकरार रहेगा। उन्होंने कहा कि 'मैं राज्यपाल के पद पर रहते हुए अपने संवैधानिक अधिकारों का प्रयोग करता रहूंगा.'

लोकायुक्त का चयन संवैधानिक प्रक्रिया

सवाल के जबाव में राज्यपाल ने कहा कि सूबे में लोकायुक्त का चयन एक संवैधानिक प्रक्रिया है। अभी कुछ दिनों पहले राज्य सरकार की ओर से लोकायुक्त के चयन को लेकर कपोल-कल्पित प्रस्ताव मेरे पास भेजा गया था, जिसे मैंने वापस कर दिया। अभी हाल में हुई सरकार की कैबिनेट बैठक का फैसला, जिसमें लोकायुक्त के चयन में हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश की भूमिका को दरकिनार करने के सवाल पर उन्होंने कहा कि 'लोकायुक्त एक संवैधानिक पद है, उसके चयन की प्रक्रिया में बदलाव संविधान की परिधि में होगा। किसी सरकार के मनमाफिक लोकायुक्त का चयन नहीं होता है। अभी फाइल आने दीजिए, देखा जाएगा.'

आजम का विरोध राजनीतिक

एक साल के कार्यकाल में सूबे की सपा सरकार और उनके मंत्रियों की आंख की किरकिरी बने महामहिम ने रविवार को आई नेक्स्ट के समक्ष साफ कर दिया कि सरकार को कोई भी मंत्री उनके बारे में क्या बयान दे रहा है, किससे शिकायत कर रहा है, इससे उन्हें कोई लेना-देना नहीं है। कबीना मंत्री आजम खां की ओर से नित नए आने वाले बयानों पर उन्होंने कहा कि 'वे राजनीतिक बयानबाजी कर रहे हैं, जबकि मेरा राजनीति से कोई मतलब नहीं है.' वार्ता में राज्यपाल ने साफ कर दिया कि बेशक सरकार के मंत्री विरोध करते रहें, किंतु असंवैधानिक फैसलों को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। चाहे वे लोकायुक्त के चयन कानून में छेड़छाड़ हो या मनचाहे एमएलसी की ताजपोशी।

सोनिया को भेजा था पत्र

सवाल के जबाव में राज्यपाल ने कहा कि कांग्रेस की प्रमुख सोनिया गांधी को पत्र भेजकर उन्होंने मुलाकात के लिए लिखा था। प्रदेश में लोकसभा चुनाव के बाद ज्यादातर सांसदों ने विकास के मुद्दे पर उनसे मुलाकात की। कुछ सांसद नहीं आए, जिसमें कांग्रेस के सांसद भी शामिल हैं। उन्होंने कहा कि सोनिया गांधी सहित ऐसे 13 सांसदों को पत्र लिखकर कहा गया कि 'वे जब लखनऊ आएं तो मुलाकात कर लें, जिससे उनसे संसदीय क्षेत्र के विकास के साथ सूबे के विकास पर चर्चा की जा सके.' सोनिया गांधी की ओर से प्रस्ताव पर स्वीकृति पर उन्होंने धन्यवाद कहा।