-60 बीघा जमीन पर ढाई सौ परिवारों का था कब्जा

-कब्जा खाली कराने से पहले दिया गया था नोटिस

-कब्जा बचाने के लिए कब्जाधारियों ने किया हवन

-प्रशासन को नहीं दिखा पाये जमीन के कागज

-बेघर हुए लोगों की प्रशासन ने रहने व खाने की व्यवस्था

देहरादून, मंगलवार देर रात सीएम हाउस कूच करने के बाद बुधवार दोपहर प्रशासन और पुलिस ने मिलकर शीशमबाड़ा स्थिति सीआरपीएफ की जमीन से कब्जा हटाया। जमीन पर 297 पक्के व कच्चे मकान बने हुए थे। कब्जा हटाते समय प्रशासन को लोगों तो झेलना पड़ा, लेकिन विरोधियों की प्रशासन ने एक भी नहीं सुनी।

क्या है पूरा मामला

प्रशासन से मिली जानकारी के मुताबिक सरकार की ओर से 2013 में सीआरपीएफ को 60 बीघा जमीन दी गयी थी, लेकिन 2012 से यहां पर ढाई सौ परिवार रह रहे थे, जमीन ट्रॉसफर होते ही नोटिस जारी किया गया था, लेकिन कब्जेधारी हटने को तैयार नहीं हुए, जिसके बाद विकासनगर तहसीलदार की ओर से 20 नवंबर को कब्जेधारियों को सबूत पेश करने के लिए कहा, तो वह सबूत पेश नहीं कर पाये। जिन परिवारों की ओर से कब्जा किया गया है, उसमें से कुल 15 परिवार देहरादून के हैं, जबकि बाकी अलग अलग राज्यों से आकर बसे हुए थे।

कब्जा बचाने को लेकर किया हवन

कब्जा बचाने को लेकर अंधविश्वास भक्तों ने हवन, पूजन भी किया। लेकिन प्रशासन ने बुधवार को जेसीबी गर्जाकर घरों को क्षतिग्रस्त किया गया, जिसके बाद बेघर हुए लोग सरकार से आशियानें की मांग करने लगे हैं।

बेघर करने के बाद प्रशासन ने ली सुध

भेल ही प्रशासन ने कब्जे खाली करवा दिये हो, लेकिन ठंड के मौसम को ध्यान में रखते हुए जिन लोगों के पास घर नहीं हैं, उनको सेलाकुई स्थित रेशम विभाग के भवन पर रहने की व्यवस्था की गयी है, साथ ही इन लोगों की तीन समय के भोजन की व्यवस्था भी की गयी है।

एलआईयू कर्मी को बना दिया था बंधक

कब्जा हटाने से एक दिन पूर्व जब एलआईयू कर्मी घटना का जायजा लेने पहुंचा तो कुछ लोगों ने बंधक बना दिया था, जिसके बाद पुलिस घटना स्थल पर पहुंची, लेकिन उससे पहले एलआईयू को रिहा कर दिया था।

---------------

कब्जा हटाने से पहले कब्जाधारियों को नोटिस जारी किया गया था, बकायदा 20 नवंबर को सभी परिवारों को प्रूफ साबित करने के लिए कहा गया, लेकिन कोई भी सबूत नहीं दे पाये। जिसके बाद एक्शन लिया गया, ठंड के मौैसम को देखते हुए बेघर हुए लोगों को रहने व खाने की व्यवस्था की गयी है।

जितेन्द्र कुमार, एसडीएम, विकासनगर