बैंक अकाउंट खुलवाना भी आफत

कई बंदे नौकरी के सिलसिले में रांची आते हैं। अच्छी बात है। लेकिन सैलरी लेने के लिए बैंक अकाउंट जरूरी है और यहीं पर क्राइसिस शुरू होती है। क्योंकि बैंक के हिसाब से जो कार्ड या डॉक्यूमेंट्स चाहिए, वह उनके पास नहीं होती। वैसे तो आधार कार्ड देश के 16 स्टेट्स और यूनियन टेरिटरीज में लागू हो गया है, लेकिन ये भी अब तक लिमिटेड पर्सन्स तक पहुंच पाया है। वहीं जो व्यक्ति नन सैलरीड क्लास का रहता है, उसे अपना पैन कार्ड पाना भी एक चुनौती ही बनी रहती है। पासपोर्ट भी अब तक मैक्सिमम सिटीजंस तक नहीं पहुंच पाए हैं। ऐसे में खुद की आइडेंटिटी साबित करने में लोगों के पसीने छूट रहे हैं और आइडेंटिटी क्राइसिस की स्थिति उत्पन्न हो चली है।

इतने तरह के आइडी प्रूफ!
द यूनिक आइडेंटिफिकेशन अथॉरिटी ऑफ इंडिया (यूआईडीएआई), जो आधार कार्ड प्रोजेक्ट को पूरे देश में लागू कर रहा है, ने कई डॉक्यूमेंट्स या काड्र्स को आइडी प्रूफ के तौर पर अपनी लिस्ट में शामिल किया है। इसमें पासपोर्ट,पैन कार्ड, राशन-पीडीएस कार्ड, वोटर आइडी कार्ड, ड्राइविंग लाइसेंस, गवर्नमेंट फोटो आइडी कार्ड, नरेगा जॉब कार्ड, किसी एजूकेशनल इंस्टीट्यूट की ओर से जारी की गई फोटो आईडी, आम्र्स लाइसेंस, फोटो बैंक एटीएम कार्ड, फोटो क्रेडिट कार्ड, पेंशनर फोटो कार्ड, फ्रीडम फाइटर फोटो कार्ड, सर्टिफिकेट ऑफ आइडेंटिटी-ग्रुप ए गजेटेड ऑफिसर की ओर से अपने लेटर हेड पर फोटो के साथ जारी किया हुआ, शामिल हैं। अब इतने आइडी प्रूफ के चलते पब्लिक भी लगातार कंफ्यूजन की स्थिति में है।

कोई दूसरा न ले ले लाभ
खुद यूनिक आइडेंटिफिकेशन अथॉरिटी ऑफ इंडिया के चेयरपर्सन ने कहा है कि यूआईडी नागरिकता का प्रमाण पत्र नहीं होगा, लेकिन ये किसी भी व्यक्ति की आईडेंटिटी प्रूफ करेगा। यहां गौर करनेवाली बात ये है कि आधार कार्ड गवर्नमेंट सर्विसेज जैसे डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर,  बैंक अकाउंट खुलवाने और ड्राइविंग लाइसेंस लेने में कंप्लसरी कर दिया गया है। ऐसी स्थिति में जो लोग इस देश के नागरिक नहीं हैं, वे भी इसका लाभ उठा सकते हैं। ऐसे में सिटिजनशिप एक्ट के तहत अब नागरिक पर ही रिस्पांसबिलिटी आ जाती है कि वह प्रॉपर्टी के मालिकाना हक और वोटर लिस्ट में अपने नाम के सहारे अपनी नागरिकता का दावा पेश करे। यही बात टेंशन में डाल रही है.हर जगह चाहिए अलग आई कार्ड
जरूरत के हिसाब के हर जगह अलग-अलग आई कार्ड का अलग-अलग यूज होता है। आइडी के सहारे ही किसी भी मोबाइल का सिम कनेक्शन लिया जाता है। नया गैस का कनेक्शन लेने, अपने घर में टीवी का सेट टॉप बॉक्स जैसे टाटा स्काई, रिलायंस लेने, रेलवे या फ्लाइट का ऑनलाइन टिकट लेने और नया बैंक अकाउंट खुलवाने में आईडी कार्ड का यूज होता है। होटल्स में टहरने के लिए आई कार्ड जरूरी होता है। सिटी के साइबर कैफे और नया पासपोर्ट बनवाने में आई कार्ड की डिमांड की जाती है.  खासकर एडमिनिस्ट्रेशन की ओर से बिना पहचान के  आनेवाले लोगों को साइबर कैफे  में नहीं बैठने देने का निर्देश दिया गया है। वहीं कई जगहों पर कॉलेज आइडी को भी मान्यता नहीं दी जाती है, जिससे स्टूडेंट्स को प्रॉब्लम फेस करनी पड़ती है।

यूआईडी कार्ड
इसे यूनिक आइडेंटिफिकेशन अथॉरिटी ऑफ इंडिया की ओर से जारी किया जाता है।
ऐसे बनता है : यूआईडी कार्ड बनाने के लिए बर्थ सर्टिफिेकेट या स्कूल के सर्टिफिकेट की रिक्वायरमेंट होती है, जो हर किसी के पास अवेलेबल होता है।
क्या है मकसद : इसका मकसद हर सिटीजन को नेशनल आइडेंटिफिकेशन नंबर प्रोवाइड करना है। ये पब्लिक डिस्ट्रिब्यूशन सिस्टम, बैंक एकाउंट की ओपनिंग, फ्लाइट और ट्रेनन बुकिंग, स्कॉलरशिप लेने, गैस कनेक्शन, गैस फैसिलिटी या पासपोर्ट लेने में यूज किया जाता है।
सिटी में कितने लोगों का है बना : आधार कार्ड के झारखंड के प्रोजेक्ट हेड पीके उपाध्याय बताते हैं कि रांची के रूरल एरिया में आधार कार्ड बनने की  शुरुआत 2010 में ही हो गई थी। मार्च 2013 तक 21 लाख 84 हजार लोगों का इनरॉलमेंट किया जा चुका है। इसके अलावा 17 लाख 50 हजार लोगों का यूआईडी कार्ड बन चुका है और उनके पोस्टल एड्रेस पर भेजा जा रहा है।
ऑफिसियल टाइम :  2 दिन
अभी मिल रहा है : 2 वीक में

ड्राइविंग लाइसेंस
कौन करता है इश्यू : रिजनल ट्रांसपोर्ट ऑफिस
मकसद : ये पहचान स्थापित करना कि संबंधित व्यक्ति किसी व्हीकल को चलाने के काबिल है।
कितना लगता है वक्त : रांची के डीटीओ अजय कुमार सिंह ने बताया कि ड्राइविंग लाइसेंस बनाने में दो महीने का टाइम लग जाता है।
कैसे बनता है : किसी भी नए आदमी को ड्राइविंग लाइसेंस बनाने के लिए फार्म में 6 फोटो लगानी होती है। उसके साथ डेट ऑफ बर्थ का कोई प्रूफ और साथ में एक एड्रेस प्रूफ जमा करना होता है। फार्म जमा करने के साथ ही डीटीओ ऑफिस में कंप्युटर पर फोटो लिया जाता है। फार्म जमा करने के 15 दिन में पोस्टल एड्रेस पर लर्निंग लाइसेंस भेज दिया जाता है और उसके डेढ़ महीने के बाद ऑरिजनल ड्राइविंग लाइसेंस मिल जाता है। लर्निंग लाइसेंस के बाद  ड्राइविंग करा कर पहले देखा जाता है, उसके बाद ही ऑेरिजनल लाइसेंस दिया जाता है।

पासपोर्ट
कौन करता है इश्यू : मिनिस्ट्री ऑफ एक्सटर्नल अफेयर्स
क्या है मकसद : विदेश जाने में होता है यूज। यह रेसिडेंस प्रूफ का भी काम करता है। बैंक अकाउंट और टेलीफोन या बिजली कनेक्शन लेने में यूज किया जाता है।
ऐसे बनता है पासपोर्ट : असिस्टेंट पासपोर्ट ऑफिसर एसके सिन्हा ने बताया कि अब यहां पासपोर्ट सेवा केंद्र से सभी लोगों का पासपोर्ट बन रहा है। पासपोर्ट बनाने के लिए ऑनलाइन एप्लीकेशन जमा करना होता है। उसके बाद एक नंबर देकर उनको पासपोर्ट ऑफिस आने का टाइम दिया जाता है। पासपोर्ट बनाने में सिर्फ 45 मिनट का टाइम लगता है, जिसमें डॉक्यूमेंट वेरिफिकेशन होता है। इसमें एज प्रूफ और एड्रेस प्रूफ की जरूरत होती है। उसके बाद कंप्यूटर में फिंगर प्रिंट लिया जाता है। साथ में फोटो और सिग्नेचर भी लिया जाता है। उसके बाद फाइनल वेरिफिकेशन करने के बाद संबंधित जिले के पुलिस अफसर को रिपोर्ट के लिए भेज दिया जाता है। जितनी जल्दी पुलिस की रिपोर्ट आ जाती है,पासपोर्ट इश्यू कर दिया जाता है।
ऑफिसियल टाइम : 21 दिन
एक्चुअल टाइम : पुलिस की रिपोर्ट पर है निर्भर

वोटर आईडी कार्ड
कौन करता है इश्यू : इलेक्शन कमिशन
मकसद : इलेक्शन के दौरान वोट डालने के लिए योग्य बनाना.18 साल की उम्र के बाद हासिल हो सकता है। इससे बैंक अकाउंट खुलवाया जा सकता है, फोन कनेक्शन, ड्राइविंग लाइसेंस हासिल किया जा सकता है।
ऐसे बनता है वोटर आईडी : वोटर आई  कार्ड बनाने के लिए हर ब्लॉक लेवल पर अरेंजमेंट किया गया है। यहां एक फॉर्म में अपना फोटो एज प्रूफ और एड्रेस प्रूफ के साथ जमा करना है। वहां फोटोग्राफी होती है और उसके बाद 10 दिन में संबंधित पोस्टल एड्रेस पर वोटर आई कार्ड भेज दिया जाता है।

पैन कार्ड
कौन करता है इश्यू : मिनिस्ट्री ऑफ फाइनांस
क्या है मकसद : ये नेशनल आइडेंटिफिकेशन नंबर के बराबर है। इसे टैक्स पेमेंट को रेगुलेट करने के लिए लागू किया गया है। ये फिनांसियल डिलिंग के दौरान जैसे लोन लेने या प्रॉपर्टी की खरीद-बिक्री के दौरान इस्तेमाल होता है।
ऑफिसियल टाइम :  15 दिन में नियमानुसार पैन कार्ड मिल जाना चाहिए। इंटरनेट के सहारे पांच दिन में
अभी मिल रहा है : दो से पांच सप्ताह में