अब आसान नहीं होगी सरकारी अधिकारियों-कर्मचारियों की शिकायत

यूपी गवर्नमेंट ने सरकारी विभागों को भेजा पत्र, बताया किन-किन बातों का रखना होगा ध्यान

ALLAHABAD: सरकारी अधिकारियों और कर्मचारियों के खिलाफ कोई भी शिकायत बिना नाम पते के आधार पर भेजकर कार्रवाई की उम्मीद अब बेमानी है। यूपी गवर्नमेंट ने ऐसी फर्जी शिकायतों के आधार पर कार्रवाई से साफ इंकार कर दिया है। यही नहीं बाकायदा सभी जिलों के कमिश्नर, डीएम और विभागाध्यक्षों को पत्र भेजकर अवगत कराया है कि किस फार्मेट में भेजी गई शिकायतों के आधार पर कार्रवाई की जा सकती है। इसके अलावा शासन जल्द से जल्द पेंडिंग शिकायतों का निस्तारण करने का भी मन बना चुका है।

गाइडलाइन का रखें ख्याल

यूपी गवर्नमेंट के मुख्य सचिव अनूप चन्द्र पांडेय की ओर से जारी आदेश में स्पष्ट रूप से कहा गया है कि यदि शिकायत सांसद और विधायकों द्वारा भी की जाती है तो एकाएक उनकी पड़ताल शुरू करने से पहले यह चेक करना जरूरी होगा कि शिकायत तथ्यपरक है या नहीं। मुख्य सचिव द्वारा सभी जिलों के विभागों और उनके मुखिया को जारी आदेश में कहा गया है कि समूह क के अधिकारियों एवं समूह ख, ग एवं घ के सरकारी सेवकों के विरूद्ध प्राप्त शिकायती पत्रों के निस्तारण हेतु कार्मिक विभाग ने 09 मई 1997, 01 अगस्त 1997 एवं 19 अप्रैल 2012 को शासनादेश जारी किया था।

फर्जी शिकायतों पर रखनी होगी नजर

इन तीन महत्वपूर्ण शासनादेशों में स्पष्ट रूप से इंगित किया गया है कि सरकारी सेवकों के विरूद्ध की गई शिकायतों की प्रक्रिया क्या है? शासन ने इस बात पर अपनी चिंता जाहिर की है कि शिकायती पत्रों का निस्तारण शासनादेशों में की गई प्रक्रिया के अनुसार नहीं किया जा रहा है। इसका कड़ाई से अनुपालन सुनिश्चित करने को कहा गया है।

इन बातों का रखना होगा ध्यान

- विशिष्ट व्यक्तियों से प्राप्त शिकायती पत्रों के संबंध में कार्रवाई शुरू करने से पहले विशिष्ट व्यक्ति को पत्र भेजा जाए।

- पत्र में पुष्टि की जाए कि शिकायत उन्हीं के द्वारा हस्ताक्षरित है।

- अन्य श्रोत या व्यक्तियों से प्राप्त शिकायतों के संबंध में शिकायतकर्ता से शपथ पत्र लेना जरूरी है।

- शिकायतों की पुष्टि के लिए साक्ष्य उपलब्ध कराने को कहा जाए।

- इसके प्राप्त होने के बाद ही आगे की कार्रवाई की जाए।