दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री और आम आदमी पार्टी के नेता अरविंद केजरीवाल ने एक विशेष इंटरव्यू में बीबीसी हिंदी के फ़ेसबुक पाठकों के एक सवाल के जवाब में ऐसा कहा है.

बीबीसी के साथ ख़ास बातचीत में केजरीवाल ने कहा कि सांप्रदायिक हिंसा या दंगा-फ़साद भारत के लिए सबसे बड़ा खतरा है.

उनका ये भी मानना है कि जातिवाद के मुद्दे पर यदि जनता के सामने कोई अच्छी छवि वाला विकल्प होगा तो वो अलग तरीके से वोट करेंगे.

बीबीसी हिंदी के फ़ेसबुक पाठक अनूप कुमार मिश्रा ने आम आदमी पार्टी की फंडिंग के बारे में सवाल किया. उन्होंने पूछा - ''आपने कहा है कि भाजपा और कांग्रेस उद्योगपति मुकेश अंबानी के पैसे से चुनाव लड़ते हैं. इसलिए वो अंबानी के हित में काम कर रहे हैं. आपकी पार्टी पर आरोप लगा है कि आपको अमरीका की फ़ोर्ड फ़ाउंडेशन और इस तरह की अन्य संस्थाओं से पैसा मिला है. अगर आप जीतकर आते हैं तो क्या आप भी इन लोगों के स्वार्थ सिद्ध नहीं करते?"

'फ़ोर्ड से पैसा लेंगे तो मान्यता ही रद्द हो जाएगी'

अरविंद केजरीवालः हमें, आम आदमी पार्टी को फ़ोर्ड फ़ाउंडेशन से कोई पैसा नहीं मिल रहा है. हम ले ही नहीं सकते. जिस दिन हम उनसे पैसा ले लेंगे, हमारी पार्टी डिरिक्नाइज़ हो जाएगी, डिरजिस्टर हो जाएगी (मान्यता रद्द हो जाएगी). हम किसी विदेशी एजेंसी से पैसा ले ही नहीं सकते हैं. हम विदेश में रहने वाले केवल भारतीय पासपोर्ट रखने वालों से पैसे स्वीकार करते हैं. अगर किसी ने विदेश का पासपोर्ट ले लिया या नागरिकता बदल ली तो भी हम उससे एक भी पैसा नहीं ले सकते हैं. ये कांग्रेस और बीजेपी का दुष्प्रचार है कि हमने फ़ोर्ड फ़ाउंडेशन से पैसा लिया. आम आदमी पार्टी ने उससे एक भी पैसा नहीं लिया है.

एक अन्य फ़ेसबुक पाठक प्रवीण सिंह का सवाल था - "भारत में जड़ कर चुके जाति के मुद्दे पर आपकी क्या राय है? यूपी जैसे राज्यों में जहाँ जाति पर आधारित राजनीति होती है, उसके लिए आपकी नीति क्या है?''

अरविंद केजरीवालः देखिए अभी तक जनता के सामने विकल्प क्या था? समाजवादी पार्टी - वो भी भ्रष्टाचारी, वो भी सांप्रदायिक. बहुजन समाज पार्टी - वो भी भ्रष्टाचारी वो भी सांप्रदायिक. कांग्रेस-बीजेपी - वो भी भ्रष्टाचारी, वो भी सांप्रदायिक. तो एक आदमी सोचता था कि यार मैं किसको वोट दूं? एक तो तरीका था जो आदमी हज़ार रुपए दे जाए, दो हज़ार रुपए दे जाए - इनमें से काम तो कोई करने वाला है नहीं, तो दो हज़ार रुपए ही ले लो, एक शराब की बोतल ही ले लो. फिर आम आदमी सोचता था - यार, अपनी जाति का कौन है, ये अपनी जाति का है अपने धर्म का है इसको ही दे दो. लेकिन अगर लोगों को यह लगेगा कि इस बार हमारे सामने विकल्प है और हमारा भविष्य सुधर सकता है तो वे लोग अलग तरीके से वोट करेंगे.

अयूब परकुटे, एक और फ़ेसबुक पाठक ने भ्रष्टाचार और सांप्रदायिकता के मुद्दे उठाते हुए पूछा - "मुझे लगता है कि भ्रष्टाचार मुख्य विषय ज़रूर है. मगर यह कुछ हद तक तात्कालिक है और जो केंद्र सरकार पर लगे घोटालों के आरोपों के कारण सामने आया है. मगर सबसे ज्वलंत और भारत को निचोड़ कर रख देने वाला मुद्दा है सांप्रदायिकता. उसमें केजरीवाल जी की क्या राय है और क्या रणनीति है?''

अरविंद केजरीवालः दोनों मुद्दे हमारे लिए महत्वपूर्ण हैं भ्रष्टाचार भी और सांप्रदायिकता भी. मैं इनकी बात से सहमत हूँ. भ्रष्टाचार तो चलो दस दिन में चला भी चल जाएगा, लेकिन अगर कहीं सांप्रदायिक दंगा हो जाए तो आदमी की ज़िंदगी ख़त्म हो जाती है. तो ये जो सांप्रदायिकता की वजह से दंगे होते हैं, फ़साद होते हैं, हिंसा होती है, यह तो सबसे बड़ा ख़तरा है इस देश के लिए.

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