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RANCHI (3 Sep) : झारखंड कैडर के आईएएस अफसरों को दिल्ली की नौकरी खूब भा रही है। हर साल कम से कम तीन वरिष्ठ आईएएस केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर चले जा रहे हैं। औसतन प्रति वर्ष 7 नये आईएएस झारखंड को मिलते हैं। इसके बावजूद अब भी राज्य में करीब 70 आईएएस अफसरों की कमी है। झारखंड के लिए ख्08 आईएएस के पद स्वीकृत हैं, जबकि मौजूदा कार्यरत बल क्फ्8 का ही है। दूसरी ओर, कई अफसरों ने केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर जाने की अर्जी दे रखी है।
इस रफ्तार में दस साल में भी नहीं भर पाएंगे सारे पद
आईएएस अफसरों के रिटायरमेंट और केंद्रीय प्रतिनियुक्ति की यही रफ्तार रही, तो दस साल में भी झारखंड के सारे सैंक्संड पोस्ट नहीं भर पाएंगे। इस वर्ष अगस्त तक 9 अधिकारी रिटायर हो चुके हैं। इनमें पीके जाजोरिया, अरुण, यूपी सिंह, शशि रंजन प्रसाद, उपेंद्र नारायण उरांव, यूपी सिंह, शशि रंजन प्रसाद, मृदुला सिन्हा और शिवाजी चौपाल शामिल हैं। इसके अलावा संत कुमार वर्मा नवंबर में, तो केके दास व बालमुकुंद झा दिसंबर में रिटायर होने वाले हैं।
अगले साल सीएस समेत नौ अफसर होंगे रिटायर
वर्ष ख्0क्8 में भी नौ आईएएस रिटायर होने वाले हैं। इनमें सबसे प्रमुख नाम है मुख्य सचिव राजबाला वर्मा का। वे ख्8 फरवरी ख्0क्8 को रिटायर हो रही हैं। उनके अलावा सुधीर त्रिपाठी, एसके सत्पथी, डॉ प्रदीप कुमार, दिनेश चंद्र मिश्र, प्रमोद कुमार गुप्ता, गौरी शंकर मिंज, मनोज कुमार और श्रवण साई शामिल हैं। इसके साथ ही केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर गये यूपी सिंह और स्मिता चुघ भी ख्0क्8 में ही रिटायर हो रहे हैं।
अफसरों की कमी का कामकाज पर पड़ रहा है असर
हर साल झारखंड को औसतन 7 आईएएस मिलते हैं। जबकि रिटायर होने वालों और केंद्र में जाने वालों की संख्या इससे ज्यादा है। इससे विभागों के कामकाज पर असर पड़ रहा है। कई अफसर ऐसे भी हैं, जिन्हें एक से ज्यादा विभागों का प्रभार मिला हुआ है। मिसाल के तौर पर एसकेजी रहाटे, जिन्हें गृह विभाग के सचिव रहते हुए कैबिनेट का भी प्रभार मिला है। अफसरों पर काम का बोझ बढ़ा है, तो फाइलों के निपटारे और प्रशासनिक कामकाज निपटाने की रफ्तार भी धीमी पड़ी है। दूसरी ओर, राज्य प्रशासनिक सेवा के फ्0 अफसरों को आईएएस में प्रमोशन देने की प्रक्रिया चल तो रही है, लेकिन यह कब तक पूरी होगी, इसकी जानकारी किसी के पास नहीं। यह मामला दो सालों से अटका है। आईएएस में प्रमोशन के लिए 7क् अफसरों की लिस्ट तो तैयार है, लेकिन इनका एसीआर नहीं मिलने के कारण प्रमोशन का पेंच फंसा है।
केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर हैं ये अफसर
क्। स्मिता चुग
ख्। राजीव गौबा
ब्। बीके त्रिपाठी
भ्। डीके तिवारी
म्। यूपी सिंह
7. राजीव कुमार
8. शैलेश कुमार
9. एसएस मीणा
क्0. एनएन सिन्हा
ऐसे पड़ रहा है काम पर असर
क्। विकास योजनाओं की रफ्तार धीमी पड़ी
वरीय अफसरों की कमी होने से राज्य में चल रहे कई विकास योजनाओं की रफ्तार धीमी पड़ रही है। इसकी मॉनिटरिंग में भी दिक्कतें आ रही हैं। इसके अलावा प्रशासनिक कामकाज भी प्रभावित हो रहा है.
ख्। बढ़ रही है पेंडिंग फाइलों की संख्या
कई विभाग लंबे समय से एडिशनल चार्ज के भरोसे चल रहे हैं। जिनके जिम्मे ये विभाग हैं, उनपर काम का इतना दबाव है कि वे हर दिन फाइलों का निपटारा नहीं कर पा रहे हैं, जिसके कारण पेंडिंग फाइलों की संख्या बढ़ती जा रही है.
फ्। अफसरों की कार्य क्षमता पर भी असर
एक साथ कई विभागों का जिम्मा संभालने वाले अफसरों के कार्य क्षमता पर भी असर पड़ रहा है। अतिरिक्त दबाव होने से कई कामों को तो वे सतही लेवल पर निपटा देते हैं, जिसका असर राज्य के विकास पर भी पड़ रहा है।