-कहा, सरकारी काम से कोर्ट गया था दरोगा, सरकारी वकील न मिलना नेचुरल जस्टिस की अवधारणा का हनन

<-कहा, सरकारी काम से कोर्ट गया था दरोगा, सरकारी वकील न मिलना नेचुरल जस्टिस की अवधारणा का हनन

ALLAHABAD: ALLAHABAD: वकीलों का जबरदस्त विरोध झेल रही पुलिस को अपने ही एक अधिकारी ने भी करारा झटका दिया है। प्रदेश भर में हलचल मचा देने वाले एडवोकेट नबी मर्डर केस में दाखिल चार्जशीट पर आईजी सिविल डिफेंस अमिताभ ठाकुर ने ही सवाल खड़ा कर दिया है। उन्होंने दरोगा को सरकारी वकील मुहैया न कराने पर सरकार की मंशा पर सवाल खड़ा किया है और कहा है कि यह नेचुरल जस्टिस के प्रावधानों का हनन है।

खुलकर आए सामने

इलाहाबाद आए सिविल डिफेंस के आईजी अमिताभ ठाकुर ने आई नेक्स्ट से बातचीत में कहा कि सीआरपीसी की धारा 197 के तहत सरकारी कार्य के वक्त कोई घटना होने पर कर्मचारी को सरकारी वकील मुहैया कराने का प्रावधान है। इलाहाबाद की पुलिस ने बिना अभियोजन की स्वीकृति लिए ही चार्जशीट दाखिल कर दी जो कि अवैध है। उन्होंने चार्जशीट की भी बखिया उधेड़ी। कहा, केस डायरी से पता चलता है कि पुलिस दवाब में काम कर रही है। जब यह साफ है कि एसआई शैलेंद्र जेएम तृतीय के पैरोकार के बुलावे पर सरकारी कार्य के लिए डिस्ट्रिक्ट कोर्ट गए थे तो सरकारी वकील मुहैया कराए जाने के नियम की अनदेखी कैसे कर दी गई। उन्होंने कई उदाहरण भी दिए जिसमें अभियोजन की स्वीकृति न होने पर सीबीआई जैसी संस्था भी चार्जशीट दाखिल नहीं कर पाई।

एफआईआर पर भी सवाल

आईजी यहीं चुप नहीं हुए। उन्होंने पूरी एफआईआर पर भी सवाल उठा दिए। कहा, एफआईआर दर्ज कराने वाले नबी के पिता की 11 मार्च को घटना के वक्त लोकेशन करछना में थी। जबकि, वह अपनी मौजूदगी कोर्ट में बता रहे हैं। पुलिस को नबी के भाई तथा पिता के अलावा कोई गवाह भी नहीं मिला है। आईओ ने 15 पैरोकारों के बयान लिए हैं। उसमें से आधे ने कहा है कि एसआई को पीटा जा रहा था और रिवाल्वर छीनने की कोशिश की जा रही थी। कोर्ट में हजारों लोग मौजूद थे लेकिन पुलिस गोली चलाने के एक भी आरोपी को खोज नहीं पाई। यह कैसे संभव हुआ। कहा कि, अवैध चार्जशीट को वापस लेने के लिए वह डीजीपी और प्रिंसिपल होम सेक्रेटरी को लेटर भेजेंगे। आफिसर्स को बताया जाएगा कि सरकारी वकील न देना सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों की अवहेलना है।

सिपाही के हमलावर पकड़ से बाहर क्यों?

आईजी ने आरोप लगाया कि लोकल पुलिस आफिसर्स ने एसआई शैलेंद्र के परिवार को दबाव में अकेला छोड़ दिया है। इसकी किसी को चिंता नहीं है कि एसआई के परिवार वाले किस हाल में हैं। वकील के मर्डर के बाद हुए बवाल में गोली लगने से घायल हुए सिपाही नागेंद्र नागर के हमलावर की अब तक गिरफ्तारी न होने पर लोकल पुलिस को उन्होंने कठघरे में खड़ा किया। कहा कि आफिसर्स को अपने साथियों की ही चिंता नहीं है।

<वकीलों का जबरदस्त विरोध झेल रही पुलिस को अपने ही एक अधिकारी ने भी करारा झटका दिया है। प्रदेश भर में हलचल मचा देने वाले एडवोकेट नबी मर्डर केस में दाखिल चार्जशीट पर आईजी सिविल डिफेंस अमिताभ ठाकुर ने ही सवाल खड़ा कर दिया है। उन्होंने दरोगा को सरकारी वकील मुहैया न कराने पर सरकार की मंशा पर सवाल खड़ा किया है और कहा है कि यह नेचुरल जस्टिस के प्रावधानों का हनन है।

खुलकर आए सामने

इलाहाबाद आए सिविल डिफेंस के आईजी अमिताभ ठाकुर ने आई नेक्स्ट से बातचीत में कहा कि सीआरपीसी की धारा क्97 के तहत सरकारी कार्य के वक्त कोई घटना होने पर कर्मचारी को सरकारी वकील मुहैया कराने का प्रावधान है। इलाहाबाद की पुलिस ने बिना अभियोजन की स्वीकृति लिए ही चार्जशीट दाखिल कर दी जो कि अवैध है। उन्होंने चार्जशीट की भी बखिया उधेड़ी। कहा, केस डायरी से पता चलता है कि पुलिस दवाब में काम कर रही है। जब यह साफ है कि एसआई शैलेंद्र जेएम तृतीय के पैरोकार के बुलावे पर सरकारी कार्य के लिए डिस्ट्रिक्ट कोर्ट गए थे तो सरकारी वकील मुहैया कराए जाने के नियम की अनदेखी कैसे कर दी गई। उन्होंने कई उदाहरण भी दिए जिसमें अभियोजन की स्वीकृति न होने पर सीबीआई जैसी संस्था भी चार्जशीट दाखिल नहीं कर पाई।

एफआईआर पर भी सवाल

आईजी यहीं चुप नहीं हुए। उन्होंने पूरी एफआईआर पर भी सवाल उठा दिए। कहा, एफआईआर दर्ज कराने वाले नबी के पिता की क्क् मार्च को घटना के वक्त लोकेशन करछना में थी। जबकि, वह अपनी मौजूदगी कोर्ट में बता रहे हैं। पुलिस को नबी के भाई तथा पिता के अलावा कोई गवाह भी नहीं मिला है। आईओ ने क्भ् पैरोकारों के बयान लिए हैं। उसमें से आधे ने कहा है कि एसआई को पीटा जा रहा था और रिवाल्वर छीनने की कोशिश की जा रही थी। कोर्ट में हजारों लोग मौजूद थे लेकिन पुलिस गोली चलाने के एक भी आरोपी को खोज नहीं पाई। यह कैसे संभव हुआ। कहा कि, अवैध चार्जशीट को वापस लेने के लिए वह डीजीपी और प्रिंसिपल होम सेक्रेटरी को लेटर भेजेंगे। आफिसर्स को बताया जाएगा कि सरकारी वकील न देना सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों की अवहेलना है।

सिपाही के हमलावर पकड़ से बाहर क्यों?

आईजी ने आरोप लगाया कि लोकल पुलिस आफिसर्स ने एसआई शैलेंद्र के परिवार को दबाव में अकेला छोड़ दिया है। इसकी किसी को चिंता नहीं है कि एसआई के परिवार वाले किस हाल में हैं। वकील के मर्डर के बाद हुए बवाल में गोली लगने से घायल हुए सिपाही नागेंद्र नागर के हमलावर की अब तक गिरफ्तारी न होने पर लोकल पुलिस को उन्होंने कठघरे में खड़ा किया। कहा कि आफिसर्स को अपने साथियों की ही चिंता नहीं है।

Flash Back

Flash Back

घटना क्क् मार्च की है। घटना के दिन नारीबारी चौकी के प्रभारी शैलेन्द्र सिंह सरकारी काम से डिस्ट्रिक्ट कोर्ट पहुंचे थे। यहां उनका अधिवक्ता नबी अहमद और उनके साथियों से किसी बात को लेकर विवाद हुआ था। आरोप लगा कि दरोगा की अधिवक्ताओं के एक गुट ने पिटाई कर दी। इस पर शैलेन्द्र ने अपने सरकारी असलहे से फायर किया। इसमें अधिवक्ता नबी की जान चली गई। कोर्ट कैंपस में मर्डर के बाद जमकर उपद्रव हुआ था। दर्जनों वाहनों में तोड़फोड के साथ आगजनी हुई। पथराव में कई चोटिल हो गए। एक सिपाही भी गोली लगने से जख्मी हो गया। इसके बाद पुलिस ने कोर्ट कैंपस में घुसकर वकीलों को पीटा था। डीएम और एसएसपी का रोल सवालों के घेरे में आया। इसके बाद पूरे प्रदेश में वकीलों ने आंदोलन शुरू कर दिया। कचहरी में करीब एक महीने तक काम ठप रहा। पुलिस ने दरोगा को चालान करके जेल भेज दिया था। तभी से वह जेल में है। पुलिस उसके खिलाफ कोर्ट में चार्जशीट दाखिल कर चुकी है।

आईजी के आपत्ति के बिन्दु

-वह कोर्ट सरकारी काम से बुलाया गया था तो उसे सुरक्षा क्यों नहीं

-मृतक के पिता घटनास्थल पर थे नहीं तो प्रत्यक्षदर्शी कैसे हो गए

-हजारों लोगों की मौजूदगी के बाद भी कोई एक गवाह क्यों नहीं

-सिपाही को गोली मारने वालों की शिनाख्त अब तक क्यों नहीं

-आरोपी दरोगा को सरकारी वकील क्यों नहीं मुहैया कराया गया