आईआईआईटी फैक्ट फाइंडिंग कमेटी ने किया आरोपी प्रोफेसर का बचाव

ALLAHABAD: भारतीय सूचना एवं प्रौद्योगिकी संस्थान में पूर्व प्रोजेक्ट स्टॉफ परमात्मा यादव के सुसाइड केस के बाद गठित फैक्ट फाइंडिंग कमेटी ने सोमवार को अपनी रिपोर्ट डायरेक्टर प्रो। पी। नागभूषण को सौंप दी। संस्थान में कमेटी की रिपोर्ट को लेकर पूरे दिन कयासबाजी का दौर जारी रहा।

पीआरओ ने कुछ यूं बताई व्याख्या

जांच रिपोर्ट की बावत आईआईआईट के पीआरओ पंकज मिश्रा से कई बार पूछा गया कि उनके द्वारा जो व्याख्या बताई जा रही है। उससे क्या समझा जाये कि अनुपम अग्रवाल निर्दोष साबित हुये हैं या उन पर दोष सिद्ध हुआ है। इसपर पीआरओ ने स्पष्ट कुछ कहने से इंकार किया और केवल इतना कहा कि यह कमेटी फैक्ट फाइंडिंग के लिये थी। वह केवल इसमें जितना लिखा है, उतना बता रहे हैं। उन्होंने यह भी मानने से इंकार किया कि इस रिपोर्ट को बीओजी की मीटिंग में ले जाया जायेगा। बकौल पंकज दिसम्बर 2016 में पीएचडी में परमात्मा यादव का सेलेक्शन नहीं हुआ था।

नो ड्यूज के लिये रिमाइंडर दिया गया

उन्होंने बताया कि परमात्मा और उसके साथी चन्द्रकांत उपाध्याय को प्रोजेक्ट खत्म होने के एक माह पूर्व ही सूचना दी गई थी कि वह अपना नो ड्यूज का प्रॉसेस पूरा कर लें। इसके बाद 10 अगस्त 2017 को इसके लिये रिमाइंडर भी भेजा गया। उन्होंने बताया कि परमात्मा का एप्वाइंटमेंट 09 जुलाई 2014 को टेम्परेरी बेस पर हुआ था। वह दिसम्बर 2015 तक प्रोजेक्ट छोड़ नहीं सकता था। 10 जून 2017 को प्रोजेक्ट खत्म हो गया। इसके बाद मिनिस्ट्री से एक्सटेंशन मांगा गया था। लेकिन, मिनिस्ट्री ने इंकार कर दिया।

मृतक परमात्मा यादव को एप्वाइंटमेंट के समय ही टर्म एंड कंडीशन बताई गई थी। उनकी मार्कशीट नियमों के दायरे में थी। संस्थान इस रिपोर्ट के मद्देनजर पुलिस की जांच का पूरा सहयोग करेगा।

-पंकज मिश्रा,

पीआरओ आईआईआईटी