- आईएएस प्री के सी सैट पेपर में हिंदी ने अभ्यर्थियों का छुड़ाया पसीना

- यूपीएससी ने अंग्रेजी के विरोध का लिया बदला, मैथ्स ने भी छक्के छुड़ाए

ALLAHABAD: इसे कहते हैं नहले पर दहला। भले ही रास्ता दूसरा था लेकिन यूपीएसी ने आईएएस का एग्जाम देने वाले अभ्यर्थियों को उनकी ही भाषा में जवाब दिया है। जिस हिंदी की चाहत को लेकर अभ्यर्थियों ने सी सैट में अंग्रेजी का विरोध किया था, उसी ने आईएएस प्री परीक्षा में अभ्यर्थियों के पसीने छुड़ा दिए। हालत यह थी कि हिंदी के शब्दों को समझने के लिए अभ्यर्थियों को अंग्रेजी का सहारा लेना पड़ा।

एक-एक पैसेज में लग गए दस से पंद्रह मिनट

रविवार को आईएएस प्री एग्जाम देने के बाद अभ्यर्थियों के चेहरे पर खिंची चिंता की लकीरें बता रही थीं कि कहीं कुछ गड़बड़ जरूर है। दरअसल, यह दिक्कत सेकंड पेपर को लेकर थी। इसमें आए हिंदी के पैसेज ने उनके पसीने छुड़ा दिए थे। सी सैट पैटर्न पर आधारित इस पेपर में हिंदी के पैसेज इतने लंबे थे कि उनको साल्व करने में उनको दस से पंद्रह मिनट लग गए। इसके चलते निर्धारित दो घंटे के समय में उनके कई सवाल छूटने की नौबत आ गई। कुछ ही अभ्यर्थी ऐसे मिले जिन्होंने माना कि उन्होंने सभी सवाल हल किए हैं। बाकी के पास तो समय की कमी का ही रोना था।

आखिरकार क्यों लगी देर?

अभ्यर्थियों की मानें तो सेकंड पेपर में आए हिंदी के पैसेज में उपयोग किए गए हिंदी के शब्द काफी कठिन थे। इनमें से कई शब्द तो गूगल लैंग्वेज की याद दिला रहे थे। सामान्यत: प्रतियोगी परीक्षाओं में हिंदी के इतने कठिन शब्द उपयोग में नहीं लाए जाते लेकिन अभ्यर्थी करते भी क्या? वह आईएएस की परीक्षा में बैठे थे। उन्हें हर सवाल का जवाब निर्धारित समय में देना था। सी सैट पैटर्न पर आधारित आईएएस प्री के सेकंड पेपर में कुल नौ पैसेज दिए गए थे। जिनको हल करने में काफी समय लग गया। अभ्यर्थी दिवाकर सिंह व रवि पांडेय ने बताया कि यह शब्द कठिन थे और पैसेज इतने घुमावदार थे कि उनको समझने में अधिक समय देना पड़ा।

डिसीजन मेकिंग और संचार कौशल गायब

सी सैट पैटर्न में एप्टीट्यूड टेस्ट के एरिया में से डिसीजन मेकिंग और संचार कौशल को इस बार सेकंड पेपर से गायब कर दिया गया था। इसकी जगह हिंदी पैसेजेस को भर दिया गया था। जबकि, एप्टीट्यूड टेस्ट में एक आईएएस बनने वाले अभ्यर्थी की डिसीजन मेकिंग की क्षमता को परखना जरूरी होता है। अभ्यर्थियों को इस बात का मलाल भी था। उनका कहना था कि डिसीजन मेकिंग और संचार कौशल के कुछ सवाल तो पेपर में शामिल ही होने चाहिए थे। इसकी तैयारी भी उन्होंने कर रखी थी, जो बेकार गई। हालांकि कुछ का मानना था कि पिछली बार के आईएएस प्री के मुकाबले पेपर थोड़ा आसान था।

मैथ्स के सवालों ने भी घुमाया

आईएएस प्री एग्जाम के सेकंड पेपर में मैथ्स और रीजनिंग के सवाल समान अनुपात में पूछे गए थे। रीजनिंग का स्तर ठीक था और इससे अभ्यर्थी सहमत भी नजर आए लेकिन मैथ्स को लेकर किए गए सवालों पर उनके जवाब मिले जुले रहे। अभ्यर्थियों ने माना कि मैथ्स बैकग्राउंड वाले अभ्यर्थियों के लिए यह सवाल सॉल्व करना आसान था। जबकि, जिनकी गणित कमजोर थी, उन्हें मैथ्स के सवालों को हल करने में खासी मशक्कत करनी पड़ी। कम्प्रेहैंशन में अंग्रेजी के सवालों को हल नहीं करना था। सेकंड पेपर के 80 में से छह अंग्रेजी के सवालों को इसके चलते अभ्यर्थियों ने छोड़ दिया।

किससे कहें और कैसे कहें?

सेकंड पेपर में हिंदी के घुमावदार और कठिन सवालों के जवाब ढूंढने में नाकाम साबित हुए अभ्यर्थी आखिर किसे दोष दें? यह बहुत बड़ा सवाल है। सी सैट पैटर्न में हिंदी भाषी अभ्यर्थियों ने अंग्रेजी की अनिवार्यता को खत्म करने के लिए हाल ही में जबरदस्त आंदोलन किया था। जिसको देखते हुए केंद्र सरकार और यूपीएससी ने सेकंड पेपर से अंग्रेजी के पोर्शन को भले ही हटा दिया लेकिन हिंदी के जरिए करारा जवाब दिया है। ऐसे हालात में अभ्यर्थी चाहकर भी इस मामले में खुलकर नहीं बोल सके। उन्होंने यह जरूर स्वीकार किया कि एप्टीट्यूड टेस्ट में हिंदी के सवालों को जरूरत से ज्यादा भर दिया गया था।

करेंट अफेयर पूरी तरह गायब

अभ्यर्थियों की मुसीबतें फ‌र्स्ट पेपर से ही शुरू हो गई थीं। यूपीएससी द्वारा तैयार किए गए आईएएस प्री के फ‌र्स्ट पेपर में देश-विदेश में चल रहा वर्तमान घटनाक्रम यानी करेंट अफेयर पूरी तरह गायब था। इसकी जगह भूगोल और पर्यावरण विज्ञान पर आधारित सवाल ज्यादा थे। इतिहास से जुड़े सवालों को कम ही पूछा गया था। इसके अलावा दक्षिण भारत से जुड़े सवालों का भी जिक्र किया गया था।