डॉक्टर से संपर्क करना जरूरी, नजरअंदाज करने पर बढ़ सकता है स्वाइन फ्लू का खतरा

ALLAHABAD: इस सीजन में स्वाइन फ्लू को लेकर अधिक चिंता करने की जरूरत नही है। बस सर्दी-जुकाम को नजरअंदाज नहीं किया जाए। उचित लक्षणों के आधार पर डॉक्टर से संपर्क से करना बेहतर होगा। हालांकि, साधारण जुकाम और स्वाइन फ्लू के लक्षणों में अंतर है। अगर सही जानकारी है तो चिंता की बात नहीं। लेकिन जुकाम और बुखार लंबे समय तक बना है तो एक बार डॉक्टर की सलाह लेना जरूरी होगा।

अब सात मरीज चिन्हित, तीन की मौत

वैसे तो अभी तक स्वाइन फ्लू के ऑफिशियली सात मरीज चिंहित हुए हैं लेकिन हकीकत इससे कुछ अलग है। असल में उन मरीजों का रिकॉर्ड स्वास्थ्य विभाग के पास है ही नहीं, जिनको सीधे लखनऊ रेफर कर दिया गया है। इनकी जांच भी वहीं हुई है, जबकि यह रहने वाले शहर के हैं। वैसे अब तक स्वाइन फ्लू से तीन मौतें हो चुकी हैं। इनमें राजरूपपुर की एक वृद्ध दंपति भी शामिल है। एक अन्य मौत लखनऊ केजीएमयू में इलाज के दौरान हुई है। कई अन्य मरीज भी हैं जो केजीएमयू या पीजीआई में भर्ती होकर अपना इलाज करा रहे हैं।

इन लक्षणों पर रखिए ध्यान

जुकाम के लक्षण- हल्का बुखार, खांसी और गले में खरास।

स्वाइन फ्लू के संभावित लक्षण- सीने में दर्द, सांस फूले, चक्कर और बेहोशी के साथ शरीर नीला पड़ जाए और डायरिया के लक्षण दिखना।

हाई रिस्क कटेगरी

- पांच वर्ष से कम आयु के बच्चे, गर्भवती महिलाएं, बुजुर्ग जिन्हें हृदय, गुर्दा, लिवर, मस्तिष्क की बीमारी या डायबिटीज होने पर संक्रमण तेजी से फैलता है, क्योंकि उनमें रोग प्रतिरोधक क्षमता कम होती है।

ऐसे फैलता है स्वाइन फ्लू

- स्वाइन फ्लू की बीमारी सुअर से मनुष्य में आई है। यह एच1एन1 वायरस से फैलता है, जो इंफ्लूएंजा का एक रूप है।

स्वाइन फ्लू से बचाव

- एक दूसरे से हाथ न मिलाएं

- हाथ अच्छी तरह से धोएं

- हाथ चेहरे, नाक एवं मुंह के पास न ले जाएं

- खांसते, छींकते समय नाक व मुंह पर रुमाल रखें

- नाक की सफाई गुनगुने पानी से करें

- गुनगुना पानी, चाय और गर्म दूध पीएं

-प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने को पौष्टिक आहार लें

- रोज आंवला व नींबू का सेवन करें

-भीड़भाड़ वाली जगह पर जाने से परहेज करें

वर्जन

अगर लक्षणों को लेकर जागरुक हैं तो चिंता की बात नहीं होगी। मरीज समय रहते अपना इलाज करा सकता है। लोग लक्षणों से अनजान नहीं होते और लंबे समय तक सर्दी-जुकाम व दूसरे लक्षणों को इग्नोर करते हैं। यह उनकी सेहत के लिए हानिकारक साबित होता है।

-डॉ। एएन मिश्रा, जिला संक्रामक रोग नियंत्रण अधिकारी

अधिकतर मरीज बीमारी को शुरू में इग्नोर करते हैं और फिर सीरियस स्टेज पर डॉक्टर के पास आते हैं। तब तक देर हो चुकी होती है। इसलिए अनकम्फर्टेबल महसूस होते ही डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए। समय से इलाज हो जाए तो कोई भी रोग से बचा जा सकता है।

-डॉ। आशुतोष गुप्ता, चेस्ट फिजीशियन