मगर, उसे इतना जरूर पता था कि वो एक नोबल कॉज में शिरकत करने यहां पहुंची हैं। मौका था आईआईटी में सुसाइड्स की बढ़ती घटनाओं की ज्यूडिशियल इंक्वॉयरी की अपील के लिए ऑर्गनाइज साइलेंट मार्चका। शमशान घाट से शिक्षक पार्क तक निकाले गए साइलेंट मार्च में कई लोग शामिल हुए।

मनाते रहेंगे तेरहवीं

दोपहर 13 बजकर 13 मिनट 13 सेकेंड पर शमशान घाट से निकाली गई रैली शिक्षक पार्क पर खत्म हुई। रैली में 13 लोगों ने प्रतीकात्मक रूप से सिर पर ग्रीन कलर का साफा बांधा हुआ था। आखिर यह रैली शमशान घाट से ही क्यों निकाली गई? रैली का नेतृत्व कर रहे प्रो। वीएन पॉल ने बताया कि यहां से रैली निकालकर हम यह बताना चाहते हैं कि कैसे आईआईटी का एकेडमिक स्ट्रक्चर स्टूडेंट्स के लिए शमशान घाट बनता जा रहा है। यहां से शिक्षक पार्क तक रैली ले जाने के पीछे यही आशय है कि भगवान आईआईटी एडमिनिस्ट्रेशन को सदबुद्धि दे और सुसाइड्स की घटनाएं थम जाएं। उन्होंने कहा कि जब तक आईआईटी में सुसाइड्स की घटनाओं की न्यायिक जांच नहीं होगी। इसी तरह हम सिस्टम की तेरहवीं मनाते रहेंगे।

हर age group के लोग हुए शामिल

शिक्षक पार्क तक निकाली गई रैली में हर एज ग्रुप के लोगों ने पार्टिसिपेट किया। यूनिवर्सिटी के स्टूडेंट्स हों या क्लास-5 में पढऩे वाली जैनी। बिजनेसमैन गोपी नाथ साहू हो या वर्किंग विमेन नीलोफर। सभी एक ही स्प्रिट के साथ रैली में शामिल हुए कि फ्यूचर में आईआईटी में सुसाइड्स के इंसीडेंट्स न हों। रैली में 100 से ज्यादा लोग शामिल हुए। सभी अपने-अपने हाथों में आईआईटी नहीं मौत का कुआंलिखी तख्तियां लिए हुए थे।

राजघाट पर मौन व्रत करेंगे

सुसाइड्स के सभी मामलों की ज्यूडिशियल इंक्वायरी न होने पर प्रो। पाल दिल्ली राजघाट पर 13 अक्टूबर को मौन व्रत रखेंगे। फिर शोक सभा के जरिए आईआईटी के उन स्टूडेंट्स को श्रद्धांजलि देंगे जो असमय मौत का शिकार हो गए। प्रो। पॉल ने बताया कि राजघाट पर 13 मिनट 13 सेकेंड तक मौन व्रत और श्रद्धांजलि देने के पीछे उद्देश्य होगा कि देश की जनता भी जाने कि जिस संस्था के हाथ में युवा प्रतिभा का टैलेंट निखारने का जिम्मा है। वहां का माहौल और वातावरण किस कदर स्टूडेंट्स को आत्महत्या के लिए प्रेरित कर रहा है। हर बार की तरह इस बार फिर बीटेक फस्र्ट इयर स्टूडेंट माहताब की मौत के बाद भी आईआईटी प्रशासन ने फैक्ट फाइडिंग कमेटी का गठन कर दिया। कमेटी को दस दिनों में रिपोर्ट देनी थी। बाद में टाइम लिमिट को बढ़ा दिया गया। अब तक यह रिपोर्ट नहीं आई। प्रो। पॉल का कहना है कि जब फैक्ट फाइडिंग कमेटी की जांच रिपोर्ट और सिफारिशों पर आईआईटी प्रशासन कोई एक्शन नहीं लेता है तो उसे क्यों बनाया जाता है.