1. 1939 के आंदोलन में शामिल हुए थे यशोमित्र

सन 1939 में आजादी की लड़ाई में भाग लेने वाले फ्रीडम फाइटर यशोमित्र का निधन 31 मार्च 2003 को हुआ। बताते हैं कि उन्होंने महात्मा गांधी के साथ सत्याग्रह आंदोलन में भाग लिया था। यशोमित्र उर्फ वसुमित्र आर्यगुरुकुल अयोध्या- फैजाबाद से जुड़े थे। 1939 में जब महात्मा गांधी ने अंग्रेजों केे खिलाफ सत्याग्रह किया तो यशोमित्र भी अपने 10 गुरुकुल ब्रहमचारी के साथ इस आंदोलन में शामिल होने केे लिए अयोध्या से रवाना हुए। वे अयोध्या से फैजाबाद गए और वहां से जत्थेदार वाचस्पति मिश्र की अगुवाई में वे लखनऊ पहुंचे। लखनऊ से शोलापुर होते हुए गुलबर्ग स्टेशन पहुंचे। वे सभी लोग महात्मा गांधीजी के सत्याग्रह में शामिल हुए। जब अंग्रेज पुलिस ने इस आंदोलन को तोडऩे के लिए लोगों को अरेस्ट किया तो यशोमित्र भी शामिल थे और उन्हें  हैदराबाद जेल में रखा गया।

2. तो यहां है असली फ्रीडम फाइटर का परिवार

जब आई नेक्स्ट को यशोमित्र आश्रित के फर्जीवाड़े की जानकारी हुई तो यशोमित्र के असली आश्रितों की तलाश शुरू की गई। लंबी तलाश के बाद नौसढ़ में रहने वाली एक फैमिली मिली। जिसने दावा किया कि वह फ्रीडम फाइटर के असली आश्रित हैं। सबूत के तौर पर स्वर्गीय यशोमित्र की पत्नी भानुमति ने बताया कि सरकार उन्हें हर माह 20 हजार रुपए की पेंशन बतौर फ्रीडम फाइटर की विधवा होने पर देती है। भानुमति बताती है कि उनके दो बेटे हैं। सर्वजीत और अभयजीत। सर्वजीत का देहांत हो चुका है और उसकी फैमिली के नौसढ़ में रहती हंै। अभयजीत की फैमिली संतकबीर नगर जिले के खलीलाबाद कसबे में रहती हैं। नौसढ़ में रहने वाली फैमिली का दावा है उनकी जगह दूसरे लोगों ने फर्जीवाड़ा कर फ्रीडम फाइटर के कोटे का सर्टिफिकेट लगाकर लाभ लिया है।

3. फर्जी है अमित और पवन!

जब आई नेक्स्ट ने नौसढ़ में रहने वाले स्वर्गीय सर्वजीत के फैमिली मेंबर से सच्चाई जाननी चाही तो उन्होंने अमित और पवन पर गंभीर आरोप लगाए। सर्वजीत की पत्नी अनारकली का आरोप है कि इन दोनों ने फ्रीडम फाइटर यशोमित्र के नाम पर फर्जीवाड़े से मेडिकल की सीट हथिया ली है। जबकि यशोमित्र के असली आश्रित तो वे है। अनारकली का कहना है कि उनके परिवार में से किसी ने अभी तक डॉक्टरी की पढ़ाई नहींकी है।

4. तो इसलिए चुप हैं यशोमित्र का परिवार

फ्रीडम फाइटर से जुड़ा हर कोई शख्स खुद को 'असली वारिस' बता रहा है। मामले की तह तक पहुंचने के लिए प्रशासन पुख्ता सबूत जुटा रहा है। इस बात का भी संदेह है कि फ्रीडम फाइटर का आश्रित बनकर लाभ लेने वाले कहीं न कहीं इस फैमिली से जुड़े हैं। हालांकि नौसढ़ में रहने वाली अनारकली की फैमिली बार- बार यह दावा कर रही है कि उनके साथ धोखाधड़ी हुई है। उनका यह भी आरोप है कि उन्हें धमकाया जा रहा है और मामले में कुछ?भी कहने से मना किया जा रहा है। इसकी एक शिकायत गोरखपुर एसएसपी से भी की गई है.अनारकली बताती है कि लगभग दो वीक पहले लेखपाल आए थे। उन्होंने हमसे पूछताछ की कि आपका बेटा या कोई आश्रित मेरठ से एमबीबीएस की डिग्री ले रहा है। तब हमें इस बात का पता चला कि मेरे ससुर यशोमित्र केे फ्रीडम फाइटर सार्टिफिकेेट का दुरुपयोग किया जा रहा है। अनारकली बताती हैं कि जब मुझे इस फर्जीवाड़े की जानकारी हुई तो मैंने एडमिनिस्ट्रेशन का दरवाजा खटखटाया। मैं अपने फैमिली मेंबर्स के साथ कमिश्नर, डीएम और एसडीएम से मिलने पहुंची और इन सभी को लिखित में शिकायत की कि मेरे ससुर के फ्रीडम फाइटर का फर्जी सर्टिफिकेट लगाकर कुछ लोग लाभ ले रहे हैं। उनके खिलाफ कार्रवाई होनी चाहिए।

5. पता नहीं, कौन फंसाने की कोशिश कर रहा है?

जब इस बारे में स्टूडेंट अमित जायसवाल से बात की गई तो उसने साफ कह दिया कि उसे फंसाने की कोशिश की जा रही है। उसने कहा कि फ्रीडम फाइटर यशोमित्र उसके दादा जी हैं। अमित ने बताया, 'पहले हमारा पूरा परिवार गोरखपुर में रहता था। जहां हमारी ज्वाइंट फैमिली थी। उसके बाद दादा जी एक्सपायर कर गए। मैं अपने पापा और दादी के साथ खलीलाबाद आ गया। दादी की पेंशन भी यहीं ट्रांसफर करा ली। जब मेरे भाई पवन का एडमिशन हुआ था तब हम गोरखपुर में रहते थे। नियम यही है कि जहां से पेंशन मिलती है उसी जगह से सर्टिफिकेट बनता है। मुझे भी इस बारे में जानकारी नहीं है कि कौन इस तरह की बातें और शिकायतें कर रहा है.Ó

हम लोगों को यह जानकारी हुई तो एसडीएम सदर को एप्लीकेशन देकर जांच की मांग की गई। हमारे परिवार के किसी मेंबर ने मेडिकल कॉलेज में एडमिशन नहीं लिया है।

अनारकली, फ्रीडम फाइटर की बहू

हम लोग नौसढ़ में रहते हैं। हमारे चाचा का परिवार खलीलाबाद में रहता है। किसी ने साजिश करके हमारे दादा के फ्रीडम फाइटर सर्टिफिकेट का दुरुपयोग किया है।

दीपक, फ्रीडम फाइटर के पौत्र