नई दिल्ली (पीटीआई)। क्रिकेट की सर्वोच्च संस्था आईसीसी ने सोमवार को साफ कर दिया कि उन्होंने भारतीय क्रिकेटरों को ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ रांची वनडे में आर्मी कैप पहनने की इजाजत दी थी। बता दें 8 मार्च को रांची में भारत बनाम ऑस्ट्रेलिया के बीच सीरीज का तीसरा वनडे खेला गया था। इस मैच में कोहली एंड टीम आर्मी कैप पहनकर मैदान में उतरी थी। इसका मकसद पुलवामा में शहीद हुए सीआरपीएफ जवानों को ट्रिब्यूट देना था। मगर टीम इंडिया की ये पहल पाक क्रिकेट बोर्ड को पसंद नहीं आई। पाकिस्तान बोर्ड ने आईसीसी से इसकी शिकायत की थी।
पाक को मिला करारा जवाब
पाकिस्तान क्रिकेट बोर्ड के चेयरमैन एहसान मनी ने रविवार को कहा था, आईसीसी से अनुमति लेना भले ठीक हो मगर भारत फिर ऐसे कई मामलों में आईसीसी से इजाजत मांग सकता है जो स्वीकार्य नहीं है।' खैर आईसीसी ने सोमवार को पाक बोर्ड को जवाब दिया है। बोर्ड के जनरल मैनेजर क्लेयर फर्लोंग ने कहा, 'बीसीसीआई ने आर्मी कैप पहनने के लिए आईसीसी से परमीशन ली थी और मंजूरी मिलने के बाद ही भारतीय क्रिकेटरों ने मैदान पर वो कैप पहनी।'
हर साल एक मैच खेला जाएगा ऐसे ही
अगर ऑस्ट्रेलियाई टीम 'पिंक टेस्ट' और साउथ अफ्रीकी 'पिंक वनडे' खेल सकते हैं तो अब टीम इंडिया भी हर साल एक 'स्पेशल कैप' के साथ मैदान में उतरेगी। भारतीय क्रिकेट बोर्ड ने कंगारुओं के खिलाफ तीसरे वनडे के साथ एक नई मुहिम शुुरु की। सभी भारतीय क्रिकेटर्स मैदान पर कैमोफ्लैज कैप के साथ मैदान में उतरे। इसका मकसद भारतीय सेनाओं को ट्रिब्यूट देना है। इस मुहिम की शुरुआत किसी और ने नहीं बल्कि टीम इंडिया के पूर्व कप्तान एमएस धोनी ने की। धोनी को टेरिटोरियल आर्मी में लेफ्टिनेंट कर्नल की मानद उपाधि मिली है। ऐसे में उनका सेना से काफी जुड़ाव है। धोनी ने अपने कप्तान विराट कोहली से कैमोफ्लैज कैप के बारे में बात की और अब हर साल भारत में एक मैच इसी कैप को पहनकर खेला जाएगा।
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