RANCHI : जिस काम को आप करना चाहते हैं, अगर उसमें विशेषज्ञता हासिल कर लेते हैं, तो निश्चित तौर पर रिजल्ट बेहतर आएगा। इतना ही नहीं, काम को लेकर कान्सेप्ट भी क्लियर होना चाहिए, ताकि किसी तरह का कंफ्यूजन पैदा नहीं हो। यह कहना है कल्याण विभाग के सचिव सुनील वर्णवाल का। सिंगापुर और हार्वर्ड यूनिवर्सिटी में एक साल तक स्टडी करने के बाद वापस लौटे सुनील वर्णवाल ने बताया कि सिंगापुर में जिस विभाग को काम दिया जाता है, वह उसका विशेषज्ञ होता है। ऐसे में इसी सिस्टम को वेलफेयर डिपार्टमेंट में लागू करने की कोशिश कर रहा हूं।

प्लानिंग प्रॉसेस जाना

यूपीएससी टॉपर रहे सुनील वर्णवाल आईएएस के तौर पर क्म् साल की सेवा पूरी कर चुके हैं। इसके बाद वे एक साल की स्टडी लीव लेकर सिंगापुर और हार्वर्ड यूनिवर्सिटी गए। वे बताते हैं कि मास्टर इन पब्लिक मैनेजमेंट के एक साल के कोर्स में उन्हें एशियन गर्वनेंस मॉडल, ग्लोबल एंड पब्लिक पॉलिसी, इंटरनेशनल इकोनॉमी पॉलिसी, इकोनॉमिक रिजनिंग एंड पब्लिक पॉलिसी को जानने-समझने का मौका मिला। इसके अलावा सिंगापुर में पांच महीने रहकर यहां के डेवलपमेंट प्रॉसेस को जाना। यह भी जानने का मौैका मिला कि सिंगापुर में गवर्नमेंट किस तरह काम करती है।

हार्वर्ड यूनिवर्सिटी में चार महीने

सुनील वर्णवाल ने बताया कि सिंगापुर के बाद वे चार महीने के लिए हार्वर्ड यूनिवर्सिटी में रहे। यहां व‌र्ल्ड लेवल पर डेवलपमेंट प्रॉसेस को जानने का मौका मिला। चूंकि, हार्वर्ड यूनिवर्सिटी में दुनियाभर से एक्सप‌र्ट्स लेक्चर देने आते हैं। ऐसे में उनके साथ एक्सपीरिएंस शेयर करने का मौका भी मिला। एक साल की पढ़ाई में देश के डेवलपमेंट प्रॉसेस व प्लानिंग प्रॉसेस के बारे में बहुत कुछ सीखने का मौका मिला।

डिपार्टमेंट में करूंगा इंप्लीमेंट

सिंगापुर और हार्वर्ड यूनिवर्सिटी में एक साल की पढ़ाई में जो सीखा व अनुभव मिला, उसे अपने डिपार्टमेंट में लागू करूंगा। सुनील वर्णवाल बताते हैं कि इसकी शुरूआत कैपासिटी बिल्डिंग से करेंगे। जिसके जिम्मे जो काम होगा, वह उसे पूरा करेगा। इसके अलावा उस काम में उसे विशेषज्ञता हासिल करनी होगी। जो काम होना चाहिए और अगर नहीं हो रहा है, तो उसके कारण ढूंढ़े जाएंगे। इसके बाद उसका निराकरण किया जाएगा, ताकि बेहतर तरीके से काम हो सके। सुनील कहते हैं कि एसडीओ से सेक्रेटरी तक क्म् सालों की सर्विस कर चुके हैं। इस दौरान ग्रासरुट पर काम करने के अलावा पॉलिसी बनाने का भी मौका मिला। इसके बाद जब स्टडी के लिए सिंगापुर व हार्वर्ड यूनिवर्सिटी गया तो वहां के वर्क कल्चर और इकोनॉमी समेत काफी कुछ जानने-सीखने का मौका मिला। कोशिश होगी कि इसका फायदा झारखंड को मिले।

प्लानिंग एग्जीक्यूट किए जाएं

क्997 बैच के आईएएस सुनील वर्णवाल को शुरू से ही पढ़ने-लिखने में दिलचस्पी रही है। वे बताते हैं कि सिंगापुर में प्लानिंग काफी पहले बना लिया जाता है, उसके बाद काम शुरू होता है। हमें भी चाहिए कि आनेवाले सालों में क्या-क्या काम करना है, उसकी प्लानिंग बना लें, ताकि बेहतर रिजल्ट मिल सके। सिंगापुर के एनर्जी डिपार्टमेंट में एक महीने की इंटर्नशिप के दौरान वहां सरकार किस तरह काम करती है और मैन पावर का बेहतर इस्तेमाल कैसे किया जाए, सीखने का मौका मिला। अब इसे अपने डिपार्टमेंट में इंप्लीमेंट करना है।