ऑर्डर को हो गया एक महीना

एसजीएम मामले में सुप्रीम कोर्ट ने 12 अगस्त को कैंट बोर्ड और डीईओ के फेवर में फैसला सुनाते हुए एक बड़ी राहत दी थी। लगने लगा था कि जल्द ही कैंट बोर्ड की ओर डिमोलिशन की कार्रवाई हो जाएगी, लेकिन अभी तक कोई कार्रवाई नहीं हुई है। जब तक डीईओ कोई ऑर्डर जारी नहीं करता तब तक कैंट बोर्ड भी कुछ भी कार्रवाई नहीं कर सकता है।

बढ़ रही है हिम्मत

भले ही कैंट बोर्ड के अधिकारी कोई भी नया अवैध निर्माण न होने को लेकर प्रतिबद्ध हो, लेकिन बड़े मामलों में कोई कार्रवाई न होता देख छोटे निर्माणों में भी जान आ गई है। वहीं जिन पर कार्रवाई हो चुकी है वो भी दगी जुबान में यही कह रहे हैं कि छोटे आवासीय निर्माणों पर ही कैंट बोर्ड कार्रवाई करने की हिम्मत कर सकता है। बड़े कमर्शियल निर्माणों में कैंट बोर्ड के किसी भी अधिकारी में हाथ लगाने की बिल्कुल भी हिम्मत नहीं है। पब्लिक एसजीएम के साथ बंगला नंबर 340 में हो रहे कमर्शियल निर्माणों को उदाहरण देकर कैंट बोर्ड की ओर प्रश्न चिह्न मुद्रा में देख रही है।

यूं चला मामला

एसजीएम गार्डन लगभग 10 हजार वर्गगज क्षेत्र में फैला है। इसमें 15 कमरे बने हैं और तीन लंबे शेड बने हुए हैं। अवैध निर्माण के नोटिस पर पहले पीपी एक्ट में सुनवाई हुई। इसके बाद कंपोजिशन प्लान कैंट बोर्ड में पेश किया गया, जिसे बोर्ड ने खारिज कर दिया। खारिज होने के बाद एसजीएम के मालिक पहले जिला फिर हाईकोर्ट और अंत में सुप्रीम कोर्ट के दरवाजे तक पहुंचे। वैसे डीईओ को दो बाथरूम, दो टॉयलेट और एक दीवार के निर्माण को लेकर कार्रवाई करनी है।

'कैंट बोर्ड अवैध निर्माण न होने देने के लिए प्रतिबद्ध है। इस पर कैंट बोर्ड के कर्मचारी लगातार नजरे बनाए हुए हैं। मैं पब्लिक को विश्वास दिलाता हूं कि कैंट बोर्ड और डीईओ के फेवर में जो भी सुप्रीम कोर्ट में फैसले आए हैं, उनपर जरूर कार्रवाई की जाएगी.'

- डॉ। डीएन यादव, सीईओ, कैंट बोर्ड