एक बयान में आईसीसी ने कहा है, “इस बात पर सहमति हुई है कि सभी सदस्य बोर्डों को इस फ़ैसले पर जून 2012 से पहले-पहले अमल करना होगा। इसके बाद एक साल का समय दिया गया है जिसके बाद प्रतिबंध लगाया जा सकता है.”

अगर आईसीसी को लगता है कि किसी राष्ट्रीय क्रिकेट बोर्ड में सरकारी दख़ल है तो नए सुधारों के तहत उस सदस्य को निलंबित किया जा सकता है।

दक्षिण एशियाई देशों पर असर

 भारत में बीसीसीआई के अध्यक्ष पद पर कई राजनेता रह चुके हैं। पाकिस्तानी क्रिकेट बोर्ड के पैट्रन इन चीफ़ देश के राष्ट्रपति ही हैं। पाकिस्तान क्रिकेट बोर्ड के चेयरमैन इयाज़ बट्ट की भी इस बात के लिए आलोचना होती रही है कि वे सत्ताधारी पाकिस्तान पीपल्स पार्टी के ‘नुमाइंदे’ हैं।

श्रीलंका और बांग्लादेश पर भी इन बदलावों को असर पड़ेगा.एएफ़पी के मुताबिक पीसीबी ने इस मसले पर आईसीसी को क़ानूनी नोटिस भेज दिया है।

आईसीसी ने राजनेताओं की नियुक्ति पर रोक का फ़ैसला चार दिन तक चली बातचीत के बाद लिया है। आईसीसी के मुख्य कार्यकारी हारून लॉर्गट का कहना है कि अन्य खेलों में माने जाने वाले नियमों के मुताबिक क्रिकेट को ढालने के लिए ये क़दम ज़रूरी है।

मसलन फ़ुटबॉल में फ़ीफ़ा किसी भी देश की फ़ुटबॉल एसोसिएशन को निलंबित कर सकता है अगर उसमें सरकारी दख़ल हो।

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