मतदान वाले दिन आप अपने बूथ तक जाएं। रिटर्निंग ऑफिसर के यहां अपनी उपस्थिति दर्ज कराएं और मतदान करने की निशानी अपनी अंगुली पर लगाएं और फिर बताएं कि आप वोट करना नहीं चाहते। इस स्थिति में आपका वोट इसी कैटेगिरी में काउंट होगा और हार-जीत का अंतर मामूली होने पर आपका यह फैसला मतदान रद्द तक कराने की क्षमता रखता है।

जाने अपने हक व अधिकारों को

चुनाव आचरण अधिनियम 1969 की धारा 49-ओ के तहत आपको यह विशेष अधिकार मिलता है। जिसमें भारत का कोई भी नागरिक जो मतदान का अधिकारी हो, पोलिंग बूथ पर जाकर अपनी पहचान स्थापित करके, अपनी अंगुली पर स्याही लगवा कर मतदान अधिकारी से कह सकता है कि वह अपने एरिया से चुनाव लड़ रहे किसी भी उम्मीदार को वोट नहीं देना चाहता।

कानूनी प्रावधान है यह

चुनाव आचरण अधिनियम की धारा 49-ओ को फालो करना एक कानूनी प्रावधान है। जो भारत के सभी वोटरों को भारत के संविधान द्वारा दिया गया है। यह अलग बात है कि इस अधिकार के बारे में ज्यादातर लोग नहीं जानते और न ही उन्हें बूथ पर इसके बारे में कोई बताने वाला होता है. 

हम क्यों वोट देने जाएं

आई-नेक्स्ट के सर्वे में भी यह सामने आया है कि प्रत्याशियों के चयन को लेकर जनता कंफ्यूज है। पिछले दिनों सामने आए घोटालों और धोखाधड़ी के केसेज ने आम लोगों का भरोसा राजनीतिज्ञों पर से हटाया है। बड़ी तादाद में इसी के चलते लोग वोटिंग से दूर हटते हैं। निर्वाचन आयोग का मानना है कि ऐसा करना ठीक नहीं है। मतदाताओं को अपने अधिकारों के बारे में पूरी तरह से जानना चाहिए और उसका इस्तेमाल करना चाहिए।

सोच बदलिए, देश बदलेगा

पिछली बार एमपी के इलेक्शन के दौरान इलाहाबाद में वोटिंग का प्रतिशत 40 प्रतिशत से भी कम रहा है। इसी को देखते हुए इलेक्शन कमीशन द्वारा बड़े लेवल पर वोटर्स अवेयरनेस कैम्पेन चलाया जा रहा है। कमिश्नर मुकेश मेश्राम कहते है कि 49-ओ प्राविधान का वोटर्स यूज कर सकते है। इलेक्शन ड्यूटी की टे्रनिंग के दौरान भी सभी पीठासीन अधिकारियों को भी इस बारे में जानकारी दी गई है। इस प्राविधान की सबसे बड़ी ताकत यह है कि अगर हार-जीत का अंतर मामूली है तो फिर मतदान कैंसिल तक हो सकता है।