Varanasi:

अगर आप दालमंडी के आसपास रहते हैं तो सावधान हो जाइये। त्योहारों का सीजन शुरू होने के साथ ही इस मुहल्ले में बारूद का ढेर लग जाता है। ऐसा नहीं कि इससे प्रशासन अनजान है, लेकिन इसके बावजूद प्रशासनिक अधिकारी आंखें मूंदे बैठे हैं। ये खतरा नया नहीं पुराना है लेकिन सबकुछ जानकर भी हर कोई खामोश है। हड़हा समेत राजादरवाजा से सटे इलाकों की तंग गलियों में घर-घर में ये अवैध कारोबार चल रहा है लेकिन इसको बंद कराने की हिम्मत शायद पुलिस और प्रशासन किसी में नहीं है। ये खतरा और भी बड़ा इसलिए है क्योंकि अवैध पटाखों के भंडारण के दौरान आग लगने की कंडीशन में इसे काबू में कर पाना भी मुश्किल है। वजह यहां तक फायर ब्रिगेड की गाड़ी का पहुंचना असंभव है। अगर समय रहते प्रशासन ने दालमंडी में बारूद के स्टोरेज को लेकर कार्रवाई नहीं की तो अनहोनी की दशा में हालात को काबू करना मुश्किल हो जाएगा।

 

किराए के लालच में घर में भर रहे बारूद

दालमंडी में प्रतिबंध के बावजूद भारी मात्रा में पटाखे जमा किए जा रहे हैं। चौंकाने वाली बात ये है कि इसके लिए बड़े व्यापारियों ने मोटी रकम देकर कई मकानों को किराये पर लिया है। दैनिक जागरण आई नेक्स्ट ने रविवार को जब यहां पहुंचकर पड़ताल शुरू की तो इस मामले का खुलासा हुआ। हड़हासराय और बेनिया इलाके में गलियों में बने मकान के मालिक महज दस दिन के लिए पटाखों के स्टोरेज के लिए दस से 20 हजार रुपये तक वसूल रहे हैं।

 

नहीं है एक भी दुकान लीगल

- दालमंडी में पटाखों की 25 से ज्यादा दुकानें हैं

- 50 से ज्यादा घरों में स्टोर हैं पटाखें और बारूद

- 10 बाई 12 के छोटे से कमरे में एक ट्रक से ज्यादा माल है डंप

- छोटी सी चिंगारी भी इस कमरे को बदल सकती है आग के गोले में

- आग लगने की दशा में मकान के बैठने के साथ आसपास के घरों को भी है खतरा

- इन दुकानों से बनारस समेत पूर्वाचल भर में होती है सप्लाई

 

नहीं मानते आदेश

- 07 बड़े व्यापारियों के पास ही है पटाखा बेचने का लाइसेंस

- लाइसेंस की शर्त के मुताबिक पटाखा स्टोरेज करने की व्यवस्था शहर से बाहर होनी चाहिए

- शहर में ऑफिस में सिर्फ सैंपल के तौर पर रख सकते हैं पटाखें

- आदेश को ताक पर रखकर रजिस्टर्ड एजेंसी वाले भी ऑफिस के नाम पर ही करते हैं पटाखे का स्टोरेज

- इस काम के लिए भी ये लोग दालमंडी और बेनिया इलाके का ही करते हैं इस्तेमाल

- अस्थाई तौर पर दीवाली पर पटाखा ब्रिकी के लिए जारी होते हैं अस्थाई लाइसेंस

- इस बार तीन दिन के लिए जारी होंगे 200 अस्थाई लाइसेंस

 

ये हैं मानक

- भीड़भाड़ वाले इलाकों में पटाखे का गोदाम तो दूर दुकानें भी नहीं खुल सकतीं

- गोदाम में पटाखे रखने और बेचने के लिए जिला प्रशासन की अनुमति जरूरी

- अनुमति के बाद मैदान या खुले स्थानों पर ही पटाखे रखे या बेचे जा सकते हैं

- दीपावली में केवल तीन दिन ही पटाखे बेचने की अनुमति देने का प्रावधान है

- दुकानदारों के पास अग्निशमन यंत्र और उससे जुड़े सभी प्रबंध होने चाहिए

 

नहीं पहुंच सकती फायर ब्रिगेड की गाड़ी

- दालमंडी में आग लगने की हालत में इसको काबू में करना है मुश्किल

- गली के कारण फायर ब्रिगेड की गाड़ी खड़ी होती है चौक या नई सड़क पर यहां से पांच सौ मीटर से एक किलोमीटर अंदर तक पाइप ले जानी पड़ती है।

- काफी घनी आबादी होने की वजह से आग तेजी से फैलने का भी खतरा रहता है।

 

 

बगैर लाइसेंस के पटाखा बेचना अपराध है। लाइसेंस देने से पूर्व सभी मानकों की बाकायदा जांच की जाती है। बिना लाइसेंस के पटाखे का भंडारण करने वालों पर कार्रवाई चल भी रही है।

योगेश्वर राम मिश्र, डीएम

 

आबादी वाले एरिया में पटाखा स्टोर करना तो दूर इसे बेचना भी गलत है। दालमंडी में सभी पटाखा दुकानें और स्टोरेज अवैध हैं। यहां आग लगने पर फायर ब्रिगेड भी नहीं पहुंच सकती। जिसके कारण आसपास के इलाकों के लिए भी बड़ा खतरा है।

राकेश राय, चीफ फायर ऑफिसर

 

पब्लिक वर्जन

सुरक्षा कारणों से तो ये बड़ा खतरा है। दालमंडी की गलियां बेहद सकरी हैं और यहां फायर ब्रिगेड भी नहीं पहुंच सकती। इसलिए प्रशासन को कार्रवाई करनी चाहिए।

संदीप विधार्थी, चेतगंज

 

पुलिस और प्रशासन की मिलीभगत से यहां अवैध पटाखों का स्टोरेज है। अगर पुलिस सही ढंग से कार्रवाई कर दे तो शायद ये बड़ा खतरा दालमंडी पर कभी आये ही न।

अमित विश्वकर्मा, चौक

 

बिना लाइसेंस के पटाखों का इतना बड़ा कारोबार होना प्रशासन और पुलिस की तैयारियों पर बड़ा सवाल है। ऐसी अवैध मंडियां शहर के लिए बड़ा खतरा है।

आकाश गुप्ता, नई सड़क