गरीब हो या अमीर सबकी खुशियों के मुताबिक मिल रहा आइटम
तीसरे अशरे के साथ ही रोशनबाग मार्केट में ईद की जमकर हो रही खरीदारी
ALLAHABAD: रमजान उल मुबारक का पाक महीना रूखसत होने वाला है। ईद की आहट के बीच खुशियों में चार चांद लगाने के लिए रोजेदार और उनके परिजन तैयारियों में जुट गए हैं। अमीर हो या गरीब सबके जीवन में ईद की खुशियों को यादगार बनाने के लिए रोशनबाग मार्केट पूरी तरह से रात दिन गुलजार दिखाई दे रहा है। खास बात है कि तीसरे अशरे की शुरुआत से ही हर किसी की ईद को रोशन के लिए मार्केट में दस रुपए से लेकर एक हजार रुपए के बीच में एक या दो नहीं बल्कि दर्जनों सामान दुकानदारों ने मंगाए हैं।
रातभर गुलजार है रोशनबाग
रोशनबाग में मार्केटिंग इन दिनों शवाब पर है। जहां ईद पर मेहमानों की खातिरदारी बेहतरी ढंग से करने और छोटे-छोटे बच्चों से लेकर परिवार की महिलाओं और बड़े-बुजुर्गो तक के लिए एक से बढ़कर एक आइटम की खूब बिक्री हो रही है। मार्केट में एक वर्ष के बच्चे से लेकर वृद्ध लोगों तक के लिए आकर्षक और किफायती कीमतों में स्कर्ट टाप, कुर्ता पायजामा, लैगी शूट, हैदराबादी कंगन, फैंसी ड्रेस व नागरा जूती सहित दर्जनों आइटम उपलब्ध है।
सामानों की कीमत
फाइबर डोंगा : 120 रुपए का एक
फाइबर प्लेट : 150 रुपए में छह पीस
स्पून : 20 रुपए पीस
गिलास : 50 रुपए की छह पीस
कटोरी : 30 रुपए की छह पीस
काफी कप : 25 रुपए का एक
फैंसी ड्रेस : 100 से 400 रुपए तक
लैगी शूट व स्कर्ट टाप : 150 रुपए
कुर्ता पायजामा : 100 से 200 रुपए
हैदराबादी कंगन: 50 रुपए में छह पीस
नागरा जूती : 200 रुपए
जींस : 200 से 400 रुपए तक
मुकद्दस महीना हमसे रुखसत हो रहा है तो ईद की खुशियां मनाने का वक्त आ गया है। रिश्तेदारों और परिचितों की मेहमाननवाजी में कोई कमी नहीं करना है।
काजमीन सिद्दीकी
यह खुदा की बरकत और रहमत का महीना है। ईद की तैयारियां पूरी कर ली गई हैं। अब तो खुशियों को एक-दूसरे के साथ साझा करने का समय है।
मोहम्मद रिसाल
परवर दिगार इतनी मोहलत दे कि अगले बरस फिर रोजा रखा जा सके। सबकी सलामती और तरक्की के लिए दुआएं मांगी जा सके।
राशिद हुसैन
ईद पर खानपान से लेकर ड्रेस तक का कलेक्शन कर लिया है। नए-नए ड्रेसेज के साथ परिवार को लेकर परिचितों के यहां जाकर खुशियां मनाएंगे।
सरफराज अहमद
हमारी सबसे बड़ा खुशियों का त्योहार आ गया है। मेहमानों और परिजनों की खुशियों में चार चांद लगाने के लिए कोई कसर नहीं छोड़ना है।
मजहर अब्बास