- गोल्डन जुबली मीट में पहुंचे पूर्व छात्रो ंने फ्लेक्सी इलेक्ट्रॉनिक्स सेंटर को सराहा

घाटमपुर से टेक्सास तक
घाटमपुर के प्राथमिक विद्यालय से 5वीं तक की शिक्षा लेने वाले राम मिश्रा बीएनएसडी चुन्नीगंज से इंटरमीडियट करने के बाद आईआईटी कानपुर से मैकेनिकल की डिग्री हासिल की। मोतीलाल नेहरू इंस्टीट्यूट इलाहाबाद में प्रोडक्शन मैनेजमेंट का कोर्स किया। इसके बाद 1973 में टेक्सास यूनिवर्सिटी से पीएचडी कर ली। यूएसए में ही वेललैप्स टेलीकॉम इंडस्ट्री में एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर बन गए। वर्तमान में न्यूजर्सी के मोंट क्लेव यूनिवर्सिटी के बिजनेस स्कूल में प्रोफेसर हैं।

तीन छात्र हुए थे सस्पेंड
पूर्व छात्रों ने बताया कि रैगिंग को लेकर इंस्टीट्यू का प्रशासन हमेशा से सख्त रहा है। 1964 में जूनियर के साथ रैंगिंग के प्रकरण में 1968 के पासआउट बैच के तीन स्टूडेंट्स एक साल के लिए संस्थान से संस्पेंड कर दिए गए थे। स्टूडेंट्स ने बहुत अपील की लेकिन उनकी कोई सुनवाई नहीं हुई थी। इंस्टीट्यूट अपने लेवल पर हमेशा डिसिप्लिन में रहने का संदेश देता रहा है।

50 देश यूज कर रहे हैं 'कनपुरिया' टेक्नोलॉजी
- 1968 बैच के आईआईटीयन सत्यपाल सिंह ने 2006 में डेवलप की थी एयर स्ट्रिप और प्लेप पर जमी बर्फ हटाने की टेक्नोलॉजी
कानपुर की प्रतिभाएं पूरे विश्व में शहर का नाम रोशन कर रही हैं। ऐसी एक प्रतिभा हैं पूर्व आईआईटीयन सत्यपाल सिंह चौहान। जिनकी डेवलप की हुई टेक्नोलॉजी दुनिया भर के 50 से ज्यादा देश यूज कर रहे हैं। आईआईटी की एल्युमिनाई मीट में पहुंचे 1968 बैच के आईआईटीयन सत्य पाल सिंह ने बताया कि जिन देशो में रोड व एयर स्ट्रिप के साथ साथ प्लेन में बर्फ जमा हो जाती है उसे साफ करने का डिआईजर टेक्निक उन्होंने साल 2006 में डेवलप की थी। दुनिया के करीब 50 देश इस टेक्नोलॉजी का यूज करके प्लेन उड़ा रहे हैं। गांधी नगर निवासी सीओडी इम्पलाई रनवीर सिंह चौहान के बेटे सत्य पाल सिंह ने इयर 1968 में आईआईटी कानपुर से केमिकल में बीटेक की डिग्री हासिल की थी। इसके बाद पीएचडी करने के लिए क्लीव लैंड कैप वेस्टर्न रिजर्व यूनिवर्सिटी चले गए। इस समय सत्यपाल बटयल मेमोरियल इंस्टीट्यूट में सीनियर प्रोग्राम डायरेक्टर की पोस्ट पर काम कर रहे हैं। इस इंस्टीट्यूट में करीब 25 हजार साइंटिस्ट रिसर्च वर्क करते हैं। यहां का रिसर्च एण्ड डेवलपमेंट का बजट करीब 6.5 बिलियन डालर है।