40 स्टोन क्रशर, पांच स्क्रीनिंग प्लांट और 20 से अधिक खनन पट्टों के जारी हुए थे लाइसेंस

DEHRADUN:

प्रदेश में सरकार ने विधानसभा चुनाव से पहले जारी किए गए स्टोन क्रशर, स्क्रीनिंग प्लांट, खनिजों के भंडारण एवं निजी नाप भूमि में स्वीकृत उपखनिज एवं गौण खनिज के खनन पट्टे तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिए हैं। इन निलंबित लाइसेंसों के परीक्षण के लिए सचिव औद्योगिक विकास विभाग शैलेश बगौली की अध्यक्षता में एक तीन सदस्यीय समिति गठित की गई है। इसमें मुख्य वन संरक्षक, मुख्यालय देहरादून और केंद्रीय मृदा व जल संरक्षण अनुसंधान एवं प्रशिक्षण संस्थान देहरादून के विषय विशेषज्ञों को सदस्य के रूप में नामित किया गया है। यह समिति फ्0 दिनों के भीतर अपनी रिपोर्ट शासन को सौंपेगी।

खनन पर सरकार सख्त

प्रदेश में खनन को लेकर सरकार इन दिनों सख्त रवैया अपनाए हुए है। सरकार केवल वैधानिक व वैज्ञानिक तरीके से ही खनन पर फोकस किए हुए है। इसके लिए पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार की ओर से लिए गए तमाम फैसलों का अध्ययन किया जा रहा है और विवादित फैसलों को पलटा जा रहा है। इसी कड़ी में शासन ने कुछ दिनों पहले प्रदेश में उपखनिज भंडारण के तकरीबन ख्भ्0 लाइसेंस निरस्त कर दिए थे। हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने गंगा नदी में खनन पर लगी रोक हटा दी थी। इस दौरान शासन को ऐसी शिकायतें मिली थी कि पूर्ववर्ती सरकार ने विधानसभा चुनाव की आचार संहिता लगने से ठीक पहले नियमों को ताक पर रखने हुए स्टोन क्रशर, स्क्रीनिंग प्लांट व खनन पट्टे जारी किए थे। इसका संज्ञान लेते हुए सरकार ने मुख्य सचिव एस रामास्वामी को इस संबंध में कार्यवाही के निर्देश दिए थे। शासन ने आचार संहिता लागू होने, यानी चार जनवरी से क्भ् दिन पूर्व जारी लाइसेंसों को निलंबित करने के निर्देश दिए हैं। सूत्रों की मानें तो इस अवधि में प्रदेश में कुल ब्0 स्टोन क्रशर, पांच स्क्रीनिंग प्लांट व तकरीबन ख्0 से अधिक खनन पट्टों के लाइसेंस जारी किए गए थे।