सफ़ेद संगमरमर से बना ताजमहल प्रदूषण के कारण पीला पड़ रहा है. इसलिए अब इसकी सुंदरता को बनाए रखने के लिए उस एक ख़ास लेप लगाया जाएगा.

ये चौथा मौक़ा है जब 17वीं सदी में बने ताजमहल की रंगत को बचाए रखने के लिए इस तरह की कवायद हो रही है.

इससे पहले साल 2008 में ताजमहल पर मड-पैक लगाया गया था.

ताजमहल के आसपास प्रदूषण के स्तर में कोई कमी नहीं आई है और इसलिए एक बार फिर ताजमहल की सफ़ाई की ज़रूरत महसूस हो रही है.

चमक खो रहा है ताज

भारत पुरातत्व सर्वेक्षण के अधिकारी बीएम भटनागर ने समाचार एजेंसी पीटीआई से कहा, "शहर में बढ़ रहे प्रदूषण के कारण सफ़ेद संगमरमर पीला पड़ रहा है और अपनी चमक खो रहा है."

भटनागर ने कहा कि पुरातत्व सर्वेक्षण के रसायन विभाग ने ताजमहल के लिए मड पैक (उबटन) बनाने की प्रक्रिया शुरू कर दी है.

ये उपाय महिलाओं द्वारा अपने चेहरे को निख़ारने के लिए इस्तेमाल की जाने वाली पारंपरिक उबटन विधि पर आधारित है.

भटनागर ने बताया कि ताजमहल के प्रदूषण प्रभावित हिस्सों पर उबटन की दो मिलीमीटर मोटी परत लगाकर छोड़ दी जाएगी और फिर उसे अगले दिन हटाया जाएगा.

"सतह से अशुद्धियों को हटाने के लिए उबटन के सूखने पर परत को नरम नाइलोन ब्रश से हटाया जाएगा है और शुद्ध पानी से धोया जाएगा."

-बीएम भटनागर, भारत पुरातत्व सर्वेक्षण

भटनागर ने बताया, "सतह से अशुद्धियों को हटाने के लिए उबटन के सूखने पर परत को नरम नाइलोन ब्रश से हटाया जाएगा है और शुद्ध पानी से धोया जाएगा."

इससे पहले 1994, 2001 और 2008 में ताजमहल का इस तरह लेप लगाया जा चुका है.

विश्व विरासत

भटनागर ने बताया कि पिछली बार क़रीब साढ़े दस लाख रुपए के ख़र्च पर विशेषज्ञों के एक दल ने छह महीने के भीतर ताजमहल के छोटे-छोटे हिस्सों का इस तरह लेप लगाया गया था और इससे पर्यटकों को किसी परेशानी का सामना नहीं करना पड़ा था.

पश्चिमी उत्तर प्रदेश के आगरा में यमुना तट पर बना ताजमहल विश्व की सबसे ज़्यादा पहचानी जाने वाली इमारतों में से एक है.

बादशाह शाहजहाँ ने 1653 में ने अपनी तीसरी और सबसे प्रिय पत्नी मुमताज महल की याद में ताजमहल को मकबरे के रूप में बनवाया था. मुमताज महल की मौत चौदहवें बच्चे को जन्म देते हुए हुई थी.

सफ़ेद संगरमरमर से बने और बेशक़ीमती पत्थरों से जड़े गुंबदों और मीनारों वाला ताजमहल मुग़ल काल की वास्तुकला का सबसे बेहतरीन नमूना माना जाता है.

1983 में यूनेस्को ने ताजमहल को विश्व विरासत स्थल का दर्जा दिया गया था. हर साल यहाँ कई लाख पर्यटक पहुँचते हैं.

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