RANCHI : बिहार सरकार ने खुलने के पहले ही आईआईएम को कैंपस के लिए बोधगया में 150 एकड़ जमीन उपलब्ध करा दी है, जबकि आईएमएम रांची के चार साल हो चुके हैं,पर इसे अपना कैंपस नहीं मिल सका है। आज भी आईआईएम रांची सरकार के सूचना भवन बिल्डिंग में चल रहा है, जबकि खेलगांव में स्टूडेंट्स के रहने के लिए हॉस्टल है। बिहार के एजुकेशन मिनिस्टर वृषिण पटेल के मुताबिक, मगध यूनिवर्सिटी की जमीन पर आईआईएम की बिल्डिंग बनाई जाएगी। जमीन हस्तांतरण से संबंधित दस्तावेज मिलने के बाद केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने बिहार में आईआईएम खोलने पर स्वीकृति दे दी है।

2010 में खुला था आईआईएम रांची

इसे आईआईएम रांची के लिए बदनसीबी ही कहेंगे कि चारों सालों में इसका अपना कैंपस नहीं बन सका है। आईआईएम रांची 2010 में खुला था। शुरू में क्लासेज और हॉस्टल के लिए किराए पर एटीआई की बिल्डिंग ली गई, पर बाद में आड्रे हाउस स्थित सूचना भवन में आईआईएम को ले जाया गया। यहां के दो बैच का प्लेसमेंट हो चुका है और पांचवे बैच के लिए एडमिशन प्रॉसेस चल रहा है, पर अपने कैंपस के लिए यह आज भी तरस रही है।

जमीन मिली, पर विवाद गहराया

ऐसा नहीं है कि आईआईएम रांची का अपना कैंपस हो, इसके लिए पहल नहीं की गई। सरकार की ओर से कांके के पिठौरिया में आईआईएम के लिए जमीन उपलब्ध कराया गया। जमीन की बाउंड्री भी हो गई, लेकिन इसके बाद ग्रामीणों ने जमीन अधिग्रहण को लेकर विरोध-प्रदर्शन शुरू कर दिया। ग्रामीणों के उग्र तेवर को देखते हुए सरकार ने पिठौरिया में आईआईएम बनाने से हाथ खींच लिया। इसके बाद कांके के ही चेरी गांव में आईआईएम रांची के कैंपस का शिलान्यास पिछले साल केंद्रीय शिक्षा राज्यमंत्री एचआर पल्लम राजू ने किया, पर ग्रामीणों ने यहां भी शिलान्यास के पट्ट को क्षतिग्रस्त कर दिया। आईआईएम को यहां उपलब्ध कराई गई जमीन को लेकर भी विवाद गहराता जा रहा है।

एनएलयू और सीयूजे का कैंपस है तैयार

आईआईएम के साथ ही झारखंड में सीयूजे और एनएलयू खुला था। कांके के पिठौरिया में जहां एनएलयू का कैंपस न सिर्फ तैयार है, बल्कि यहां स्टूडेंट्स रहने भी लगे हैं, वहीं कांके के चेरी में सेंट्रल यूनिवर्सिटी का कैंपस भी बनकर तैयार है। बस इसे शिफ्ट होना बाकी है, लेकिन आईआईएम को अपने कैंपस के लिए अभी इंतजार करना पड़ेगा।