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जुल्म की इंतेहा पार कर दी थी, मार्कशीट तो रोका ही फ्री में करवाना चाहता था काम

दैनिक जागरण आई नेक्स्ट से एक्सक्लूसिव बातचीत में परमात्मा के भाई ने उठाया सच से पर्दा

vikash.gupta@inext.co.in

ALLAHABAD: भारतीय सूचना एवं प्रौद्योगिकी संस्थान इलाहाबाद के पूर्व प्रोजेक्ट स्टॉफ परमात्मा यादव के फांसी लगाने की वजह वह प्रोफेसर ही थे जिनके अंडर में उसने रिसर्च किया था। बुधवार को इलाहाबाद पहुंचे परमात्मा के भाई अवनीश यादव ने दैनिक जागरण आई नेक्स्ट से एक्सक्लूसिव बातचीत में परमात्मा की मौत के पीछे छुपे सच को उजागर किया। इसमें बहुत हद तक वही बातें निकलकर सामने आई हैं जिसे हम लगातार पाठकों तक पहुंचाने की कोशिश कर रहे हैं। अवनीश से हमारे रिपोर्टर विकास गुप्ता ने बातचीत की।

पहले आप अपना परिचय दें

मैं अवनीश यादव गोरखपुर जिले के महावीर छपरा का रहने वाला हूं। मिनिस्ट्री ऑफ होम अफेयर्स नई दिल्ली में तैनाती है। सीआईएसएफ का सब इंस्पेक्टर हूं और गृहमंत्री राजनाथ सिंह के कार्यालय में भी काम कर चुका हूं।

परमात्मा ने आपसे घटना के पहले कुछ बताया था?

हां। बताया था कि गाइड इंफार्मेशन टेक्नोलॉजी के शिक्षक प्रोफेसर अनुपम अग्रवाल उसे मानसिक रूप से प्रताडि़त कर रहे हैं। प्रोफेसर ने पहले उसका स्टाईपेंड बंद करवाया फिर प्रोजेक्ट वर्क से बाहर करने की नोटिस पकड़ा दी।

आपको पता है उसकी मार्कशीट कब से रोकी गई थी?

भाई ने बताया था कि मार्कशीट पहले से जमा थी। 10 जून को उसकी सेवा समाप्त करने के बाद भी मार्कशीट लौटाई नहीं गई।

मार्कशीट न मिलने से किस तरह की प्राब्लम फेस कर रहा था परमात्मा?

उसने दर्जनो जगह जॉब के लिए अप्लाई कर रखा था। इंटरव्यू के बाद उसे सेलेक्ट भी कर लिया गया। लेकिन, कहीं ज्वाइन नहीं कर पाया क्योंकि मार्कशीट जमा नहीं कर पाया।

स्पाईपेंड बंद होने के बाद घर कैसे मैनेज कर रहा था?

उसने प्राब्लम शेयर की तो मैने उसका हौसला बढ़ाया। खर्चे के लिये मैं भी पैसे भेजा करता था ताकि घर चलने में कोई दिक्कत न आए।

उसकी बात से कभी लगा कि वह आत्महत्या कर सकता है?

नहीं। कभी एहसास भी नहीं हुआ कि वह इस कदर तनाव में है और कोई आत्मघाती कदम उठा सकता है। वह अपनी बातें जल्दी किसी से शेयर नहीं करता था।

बॉडी का पोस्टमार्टम क्यों नहीं कराया?

घटना की जानकारी मिलने के बाद मेरे भाई सुनील यादव मुम्बई से इलाहाबाद पहुंचे। उस समय सभी घटना से इतने शाक्ड थे कि दिमाग काम करना बंद कर चुका था। इसी में यह इंपार्टेट चीज मिस हो गई।