पैरेंट्स भी हैं आईएएस
पार्थ ने अपनी फैमिली के साथ-साथ सिटी का भी नाम रौशन किया है। 25 साल के पार्थ गुप्ता रातू रोड निवासी और हरियाणा गवर्नमेंट के हायर एजूकेशन डिपार्टमेंट के प्रिंसिपल सेक्रेटरी एसएस प्रसाद के बेटे हैं। एसएस प्रसाद 1984 बैच के आईएएस ऑफिसर हैं। इनके दादा लेट श्री बसंत लाल भी सिटी के जाने-माने व्यक्ति थे। पार्थ की मम्मी रंजू प्रसाद भी पंजाब में पोस्ट मास्टर जनरल के पद पर कार्यरत हैं।

नहीं हारी हिम्मत
पार्थ गुप्ता को पहले प्रयास में असफलता का सामना करना पड़ा था। लेकिन वह बिना हिम्मत हारे अगले एग्जाम की तैयारी में लग गए। इसी  मंथ सिविल सर्विस का प्री-एग्जाम होनेवाला है। इसमें बड़ी संख्या में सिटी के यूथ शामिल होंगे। उनके लिए पार्थ कहते हैं-अगर सेल्फ कान्फिडेंस और हौसले के साथ प्लानिंग से स्टडी करेंगे, तो कामयाबी जरूर हाथ लगेगी।

सपने देखो और मेहनत करो
पार्थ ने आई नेक्स्ट संग अपनी जिंदगी के कई अनछुए पहलुओं को शेयर किया। पार्थ ने बताया कि उनके पैरेंट्स सिविल सर्विस में हैं। उनके डैड 1984 बैच के आईएएस आफिसर हैं, जबकि मम्मी 1988 बैच की। उनके पैरेंट्स ने उन पर कभी भी पढ़ाई का प्रेशर नहीं बनाया.  पैरेंट्स ने बचपन से सिर्फ यही सिखाया कि बड़े सपने देखो और अपने सपने को सच करने के लिए मेहनत से कभी पीछे मत हटो। फिर उन्होंने इसी फलसफे को अपनी कामयाबी का फार्मूला बना लिया।

खुद से करिए सवाल
यूथ को सलाह देते हुए पार्थ कहते हैं कि जो लोग भी सिविल सर्विस में आना चाहते हैं, वह सबसे पहले खुद से सवाल करें कि क्या बचपन से वह जो सपना देखते हैं, उसकी मंजिल यही है.पार्थ आगे कहते हैं-कुछ लोग सिर्फ सपने देखते हैं, लेकिन इस सपने को सच कैसे किया जाए, यह उन्हें पता नहीं होता है। ऐसे में चाहे कोई भी फील्ड हो, आपको उसमें सफल होने के लिए एक स्ट्रेटजी और रास्ता बतानेवाला होना चाहिए। ऐसे मौके पर राइट गाइडेंस की जरूरत पड़ती है। आपको गाइड करनेवाला कोई न कोई जरूर होना चाहिए। एक ऐसा व्यक्ति जो आपकी मजबूती और कमजोरी पर पैनी निगाह रखकर आपको अलर्ट करता रहे। यह कोई भी हो सकता है। आपके पैरेंट्स, आपके टीचर्स, फ्रेंड्स या रिलेटिव्स।

मेरे पैरेंट्स बने मेरे गाइड
पार्थ ने बताया कि उनके पैरेंट्स ने उन्हें पूरी तरह गाइड किया। चूंकि वह दोनों सिविल सर्विस में हैं, इसलिए उन्हें पता था कि कैसे तैयारी करनी चाहिए। लेकिन एक बात गौर करनेवाली है कि पहले सिविल सर्विस का पैटर्न अलग था और अब यह काफी बदल गया है। ऐसे में इसके लिए अलग तरह से तैयारी की जरूरत है।

बैलेंस रूटीन है जरुरी
पार्थ ने स्टूडेंट्स को सुझाव देते हुए कहा कि यूपीएससी एग्जाम को प्रेशर के तौर पर नहीं लेना चाहिए। यह भी नहीं सोचना चाहिए कि इस एग्जाम में अधिक घंटे पढऩे से सफलता मिल जाएगी। एग्जाम के लिए एक बैलेंस रूटीन की जरूरत होती है। पार्थ ने अपने सक्सेस प्लान को शेयर करते हुए बताया कि उन्होंने एग्जाम के लिए 24 घंटे का एक रूटीन प्लान तैयार किया था। वह सुबह उठकर सात बजे तक फ्रेश होकर ब्रेक फास्ट लेकर पढ़ाई करने बैठ जाते थे। इस दौरान बीच में लंच के लिए उठते थे। लंच के बाद कुछ देर आराम करते थे और उसके बाद उठकर फिर पढ़ाई करते थे। शाम को वाकिंग करने के साथ ही टेनिस भी खेलते थे।

क्लीयर रखें विजन
स्टूडेंट्स को पार्थ सलाह देते हुए अपने संकल्प को याद रखने की बात जरूर कहते हैं। वह कहते हैं-हमें यह मानकर चलना चाहिए कि जिंदगी में सफलता और असफलता चलती रहती है। बस जरूरत इस बात की है कि हमने जो लक्ष्य निर्धारित किया है, उसको पाने के लिए ईमानदारी से मेहनत करते रहें।

हॉबी को मत करें इग्नोर
पार्थ का मानना है कि पढ़ाई के साथ-साथ  अपनी हॉबी को भी जारी रखना बहुत जरूरी है। कुछ ऐसे लोग हैं, जो सिविल सर्विस की तैयारी कर रहे होते हैं, तो उस दौरान अपनी हॉबी को बंद कर देते हैं। ऐसे में पढ़ाई बहुत बोरियत भरी हो जाती है। उन्होंने बताया कि उन्हें शुरू से ही स्पोट्र्स से लगाव था। वह आर्चरी के नेशनल प्लेयर भी रहे हैं। इसके साथ ही फिटनेस, योगा और टेनिस भी खेलना उन्हें पसंद है। फोटोग्राफी का भी काफी शौक है।
उन्होंने पढ़ाई के साथ-साथ अपनी हॉबी को जारी रखा। जिससे उन्हें रिलैक्सेशन मिलता रहा।

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