जवाहर मार्केट में ही 8 shops

शॉप ओनर्स को किट लगाने की परमीशन ट्रांसपोर्ट कमीशन की ओर से दी जाती है। लेकिन पीलीभीत बाईपास, हिन्द टॉकीज के पीछे और कई एरिया ऐसे हैं, जहां किट    लगाई जा रही हैं। एक अनुमान के मुताबिक, सिटी के अलग-अलग एरिया में 10 से अधिक शॉप अवैध ढंग से सीएनजी और एलपीजी किट लगा रही हैं। सिर्फ हिन्द टॉकीज के पीछे स्थित जवाहर मार्केट में ही 8 से अधिक ऐसी अवैध दुकानें हैं। आश्चर्य की बात है कि शॉप ओनर्स ने आरटीओ से अप्रूव्ड होने का बोर्ड भी लगा रखा है।

फिलहाल तो दो ही चालू हैं

शहर में सीएनजी और एलपीजी किट लगाने का लाइसेंस सिर्फ तीन शॉप ओनर्स को दिया गया है। इनमें पीलीभीत बाईपास स्थित जनरल मोटर सेंटर, पुराना आरटीओ ऑफिस स्थित स्टार मोटर और रेलवे स्टेशन स्थित भारत मोटर ट्रेनिंग सेंटर शामिल है। फिलहाल भारत मोटर टे्रनिंग सेंटर में किट नहीं लगाई जा रही हैं। इन तीन के अलावा अगर कोई और किट लगाने का काम कर रहा है, तो वो आरटीओ की नजर में अवैध है।

कहां होता है खेल

अवैध रूप से किट लगाने वाले शॉप ओनर सबसे ज्यादा खेल ब्रेपराइजर और रिड्यूजर में करते हैं। ब्रेपराइजर और रिड्यूजर को फ्रैड बॉक्स भी कहते हैं। सिलेंडर वॉल्व में भी खेल होता है। सूत्रों की मानें तो बॉक्स में यूज होने वाला फिलिंग वॉल्व, सेंसर मीटर, सेंसर वायरिंग, सेलेक्टर, स्विच और पाइपलाइन डुप्लीकेट होता है। जबकि बॉक्स का ऊपरी हिस्सा ओरिजनल होता है। इसकी वजह से व्हीकल ओनर को डुप्लीकेसी का पता नही चल पाता। ओरिजनल फ्रैड बॉक्स करीब 9,000 रुपए का होता है। जबकि डुप्लीकेट बॉक्स 6,000 रुपए में ही मिल जाता है।

कराना होता है renewal

आरटीओ की ओर से शॉप ओनर को तीन साल का लाइसेंस परमिट किया जाता है। ये टाइम ओवर होने के बाद शॉप ओनर को रीन्यूवल कराना होता है। अगर कोई फर्जी ढंग से किट लगाने का काम कर रहा है, तो उसके खिलाफ कार्रवाई का प्रावधान है। ऐसे शॉप ओनर पर बाकायदा धारा 420 का मुकदमा चल सकता है। आरटीओ से अप्रूवल न लेकर टैक्स चोरी की जाती है, जो सबसे बड़ा जुर्म है।

Process for permission

व्हीकल्स में किट लगाने के लिए मैनुफैक्चरर से एजेंसी लेनी होती है। उसके बाद ट्रांसपोर्ट कमीशन के यहां अप्लाई करना होता है। ट्रांसपोर्ट कमीशन रिलेटेड आरटीओ से रिपोर्ट मांगता है कि व्यक्तिने जिस मैनुफैक्चरर से एजेंसी ले रखी है, वह गवर्नमेंट ऑफ इंडिया से अप्रूव्ड है या नहीं। आरटीओ की ओर से एजेंसी पर जाकर बाकायदा टूल्स, सिलेंडर और अन्य सामान की जांच कर ट्रांसपोर्ट कमीशन को रिपोर्ट भेजी जाती है। रिपोर्ट के आधार पर ट्रांसपोर्ट कमीशन एजेंसी को किट लगाने की परमीशन दी जाती है।

10 लाख का कारोबार

सिटी में अवैध रूप से किट लगाए जाने का कारोबार अच्छा-खासा है। सोर्सेज से मिली जानकारी के मुताबिक शॉप ओनर्स मेरठ, दिल्ली जैसे शहरों से किट लाकर इटली और अर्जेंटीना के नाम पर कारोबार कर रहे हैं। डुप्लीकेसी और अवैध रूप से किट लगाने का बिजनेस शहर में पर मंथ 10 लाख से ज्यादा का है। 20 से 25 हजार रुपए वाली एलपीजी और सीएनजी वाले किट को 40 से 50 हजार रुपए में बेचा जा रहा है।

'सिटी में सिर्फ तीन लोगों को एलपीजी व सीएनजी किट लगाने की परमशीन दी गई है। बिना परमीशन के किट लगाना कानूनन अपराध है। जिस शॉप पर किट लगवा रहे हैं, वो रजिस्टर्ड है कि नहीं ये पता कर लेना चाहिए। ताकि शॉप ओनर के खिलाफ एक्शन लिया जा सके। '

-आरके वर्मा, एआरटीओ, एडमिनिस्ट्रेशन

'सिटी में कुछ लोग ऐसे हैं, जो व्हीकल्स में गलत ढंग से किट लगाने का काम कर रहे हैं। ऐसे लोग किट लगाने के नाम पर व्हीकल ओनर से मोटी रकम वसूल रहे हैं। फर्जी ढंग से शॉप चला रहे लोगों की वजह से हमारे बिजनेस पर असर पड़ रहा है.'

-मनोज, जनरल मोटर सेंटर