सभी छात्रावासों की एक जैसी स्थिति, ट्रस्ट के हास्टल तो और ज्यादा चैलेंजिंग

पता ही नहीं चल पा रहा है कि कौन लीगल अंतवासी है और कौन इल्लीगल

ALLAHABAD: इलाहाबाद यूनिवर्सिटी में न्यू एकेडमिक सेशन 2018-19 में हास्टल्स का आवंटन जल्द हो पाना मुश्किल नजर आ रहा है। इसमें अब एक और बड़ी मुश्किल भी आ खड़ी हुई है। इविवि प्रशासन छात्रावासों में रहने वाले अन्त:वासियों से फीस जमा कराना ही भूल बैठा है। इसके लिए कोशिशें तो की जा रही हैं। लेकिन प्रयास उस स्तर का नजर नहीं आ रहा, जिससे अन्त:वासियों से फीस जमा करवाई जा सके।

अगस्त बीत गया, सितम्बर आ गया

गौरतलब है कि इविवि में न्यू एकेडमिक सेशन की शुरूआत हुए लम्बा समय बीत चुका है। नियम है कि हास्टल्स में रहने वाले अन्त:वासियों से समय रहते फीस जमा करा ली जाए। अगस्त बीत गया और सितम्बर आ चुका है। लेकिन एयू एडमिनिस्ट्रेशन सभी अन्त:वासियों से फीस ही नहीं जमा करवा सका है। इस बावत हास्टल्स के कुछ सुपरिटेंडेंट से बात की गई तो उन्होंने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि हास्टल्स में फीस जमा करने के लिए नोटिस और रिमाइंडर भेजा जा चुका है। लेकिन अन्त:वासी फीस ही नहीं जमा कर रहे। प्रत्येक हास्टल्स में कुछ संख्या में अन्त:वासी ही ऐसे हैं। जिन्होंने जैसे तैसे फीस जमा की है।

बन चुका है यह ट्रेंड

जानकारों का कहना है कि हास्टल्स में एक ट्रेंड सा बन गया है कि जब तक रेड नहीं डाली जाएगी, तब तक अन्त:वासी बिना किसी दबाव के फीस जमा करने में भी इंट्रेस्ट नहीं दिखाते। एक प्रकार से देखा जाए तो उनमें फीस जमा करने को लेकर कोई भय भी नहीं है। ऊपर से अब जब छात्रसंघ चुनाव सिर पर है तो इस काम को अमली जामा पहना पाना भी एयू एडमिनिस्ट्रेशन के लिए टफ टास्क है। उधर, इस मसले पर छात्रावास के कुछ अन्त:वासियों से बात की गई तो उनका भी अपना तर्क है। नाम ओपन न करने की शर्त पर वे कहते हैं कि जब उन्हें छात्रावास समय पर नहीं मिलता, कोई फैसेलिटी नहीं दी जाती तो वे पूरे एक सत्र की फीस जमा क्यों करें? लास्ट इयर से हास्टल्स की फीस 15 हजार रुपए तक कर दी गई थी। कुछ का तो यह भी कहना है कि अभी उन्हें इस बात को लेकर भी संदेह है कि कहीं कोर्स वाइज आवंटन के नाम पर उन्हें किसी दूसरे हास्टल में न शिफ्ट कर दिया जाए।

वैकेंट सीटों का ब्यौरा जुटाना चैलेंज

बहरहाल, मौजूदा हालातों में न्यू एकेडमिक सेशन में दाखिला पाए छात्र-छात्राओं के लिए एक और मुश्किल होगी। दरअसल, जब तक हास्टल्स में रह रहे सभी अन्त:वासी फीस नहीं जमा कर देते, तब तक एयू एडमिनिस्ट्रेशन के लिए यह तय कर पाना चैलेंजिंग काम है कि हास्टल्स में कौन लीगल है और कौन इल्लीगल। नव प्रवेशियों को ज्यादा से ज्यादा तादात में प्रवेश दे पाना तब तक असंभव है। जब तक हास्टल में रह रहे अन्त:वासियों से फीस नहीं जमा करवा ली जाती। क्योंकि इसी बेस पर वैकेंट सीटों का ब्यौरा भी तैयार होता है।