हाल ही में हुई थी शादी, गोरखपुर का था मूल निवासी

मामला दबाने के लिए बिना पोस्टमार्टम के घर भेजवा दी गई बॉडी

ALLAHABAD: तीन साल बाद आईआईआईटी इलाहाबाद में एक और चौंकाने वाला मामला सामने आया है। इंफॉर्मेशन टेक्नोलॉजी डिपार्टमेंट के प्रो। अनुपम के अंडर में शोध कर रहे छात्र ने सोमवार की शाम फांसी लगा ली। मामले को दबा देने का हर स्तर पर प्रयास किया गया। नतीजा बिना पोस्टमार्टम कराए उसकी बॉडी गोरखपुर भेज दी गई। इस घटना से आईआईआईटी के छात्र दहशत में हैं। वे इस पर कुछ बोलने को तैयार नहीं थे। डायरेक्टर का कहना है कि उन्हें शोध छात्र के तनाव में होने की सूचना मिली है। इसकी पुष्टि के लिए वह हर संभव कोशिश करेंगे और यदि यह किसी प्रोफेसर के कारण होना साबित हो जाता है तो उसके खिलाफ भी कार्रवाई की जाएगी।

दूसरी बार लगा शोध छात्र के शोषण का आरोप

आईआईआईटी के शोध छात्र के शोषण का तीन सालों के भीतर दूसरा मामला सामने आया है। इससे पहले सामने आए मामले में छात्रा ने प्रोफेसर शिवा प्रसाद पर यौन शोषण के आरोप लगाए थे। आरोप के बाद भूचाल आ गया था। एमएचआरडी से जांच के लिए कमेटी गठित की गई थी। जांच में आरोपों की पुष्टि हुई थी। मामला हाई कोर्ट तक पहुंचा तो कोर्ट ने साक्ष्यों को परखने के बाद आरोपी प्रोफेसर नागभूषण को बर्खास्त कर गिरफ्तार करने का आदेश दिया था। इसके बाद आईआईआईटी की इंटरनल व्यवस्था को मजबूत करने की कोशिश की गई थी। लेकिन, सोमवार को सामने आए नए मामले ने पूरे मैनेजमेंट को एक बार फिर कटघरे में खड़ा कर दिया है। हालांकि इस बार प्रोफेसर के टेरर के चलते कोई कुछ बोलने को तैयार नहीं है।

गोरखपुर का रहने वाला था

मृतक का नाम परमात्मा यादव पुत्र वीरेन्द्र बताया गया है। वह गोरखपुर का मूल निवासी था। आईआईआईटी में इंफॉर्मेशन टेक्नोलॉजी के प्रोफेसर अनुपम अग्रवाल के अंडर में शोध कर रहा था। वह अपनी पत्‍‌नी और मां के साथ झलवा में किराए पर कमरा लेकर रहता था। उसकी शादी भी गोरखपुर में ही हुई थी। शाम छह बजे के करीब उसके फंासी लगा लेने का पता आईआईआईटी मैनेजमेंट को चल गया था। सूत्रों का कहना है कि इसके बाद घटना को दबाने की कोशिशें शुरू हो गई। पुलिस तक को मैनेज कर लिया गया। नतीजा यह हुआ कि बॉडी पुलिस को पोस्टमार्टम भेजने के लिए भी नहीं मिली। रात दस बजे मामला लीक हो गया और मीडिया तक पहुंचा तो सवाल पूछे जाने लगे। इस पर धूमनगंज एसओ का कहना है हमें पहले नहीं बताया गया था। मौके पर दरोगा को भेजा गया तो बताया गया कि उसका अंतिम संस्कार इलाहाबाद में ही कर दिया गया है।

जब्त थे कागजात, रोकी थी फेलोशिप

सूत्रों का कहना है कि शोध छात्र प्रो। अग्रवाल के व्यवहार से बेहद परेशान था। वह रिचर्स ब्रेक करना चाहता था लेकिन प्रोफेसर ने रोक दिया था। सूत्रों के अनुसार उसकी डिग्री के कागजात प्रोफेसर ने अपने पास रख लिए थे और फेलोशिप भी रोक दी थी। इसी के चलते वह बेहद टेंशन में था। इस पर प्रोफेसर का पक्ष जानने की कोशिश की गई तो उन्होंने अपना फोन ही रिसीव नहीं किया। डायरेक्टर प्रो। पी नागभूषण ने कहा कि हर पहलू की जांच कराई जाएगी और कुछ गलत हुआ है तो कार्रवाई जरूर होगी।

पुलिस को बॉडी नहीं मिली। घर पहुंचने पर पता चला कि बॉडी का अंतिम संस्कार कर दिया गया है। घर वालों ने लिखकर दिया है कि वे कोई कार्रवाई नहीं चाहते। घर पर मृतक के घर वालों के साथ ससुराल के लोग भी मौजूद थे।

अरुण त्यागी, इंस्पेक्टर, धूमनगंज

सुबह उठते ही पहला काम होगा पूरे घटनाक्रम की पड़ताल करना। छात्र के परिवार वालों से भी मिलूंगा और उसके साथियों के साथ प्रोफेसर से भी बात करुंगा। कुछ गलत हुआ है तो भरोसा रखें, कार्रवाई जरूर होगी।

प्रो। पी नागभूषण

डायरेक्टर, आईआईआईटी, झलवा