सब्जी और खाने के लिए भी देने पड़ते हैं रुपये

 

 

VARANASI : प्रदेश की सबसे संवेदनशील जेलों में मानी जाने वाली वाराणसी जिला जेल की चहारदीवारियों के अंदर अलग ही खेल चल रहा है। 27 अप्रैल को जेल में डीएम और एसएसपी की छापेमारी में 8 मोबाइल पकड़े जाने के बाद यह फैक्ट सामने आया है। इस छापेमारी के बाद भी जेल में 20 से ज्यादा मोबाइल पकड़े जा चुके हैं। जेल प्रशासन भले ही इस पर अपनी पीठ थपथपा रहा हो मगर यह साफ है कि जेल में मोबाइल ही नहीं सब कुछ 'सेल' हो रहा है। यही नहीं कई जगहों पर आम बंदियों को भी रुपये देने पड़ते हैं।

 

कहां से आ रहे जेल में मोबाइल?

 

जेल से लगातार मोबाइल मिलने के पीछे अलग-अलग तर्क हैं। जेल अधिकारी गाहे-बगाहे इसके लिए जेल के सिपाहियों पर ठीकरा फोड़ते हैं तो बंदीरक्षक इसके लिए जेल के अफसरों को जिम्मेदार ठहराते हैं। 3 फरवरी को जेल में बवाल के दौरान सभी बंदीरक्षक बाहर निकल आए थे और अफसरों के खिलाफ नारेबाजी करने लगे थे। बंदीरक्षकों और अफसरों में इस खींचतान के बीच सवाल यह उठ रहा है कि आखिर जेल में इतने मोबाइल बरस कहां से रहे हैं? जेल में मोबाइल के खेल पर डीएम से शिकायतें भी की गई हैं।

 

खाने से सोने तक के लिए पेमेंट

 

भ्रष्टाचार के आरोप में गिरफ्तार एआरटीओ आरएस यादव के जेल की मेडिकल बैरक में आराम करने की तस्वीरें भी सामने आई थीं। इसके बाद आरोप लगे कि जेल में हर सुविधा रुपये देने पर उपलब्ध है। बंदियों के परिजन और सामान्य मामलों में जेल जाने वाले भी बताते हैं कि यहां खाने से सोने तक के रुपये देने पड़ते हैं। सिगरेट, गुटखा या अन्य नशीले पदार्थो के लिए भी रेट फिक्स है। यहां तक कि एक्स्ट्रा सब्जी और दाल के लिए भी मेस कर्मचारी 10 से 30 रुपये तक लेते हैं।

 

तो गर्दन बचाने को हो रही जांच

 

27 अप्रैल को डीएम-एसएसपी ने जेल में छापा मारकर 8 मोबाइल पकड़े थे। जेल में बंद हार्डकोर अपराधियों की बैरकों से यह मोबाइल मिले थे। डीएम ने जेल अफसरों को चेताया था कि आगे ऐसा हुआ तो उनके खिलाफ कार्रवाई होगी। इसके बाद जेल अधिकारी हर दिन बैरकों में जांच अभियान चला रहे हैं और 17 दिनों में 20 से ज्यादा मोबाइल पकड़े जा चुके हैं। सवाल यह है कि डीएम के आदेश से पहले यहां जांच नहीं होती थी तो क्या जेल में धड़ल्ले से मोबाइल चलाए जा रहे थे।

 

बंदियों से मिले रहते हैं स्टाफ

 

जिला जेल के हालात पर वरिष्ठ जेल अधीक्षक अम्बरीष गौड़ का कहना है कि बंदियों की संख्या के हिसाब से यहां स्टाफ की भारी कमी है। इसमें भी कुछ स्टाफ बंदियों से मिले-जुले रहते हैं। महीने भर पहले ऐसे दो सिपाहियों को चिह्नित कर यहां से ट्रांसफर किया गया था। कुछ और दागी कर्मचारी पहचाने गए हैं जिनके खिलाफ कार्रवाई की तैयारी है।

 

 

 

वर्जन

 

जेल के अंदर की व्यवस्था तो जेल प्रशासन के जिम्मे ही है। पुलिस गाहे-बगाहे वहां जांच करती रहती है। मोबाइल रखने वाले बंदियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर कार्रवाई की जा रही है।

 

- आरके भारद्वाज, एसएसपी वाराणसी

 

 

 

वाराणसी की जेल संवेदनशील है और यहां पिछले कुछ महीनों से लगातार शिकायतें मिल रही हैं। इसकी जांच जारी है। जेल में औचक छापेमारी भी होगी और दोषी अधिकारियों के खिलाफ भी कड़ी कार्रवाई कराई जाएगी।

 

- मनोज कुमार राय, प्रभारी डीएम और एडीएम फाइनेंस

 

यह है रेट कार्ड

 

- 4500 रुपये है जेल में मल्टीमीडिया मोबाइल चलाने का चार्ज

 

- 1500 रुपये में महीने भर चला सकते हैं फोन

 

- 10 से 30 रुपये में मिलती है अतिरिक्त सब्जी और दाल

 

- 10 रुपये में गुटखे का पाउच

 

- 10 से 40 रुपये तक मिलती है सिगरेट

(जेल से मिली शिकायतों के आधार पर)

 

 

 

एक नजर

 

 

 

1800

 

बंदी निरुद्ध हैं वाराणसी जिला जेल में

 

647

 

बंदियों की क्षमता है जेल की

 

4

 

सर्किल में रहते हैं बंदी

 

13

 

छोटी-बड़ी बैरकों में रखे जाते हैं बंदी

 

60

 

परसेंट स्टाफ से ही चल रही जेलों की व्यवस्था