RANCHI: सिटी के सोशल एक्टिविस्ट्स सिविल सर्जन से मिले और हास्पिटल में आइसीयू की मांग को दोहराया। उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट का जजमेंट आए एक साल हो गया। कहा गया था कि बिना आइसीयू के किसी भी हास्पिटल में न सर्जरी की जा सकती है और न हास्पिटल या नर्सिग होम का संचालन हो सकता है। इसके बावजूद सदर हास्पिटल में आइसीयू नहीं बनाया गया है। ऐसे में अगर मरीज की स्थिति खराब होगी, तो बड़े हास्पिटल रेफर करने के अलावा कोई चारा नहीं है। इस पर सिविल सर्जन ने कहा कि सदर हास्पिटल में डॉक्टर अपनी जिम्मेवारी पर मरीजों का इलाज कर रहे हैं। हालांकि उन्होंने माना कि हास्पिटल में आइसीयू होना जरूरी है और इसके लिए हम प्रयास कर रहे हैं। साथ ही उन्होंने कहा कि भ्00 बेड के सुपरस्पेशियलिटी हास्पिटल में आइसीयू का प्रस्ताव पहले से है। मौके पर समाजसेवी ज्योति शर्मा, कैप्टन सिंह सलूजा, अनिल रुद्रा, मोनू गुप्ता समेत कई अन्य मौजूद थे।

हेपेटाइटिस बी के इलाज की गुहार

रांची में रहने वाले जितेंद्र कुमार के दो बच्चों को हेपेटाइटिस बी बीमारी हो गई है। ऐसे में जब वह इलाज के लिए रिम्स गए तो वहां से उन्हें लौटा दिया गया। इसके बाद वह शुक्रवार को सिविल सर्जन डॉ। एसएस हरिजन से मिले और मुख्यमंत्री गंभीर बीमारी योजना के तहत इलाज की गुहार लगाई। साथ ही बताया कि वह कई बार सिविल सर्जन से मिलने पहुंचे, लेकिन कर्मचारियों ने उनका मजाक उड़ाया। इस पर सिविल सर्जन ने कहा कि मुख्यमंत्री गंभीर बीमारी योजना के तहत इलाज के लिए यह बीमारी लिस्ट में नहीं है। आप रिम्स जाएं और वहीं से रेफर करा लें। अगर रिम्स रेफर नहीं करता है तो बेहतर इलाज के लिए वो रेफर कर देंगे।