आईजीआईएमएस को बचाओ

- कई जेनरल पेशेंट्स को अब तक लगाए जा चुके हैं पेस मेकर

-एक साल पुरानी योजना अब तक पड़ी है खटाई में

PATNA: आईजीआईएमएस सुपर स्पेशियलिटी हॉस्पीटल माना जाता है, लेकिन इसकी अरेंजमेंट पर लगातार सवाल उठते रहे हैं। अब हॉस्पीटल के भीतर और राजधानी के पूरे मेडिकल प्रोफेशन में इस बात की खूब जोरों से चर्चा है कि आखिर आईजीआईएमएस ने अपने ही डॉक्टर का इलाज क्यों नहीं किया और क्यों उन्हें बाहर रेफर किया गया।

अजीत गुप्ता को पेस मेकर नहीं लगाया

डॉ अजीत गुप्ता आईजीआईएमएस में एनेस्थेटिक हैं। उनके हार्ट में तकलीफ हुई और पेस मेकर लगाने की जरूरत पड़ी, लेकिन आईजीआईएमएस में पेस मेकर नहीं लगाया गया। डॉक्टरों का पैनल बनाकर उन्हें बाहर इलाज कराने की सलाह दे दी गई। सवाल ये है कि जब आईजीआईएमएस अपनी छाती चौड़ी कर इसका प्रचार-प्रसार किसी न किसी रूप में करता रहा है कि वहां पेस मेकर लगता है तो फिर एक डॉक्टर को क्यों नहीं लगाया गया पेस मेकर। सवाल ये है कि क्या ऐसे में रिम्बर्समेंट का नियम लागू होगा? क्योंकि जेनरली वही केस रेफर होता है, जिसके इलाज की व्यवस्था संस्थान में नहीं होती है।

अब तक कैथ लैब भी नहीं

आईजीआईएमएस में अब तक कैथ लैब नहीं है। सूत्रों के अनुसार हॉस्पिटल में सात नवंबर को कैथ लैब का इनॉगरेशन होगा। बताया जाता है कि कैथ लैब की प्रक्रिया मई, ख्0क्फ् में हुई थी, लेकिन एक साल में भी इसकी स्थापना नहीं हो पाई। यहां इस सर्जरी की भी व्यवस्था नहीं है। कैथ लैब से तो डायग्नोसिस में सुविधा होगी, पर जिन्हें सर्जरी की जरूरत होगी उन्हें बाहर जाना होगा।

तीसरे तल्ले पर होना था कैडियो थोरेसिक सर्जरी

हॉस्पीटल में कैडियो थोरेसिक सर्जरी तीसरे तल पर शुरू होना था। मेडिकल व सर्जिकल उपचार के लिए छत ढाल कर वर्षो से पड़ा हुआ है। ख्0क्फ् में इसके लिए संस्थान ने पूरी योजना, यहां तक कि नक्शा भी तैयार किया। इसके निर्माण पर क्0 करोड़ रुपए खर्च होने थे। यहां दो कार्डियक कैथ लैब स्थापित करने की योजना थी। दो कार्डियो थोरेसिक सर्जरी के लिए अत्याधुनिक ओटी, क्भ् बेडों का मेडिकल व सर्जिकल कार्डियक ओटी की व्यवस्था होती। साथ ही पेशेंट्स के परिजनों के रेस्ट करने, शौचालय व कैंटीन की व्यवस्था नक्शे में थी। विकास आयुक्त की अध्यक्षता में उच्चाधिकार प्राप्त समिति के समक्ष जांच व अप्रुवल के लिए इसे रखा भी गया था। बताया जाता है कि समिति ने योजना को अनुमोदित भी किया और हेल्थ सेक्रेटरी को राशि की व्यवस्था के लिए भेजा भी गया, लेकिन अब तक इस पर ठोस रूप से कुछ नहीं हो पाया है। इस महत्वाकांक्षी योजना के लागू हुए बिना हार्ट का सही ट्रीटमेंट मुश्किल है।

बोर्ड पर अखबारों के कतरन व सब फर्जी है वाला गुस्सा

हार्ट डिपार्टमेंट के हेड बीपी सिंह जहां बैठते हैं उसके ठीक बाहर एक बोर्ड टंगा है। जिसमें अनेक अखबारों में पब्लिश्ड वे तमाम खबरें लगाई गई हैं, जिससे शायद यही पता चलता है कि हार्ट डिपार्टमेंट बहुत तेजी से काम कर रहा है। इसमें पेस मेकर लगाने की बात भी कही गई है। कई भावी योजनाओं के बारे में भी बताया गया है। चूंकि इलाज का इंतजाम लचर है, इसलिए मरीजों या उनके परिजनों ने कई पेपर कटिंग्स पर लिख दिया है -सब फर्जी है।

डॉ अजीत गुप्ता को डबल पेस मेकर लगाया जाना था। आईजीआईएमएस में इसकी व्यवस्था नहीं है। कुछ दिनों में कैथ लैब शुरू होने पर यह व्यवस्था हो जाएगी। मेडिकल बोर्ड बनाकर बाहर जहां वे ठीक समझे इलाज कराने के लिए उन्हें रेफर किया गया है।

-डॉ एसके शाही, मेडिकल सुपरिटेंडेंट, आईजीआईएमएस