जी हां, शहर की तमाम कॉलोनियों में कोचिंग खुले हुए हैं। मगर अब बहुत से कोचिंग के कमाई का दायरा क्लासेस से बाहर तक फैल चुका है। अब नया तरीका है साइकिल-बाइक स्टैंड के रूप में। कई ऐसे कोचिंग वाले हैं जिन्होंने सड़क पर स्टैंड खोल दिया है। यानि कोचिंग की फीस के साथ स्टूडेंट्स से साइकिल-बाइक की सुरक्षा के नाम पर भी कामा रहे हैं। जबकि ऐसे स्टैंड से डिस्टर्ब पब्लिक यही कह रही है कि ऐसे स्टैंड पर कोई तो लो स्टैंड

- दुर्गाकुंड एरिया के कोचिंग सेंटर्स की मनमानी, कालोनियों के सड़क पर बना दिया है साइकिल स्टैंड

- पब्लिक करती रहती है शिकायत लेकिन नगर निगम व पुलिस प्रशासन का नहीं है ध्यान

VARANASI:

अब इसे नगर निगम की लापरवाही कहें या फिर कोचिंग संचालकों की दंबगई। कोचिंग से तो कमा ही रहे हैं साथ ही कोचिंग के बाहर की सड़क से भी कमा रहे हैं। जी हां, दुर्गाकुण्ड और कबीर नगर के आस-पास के एरिया में तमाम सड़कों पर कोचिंग वालों ने साइकिल स्टैंड खोल दिया है। ये अवैध साइकिल स्टैंड कॉलोनी वालों के लिए मुसीबत बन गए है। नगर निगम के ऑफिसर्स को तो पूरे मामले की जानकारी है फिर भी कोई एक्शन नहीं ले पा रहा।

बच्चे क्लास में, साइकिल सड़क पर

सभी जानते हैं कि शहर के अधिकतर एरिया में कोचिंग सेंटर्स चल रहे है। दुर्गाकुंड एरिया तो एजुकेशनल हब बन चुका है। दुर्गाकुंड एरिया की लगभग सभी कॉलोनियों में कोचिंग सेंटर्स और हॉस्टल चल रहे हैं। एक-एक कोचिंग में सौ से लेकर दो हजार तक स्टूडेंट्स कॉम्पटेटिव एग्जाम की पढ़ाई कर रहे हैं। ज्यादातर कोचिंग ऐसे हैं जिनके स्टूडेंट्स की साइकिल व बाइक लबे रोड पर ही खड़ी होती है। कुछ कोचिंग सेंटर्स ने अब इस एडिशनल कमाई का जरिया बना लिया है। एक आदमी की तैनाती कर उसे पेड स्टैंड की शक्ल दे दी है।

सुबह शाम जीना हराम

दुर्गाकुंड एरिया के ब्रह्मानंद कॉलोनी में एक फेमस कोचिंग सेंटर्स के बाहर साइकिल स्टैंड संचालित होता है। इस स्टैंड का दायरा कोचिंग की बिल्डिंग से लेकर आस-पास के घरों के एंट्रेंस तक फैला रहता है। कॉलोनी में सुबह-शाम बाइक व साइकिल इतनी अधिक हो जाती है कि आस-पास घर के मेन गेट तक सिर्फ साइकिलें ही दिखतीं हैं। कॉलोनी के लोगों ने इसकी कम्पलेन कई दफा नगर निगम व दुर्गाकुंड पुलिस चौकी पर कर चुके है लेकिन अभी तक उन्हें राहत नहीं मिली है।

पुलिस का भी ध्यान नहीं

सड़क पर स्टैंड बनाए जाने की इंफॉरमेशन कई बार दुर्गाकुंड पुलिस को दी गई है। लेकिन पुलिस राउंड के दौरान कोचिंग संचालकों को सिर्फ वार्निग देकर चली जाती है। कभी भी किसी कोचिंग संचालकों पर एक्शन नहीं लिया गया। इसलिए कॉलोनियों के रोड पर अवैध स्टैंड चल रहा है। पुलिस के स्ट्रिक्ट नहीं होने के कारण कालोनी के लोगों का जीना दुश्वार हो चुका है।

जिधर देखो उधर बस कोचिंग सेंटर्स

दुर्गाकुंड एरिया के विभिन्न कालोनियों में इस टाइम लगभग सौ से ज्यादा कोचिंग सेंटर्स चल रहे हैं। कबीर नगर रोड के दोनों तरफ कोचिंग सेंटर्स व हॉस्टल चल रहे है। यहां के लोग अपना-अपना पूरा मकान रेंट कोचिंग वालों को दे चुके हैं। जगह न मिलने के कारण नई कोचिंग्स का विस्तार कॉलोनियों में अंदर की तरफ होता जा रहा है। कबीरनगर से ब्रह्मानंद कालोनी, केवलधाम नगर कालोनी, साकेतनगर कालोनी होते हुए नरिया एरिया तक कोचिंग सेंटर्स की भरमार है। इंजीनियरिंग, मेडिकल, कॉमर्स, मैनेजमेंट, बीएचयू सहित कम्पटिटीव एग्जाम की तैयारियां इन कोचिंग सेंटर्स में कराई जा रही है इसलिए स्टूडेंट्स की गैदरिंग भी अधिक होती है।

ज्यादातर कोचिंग्स में नहीं है पार्किंग

कालोनियों में संचालित हो रहे कोचिंग सेंटर्स के पास पार्किंग के लिए पर्याप्त प्लेस नहीं है। जिससे कोचिंग के बाहर सड़क पर साइकिल स्टैंड चल रहा है। साइकिल की रखवाली के लिए कोचिंग की तरफ से एक आदमी भी रखा गया है। बड़ी कोचिंग्स के बाहर क्लासेस के वक्त क्00 से ज्यादा साइकिल्स और बाइक्स खड़ी नजर आतीं हैं। ऐसा भी नहीं है कि ऐसा सिर्फ दुर्गाकुंड एरिया में ही हो रहा है। रथयात्रा, सिगरा, महमूरगंज, डीएलडब्ल्यू, लंका-सामनेघाट, पांडेयपुर, पहडि़या, चेतगंज, मलहदिया एरिया में चलने वाले कोचिंग्स भी कुछ ऐसा ही कर रहे हैं।

कोचिंग संचालकों को अपना पार्किंग का प्लेस बनाना चाहिए। किसी के घर के बाहर मेन गेट तक साइकिल स्टैंड नहीं बनाना चाहिए।

मनीष चौबे, ब्रह्मानंद कालोनी, दुर्गाकुंड

कोचिंग संचालकों की मनमानी है। कालोनियों में कोचिंग चला रहे है लेकिन साइकिल स्टैंड सड़क को बना लिए है। सड़क पर साइकिल स्टैंड नहीं चलना चाहिए।

अरूण तिवारी, कबीर नगर

कोचिंग की तरफ सड़क पर साइकिल स्टैंड बनाया गया है। जिससे कालोनियों में जाम की स्थिती भी बनी रहती है।

अरूण पांडेय, दुर्गाकुंड

कोचिंग संचालकों की मनमानी चरम पर है। कई बार मना करने के बावजूद सड़क पर साइकिल स्टैंड बना दिया गया है।

अखिलेश सिंह, ब्रह्मानंद कालोनी

साइकिल स्टैंड होने के कारण बहुत परेशानी होती है। सुबह-शाम घर के बाहर से साइकिल हटाते-बढ़ाते ही बीत रहा है।

संजय विश्वकर्मा, केवलधाम कालोनी